04-Aug-2025
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-रेंज 10 किमी और 100 किमी/घंटा की रफ्तायर से लक्ष्यों को भेदने में सक्षम नई दिल्‍ली (ईएमएस)। भारतीय डिफेंस सेक्‍टर की बड़ी कंपनी एनआईबीई लि ने हाल ही में इजराइल की रक्षा प्रौद्योगिकी कंपनी एल्बिट सिस्टम से 70 मिमी क्लास की हवा से सतह पर मार करने वाली मिसाइल गाइडेड एडवांस्ड टैक्टिकल रॉकेट का सौदा किया है। शनिवार को इस सौदे की घोषणा की गई। 6.12 करोड़ रुपए की लागत से इसे सितंबर 2026 तक पूरा किया जाएगा। यह सौदा भारत की ‘मेक इन इंडिया’ और ‘आत्मनिर्भर भारत’ पहल का हिस्‍सा है, जिसके तहत स्वदेशी रक्षा क्षमताओं को बढ़ाया जा रहा है। अब मन में सवाल उठता है कि गाटर मिलाइल क्‍या है, जो इजराइल भारत से खरीदा रहा है? गाटर एक कॉस्‍ट-इफेक्टिव हाई प्रीसीजन (सटीकता) वाला रॉकेट है, जिसे मध्यम दूरी के टैक्टिकल हवाई अभियानों के लिए डिज़ाइन किया है। इसकी रेंज 10 किमी तक है और यह 100 किमी/घंटा तक की गति से चल रहे लक्ष्यों को भेद सकता है। गाटर में अत्याधुनिक सेमी-एक्टिव लेजर गाइडेंस सिस्टम है, जो इसे बेजोड़ सटीकता प्रदान करता है। यह 16 किलोग्राम का वारहेड ले जा सकता है, जो 200 मिमी तक प्रबलित कंक्रीट को भेदने में सक्षम है। यह रॉकेट एएच-64 अपाचे और एचएएल रुद्र जैसे कई हमलावर हेलीकॉप्टरों के साथ इंटीग्रेट यानी लोड हो सकता है। इजराइल को भारत से गाटर रॉकेट चाहिए, क्योंकि यह लागत प्रभावी और सटीक है। इसकी 10 किमी रेंज और लेजर गाइडेंस इसे शहरी युद्ध के लिए आदर्श बनाता है। एनआईबीई पुणे में स्थित रक्षा टेक्‍नोलॉजी क्षेत्र में इनोवेशन, स्वदेशीकरण और वैश्विक सहयोग पर केंद्रित है। यह कंपनी उन्नत रक्षा प्रणालियों के डिज़ाइन, निर्माण और इंटीग्रेशन में माहिर है। एल्बिट सिस्टम के साथ यह साझेदारी भारत में उच्च तकनीक वाले रक्षा उपकरणों के निर्माण की दिशा में एक कदम है। एनआईबीई इस ऑर्डर के तहत गाटर के पुर्जों का निर्माण और आपूर्ति करेगा, जिससे भारतीय सशस्त्र बलों और वैश्विक सहयोगियों के लिए मिशन की सफलता और परिचालन सुरक्षा में वृद्धि होगी। यह सौदा भारत की रक्षा निर्यात क्षमता को दर्शाता है। एनआईबीई की यह उपलब्धि भारत को वैश्विक रक्षा बाजार में एक विश्वसनीय आपूर्तिकर्ता के रूप में स्थापित करती है। यह साझेदारी तकनीकी उन्नति और रोजगार सृजन को बढ़ावा देगी, खासकर पुणे के विनिर्माण क्षेत्र में। यह भारत-इजराइल रक्षा सहयोग को भी मजबूत करता है, जो हाल के ऑपरेशन सिंदूर के बाद और प्रासंगिक है। सिराज/ईएमएस 04 अगस्त 2025