09-Aug-2025
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मुंबई (ईएमएस)। आखिरकार फिल्म ‘धड़क 2’ सिनेमाघरों में रिलीज हो चुकी है। फिल्म को दर्शकों से शानदार प्रतिक्रियाएं मिल रही हैं। फिल्म के लेखकों शाज़िया इक़बाल और राहुल बडवेलकर की लेखनी को सराहा जा रहा है। फिल्म की निर्माता और क्रिएटिव लीडर प्रगति देशमुख ने हाल ही में ‘कंटेंट हब समिट’ में हिस्सा लेते हुए अपनी क्रिएटिव सोच और इंडस्ट्री में बदलाव की दिशा पर विचार साझा किए। उन्होंने कहा कि उनका फोकस हमेशा से क्रिएटर की सोच को प्राथमिकता देना रहा है। प्रगति के मुताबिक, “हम उन कहानियों को आगे बढ़ाते हैं जो सच्चाई और ईमानदारी से कुछ कहना चाहती हैं। हर प्रोजेक्ट अलग होता है, इसलिए हम किसी तय फॉर्मूले पर काम नहीं करते। हमारी साझेदारियाँ भरोसे, लचीलापन और आपसी सम्मान पर टिकी होती हैं।” प्रगति देशमुख का मानना है कि महान सिनेमा किसी निश्चित ढांचे से नहीं, बल्कि विश्वास और स्पष्ट सोच से बनता है। उन्होंने बदलती फिल्म इंडस्ट्री पर भी रोशनी डाली और बताया कि अब भाषाई सीमाएं लगभग मिट चुकी हैं। थिएटर और डिजिटल रिलीज़ के बीच की रेखाएं भी अब उतनी स्पष्ट नहीं रह गई हैं। सफलता केवल बॉक्स ऑफिस कलेक्शन से नहीं, बल्कि म्यूजिक, डिजिटल व्यूअरशिप और दर्शकों से मिले प्यार से भी आंकी जाती है। उन्होंने फिल्म ‘कालीधर लापता’ का उदाहरण देते हुए बताया कि यह पहले थिएटर में आने वाली थी लेकिन बाद में डिजिटल प्लेटफॉर्म पर रिलीज हुई और साल की सबसे ज्यादा देखी जाने वाली फिल्म बन गई। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि हर फिल्म की शुरुआत कहानी से होती है, लेकिन उसे ज़मीन पर उतारने के लिए रचनात्मकता और फाइनेंस का संतुलन जरूरी है। इस साल ज़ी स्टूडियोज को 8 राष्ट्रीय पुरस्कार मिले हैं, जिनमें ‘12वीं फेल’ जैसी संवेदनशील फिल्में भी शामिल हैं। प्रगति कहती हैं, “असली जीत तब होती है जब कहानी, क्राफ्ट, दर्शकों का प्यार और व्यावसायिक सफलता – सब एक साथ मिलते हैं। ये तभी मुमकिन है जब हम ईमानदारी से कहानी पर विश्वास रखें और पूरी स्पष्टता व आत्मविश्वास के साथ आगे बढ़ें।” उनके अनुसार, जो प्रोजेक्ट्स आज चुने जाते हैं, वही कल के दर्शकों के अनुभव तय करेंगे। बदलाव तो आते रहेंगे, लेकिन मकसद सच्ची और अर्थपूर्ण कहानियों को सामने लाना ही रहेगा। सुदामा/ईएमएस 09 अगस्त 2025