वाशिंगटन (ईएमएस)। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प द्वारा लगाए गए नए टैरिफ ने अमेरिका और दुनिया की अर्थव्यवस्था पर काफी असर डाला है। ये टैरिफ 100 साल में सबसे ज्यादा हैं। ट्रंप के टैरिफ लगने से आयातित सामानों की कीमतें बढ़ गई हैं। बजट लैब के अनुमान के मुताबिक, हर अमेरिकी परिवार को सालाना 2 लाख (2400 डॉलर) का अतिरिक्त खर्च उठाना पड़ सकता है। बजट लैब का यह भी मानना है कि इन टैरिफ के कारण अमेरिका की जीडीपी में 0.5 प्रतिशत की गिरावट आ सकती है, जिससे अर्थव्यवस्था को 140 बिलियन डॉलर (लगभग 11.6 लाख करोड़) का नुकसान हो सकता है। भले ही ट्रम्प का दावा है कि टैरिफ से नौकरियां बढ़ेंगी, लेकिन विशेषज्ञों का मानना है कि इससे नौकरियां कम हो सकती हैं। हाल ही में, जुलाई में सिर्फ 73,000 नई नौकरियां जोड़ी गईं, जो उम्मीद से काफी कम है। दुनिया पर मंदी का खतरा अमेरिका दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है। जब उसकी अर्थव्यवस्था में गिरावट आती है, तो इसका असर वैश्विक बाज़ार पर भी पड़ता है। टैरिफ से दुनिया के अन्य देशों से अमेरिका को होने वाला निर्यात कम हो जाएगा, जिससे उन देशों की अर्थव्यवस्थाएं भी प्रभावित होंगी। विशेषज्ञों को डर है कि यह स्थिति वैश्विक मंदी का कारण बन सकती है। टैक्स फाउंडेशन के अनुसार, टैरिफ का असर उन चीजों पर सबसे ज्यादा पड़ेगा जो अमेरिका में पर्याप्त मात्रा में नहीं बनतीं, जैसे कि केला और कॉफी। इसके अलावा, स्टील, एल्युमीनियम, मछली, बीयर और शराब जैसी चीजों की कीमतें भी बढ़ सकती हैं। यह स्थिति दिखाती है कि टैरिफ जैसे व्यापारिक कदम का असर सिर्फ एक देश तक सीमित नहीं रहता, बल्कि यह पूरी दुनिया की अर्थव्यवस्था को प्रभावित कर सकता है। हाल ही में जारी सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, जुलाई में सिर्फ 73,000 नई नौकरियां जुड़ीं। सरकार के अनुमान के मुताबिक 1.09 लाख नई नौकरियां बढ़ने की उम्मीद थीं। मई और जून में भी नौकरियों में गिरावट आई। इससे एक तिमाही में औसतन 35,000 प्रति महीने नौकरियां जुड़ीं। यह 2010 के बाद सबसे कम आंकड़ा है। इस आंकड़े से नाराज होकर ट्रम्प ने 1 अगस्त को ब्यूरो ऑफ लेबर स्टैटिस्टिक्स की कमिश्नर एरिका मैकएंटरफर को नौकरी से निकाल दिया। ट्रम्प ने आरोप लगाया कि रिपोर्ट में ‘राजनीतिक मकसद’ से हेराफेरी की गई थी। आशीष/ईएमएस 09 अगस्त 2025