अंतर्राष्ट्रीय
18-Aug-2025
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मास्को (ईएमएस)। रूस-यूक्रेन युद्ध को लेकर एक नया मोड़ सामने आया है। रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के साथ अलास्का में हुई बैठक में प्रस्ताव रखा कि अगर यूक्रेन पूर्वी डोनबास क्षेत्र—यानी डोनेट्स्क और लुहान्स्क—से अपनी सेना हटा लेता है, तो रूस दक्षिणी यूक्रेन में हमले रोक देगा और फ्रंटलाइन को वहीं फ्रीज कर देगा। जब यह शर्त ट्रंप ने यूक्रेन और उसके सहयोगियों को बताई तो यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की ने ऐसा करने से साफ इनकार कर दिया। पश्चिमी देशों ने भी इस प्रस्ताव को खारिज कर दिया और कहा कि यूक्रेन की अखंडता से समझौता नहीं हो सकता। क्यों अहम है डोनबास? डोनबास यूक्रेन का औद्योगिक और ऊर्जा केंद्र है। यहां कोयला, भारी उद्योग और खनिज संसाधनों की भरमार है। अगर रूस इसे पूरी तरह हासिल कर लेता है, तो उसे न सिर्फ पूर्वी यूक्रेन पर पकड़ मिलेगी बल्कि यूक्रेन की अर्थव्यवस्था को बड़ा झटका लगेगा। सुरक्षा दृष्टि से भी यह इलाका बेहद रणनीतिक है। 2014 से ही यूक्रेनी सेना ने यहां मजबूत बंकर, खाइयां और माइनफील्ड्स तैयार कर रखे हैं, जो रूस की बढ़त को रोकते आए हैं। डोनबास पर कब्जे का मतलब होगा कि रूस की खारकीव, पोलतावा और ड्नीप्रो जैसे अहम शहरों तक सीधी पहुंच मिल जाना। जेलेंस्की क्यों भड़के? यूक्रेनी राष्ट्रपति जेलेंस्की ने कहा है कि डोनबास छोड़ना उनके देश के अस्तित्व को खतरे में डाल देगा। उनका मानना है कि अगर यह इलाका रूस के हाथ गया तो वह भविष्य में और बड़े हमले करेगा। यही कारण है कि कीव किसी भी हाल में डोनबास से पीछे हटने को तैयार नहीं है। पश्चिम का रुख जर्मनी और ब्रिटेन जैसे यूरोपीय देशों ने भी रूस की इस मांग को ठुकरा दिया है। ब्रिटेन ने तो चेतावनी दी है कि यदि युद्ध जारी रहा तो रूस पर और कड़े प्रतिबंध लगाए जाएंगे। अब स्थिति यहां अटक गई है कि जब तक यूक्रेन को ठोस सुरक्षा गारंटी नहीं मिलती, वह अपनी जमीन का कोई हिस्सा रूस को देने के लिए तैयार नहीं है। इस बीच, जेलेंस्की और ट्रंप की सीधी मुलाकात भी होने वाली है, हालांकि इसकी तारीख तय नहीं हुई है। हिदायत/ईएमएस 18 अगस्त25