राष्ट्रीय
19-Aug-2025
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नई दिल्ली (ईएमएस)। क्या आप जानते है कि छिपकली की अगर पूंछ कट जाए तो वह कुछ ही दिनों बाद नई पूंछ के साथ कैसे नजर आती है। वैज्ञानिकों के अनुसार, यह प्रकृति का एक अद्भुत उपहार है, जो छिपकली की खास जैविक संरचना के कारण संभव होता है। विशेषज्ञ बताते हैं कि छिपकली के शरीर में एक विशेष क्षमता होती है, जिसे रीजनरेशन कहा जाता है। जब उसकी पूंछ कट जाती है, तो उस हिस्से की कोशिकाएं तेजी से सक्रिय होकर एक सुरक्षा परत बनाने लगती हैं, ताकि संक्रमण या अन्य बीमारियों का खतरा न रहे। इसके बाद इन कोशिकाओं में भ्रूण जैसी अवस्था उत्पन्न हो जाती है, जिससे नए ऊतक बनने की प्रक्रिया शुरू हो जाती है। धीरे-धीरे हड्डी, मांसपेशी और त्वचा जैसे अंग विकसित होकर नई पूंछ का निर्माण कर देते हैं। यही वजह है कि छिपकली अपनी खोई हुई पूंछ को दोबारा उगा लेती है। हालांकि, यह क्षमता सभी प्रजातियों की छिपकलियों में नहीं होती। विशेषज्ञों का कहना है कि घर में पाई जाने वाली आम छिपकली में ही यह प्रक्रिया देखने को मिलती है। यह क्षमता उसके जीवित रहने के लिए बेहद महत्वपूर्ण है, क्योंकि पूंछ का छूटना कई बार आत्मरक्षा का तरीका भी होता है। खतरे की स्थिति में छिपकली अपनी पूंछ छोड़कर शिकारी का ध्यान भटकाती है और खुद सुरक्षित जगह भाग जाती है। जीव-जंतु जगत में इस तरह की पुनरुत्पादन क्षमता सिर्फ छिपकली तक सीमित नहीं है। कई प्रजातियों की मछलियों में भी यह अद्भुत गुण पाया जाता है, जिनके शरीर का कोई हिस्सा कट जाने पर नए अंग बनने लगते हैं। यह प्रकृति का वह अद्वितीय तरीका है, जिससे जीव-जंतु खुद को खतरों से बचाने और जीवन चक्र को बनाए रखने में सक्षम होते हैं। विशेषज्ञों के मुताबिक, जीव-जंतुओं को प्रकृति ने अलग-अलग तरह की सुरक्षात्मक क्षमताएं दी हैं। कुछ जीवों के शरीर में जहरीले तत्व पाए जाते हैं, जो उनके बचाव के लिए महत्वपूर्ण होते हैं, वहीं कुछ में अंगों को पुनः उगाने की क्षमता होती है। सुदामा/ईएमएस 19 अगस्त 2025