राष्ट्रीय
19-Aug-2025
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नई दिल्ली,(ईएमएस)। देश के उपराष्ट्रपति चुनाव के लिए बीजेपी ने महाराष्ट्र के राज्यपाल सीपी राधाकृष्णन को एनडीए का उम्मीदवार घोषित किया है। रविवार को बीजेपी संसदीय बोर्ड की बैठक में सीपी राधाकृष्णन के नाम पर मुहर लग दी गई जिसका ऐलान पार्टी अध्यक्ष जेपी नड्डा ने किया। नड्डा ने कहा कि हम सीपी राधाकृष्णन के नाम पर सभी का समर्थन जुटाना चाहते हैं। इसके लिए सभी विपक्षी दलों के साथ बातचीत करेंगे ताकि उपराष्ट्रपति पद के लिए निर्विरोध चुनाव हो सके। राधाकृष्णन को उपराष्ट्रपति पद का उम्मीदवार बनाकर बीजेपी ने सियासी संदेश देने का दांव चल दिया है। बीजेपी ने सीपी राधाकृष्णन के जरिए पार्टी कार्यकर्ताओं को मैसेज देने के साथ दक्षिण भारत में अपनी सियासी पकड़ मज़बूत करने का दांव खेला है। बता दें उपराष्ट्रपति के एनडीए उम्मीदवार सीपी राधाकृष्णन दक्षिण भारत के तमिलनाडु से आते हैं। इस तरह से बीजेपी ने उनके नाम पर मुहर लगाकर दक्षिण भारत को साधने का बड़ा दांव चला है। उत्तर भारत की सियासत पर बीजेपी की पकड़ मज़बूत बनी हुई है, लेकिन दक्षिण भारत की सियासी ज़मीन अभी भी उसकी पहुंच से दूर है। पीएम मोदी और बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा दोनों ही उत्तर भारत से हैं। ऐसे में बीजेपी ने दक्षिण के साथ सियासी संतुलन बनाए रखने के लिए सीपी राधाकृष्णन को उपराष्ट्रपति का उम्मीदवार बनाने की रणनीति अपनाई। दक्षिण के किसी भी राज्य में बीजेपी की अपनी सरकार नहीं है। आंध्र प्रदेश और पुडुचेरी सरकार में बीजेपी शामिल है। तमिलनाडु और केरल में अगले साल विधानसभा चुनाव होने वाले हैं। राधाकृष्णन तमिलनाडु से आते हैं और उन्होंने राज्य में बीजेपी को मज़बूत करने में काफ़ी मेहनत की है। वे प्रदेश अध्यक्ष से लेकर दो बार लोकसभा सदस्य भी रहे हैं। इस तरह बीजेपी ने उपराष्ट्रपति के लिए तमिल मूल के नेता पर भरोसा जताकर एआईएडीएमके और डीएमके जैसे दलों को सियासी कशमकश में डाल दिया है। इस फैसले को तमिलनाडु के लोगों को भी सियासी संदेश देने की रणनीति मानी जा रही है। सीपी राधाकृष्णन ने दक्षिण भारत के दूसरे राज्यों में भी बीजेपी के लिए काम किया है। ऐसे में बीजेपी की कोशिश दक्षिण भारत में अपनी जड़ें मज़बूत करने की है। तमिलनाडु और केरल ऐसे राज्य हैं, जो बीजेपी के लिए मुश्किल हो रहे हैं। ऐसे में उपराष्ट्रपति उम्मीदवार तमिलनाडु से बनाकर बीजेपी ने सियासी संदेश देने की कवायद की है। बीजेपी ने उपराष्ट्रपति उम्मीदवार के चुनाव में आरएसएस की पसंद का ख़याल रखा है। सीपी राधाकृष्णन संघ की पृष्ठभूमि से आते हैं। जनसंघ के दौर से वे बीजेपी से जुड़े हैं। संघ सरकार के कामकाज में दखलअंदाजी नहीं करना चाहता, लेकिन उसका मानना है कि सर्वोच्च पदों पर बैठे लोग पार्टी और उसकी विचारधारा के प्रति समर्पित हों। इस तरह से बीजेपी ने आरएसएस की विचारधारा के साथ मज़बूती से जुड़े रहने वाले राधाकृष्णन के नाम पर मुहर लगाकर सियासी संदेश दिया है। बीजेपी ने सीपी राधाकृष्णन के ज़रिए क्षेत्रीय संतुलन ही नहीं बल्कि सामाजिक समीकरण साधने की भी कवायद की है। राधाकृष्णन ओबीसी समुदाय से आते हैं, जिस तरह से जगदीप धनखड़ ओबीसी समाज से थे। इस तरह से बीजेपी ने उनकी जगह ओबीसी समाज से ही उपराष्ट्रपति बनाने का फ़ैसला किया ताकि विपक्ष को घेरने का मौका न मिल सके। कांग्रेस नेता राहुल गांधी ओबीसी के मुद्दे को लेकर आक्रामक रहते हैं, जिसके लिए वे जाति जनगणना से लेकर सरकार में दलित-ओबीसी की भागीदारी का भी सवाल उठाते रहते हैं। केंद्र सरकार पहले ही जातीय जनगणना कराने का ऐलान कर चुकी है और अब उपराष्ट्रपति के लिए राधाकृष्णन को उम्मीदवार बनाकर बीजेपी ने सियासी संदेश देने की कोशिश की है। देश में ओबीसी समुदाय की आबादी 50 फ़ीसदी से भी ज़्यादा है और बिहार की राजनीति पूरी तरह से ओबीसी के इर्द-गिर्द घुमती है। ऐसे में बीजेपी ओबीसी वोटों को लेकर किसी तरह का कोई जोखिम नहीं लेना चाहती है, जिसके लिए ही ओबीसी से आने वाले राधाकृष्णन को उम्मीदवार बनाने का दांव चला है। बीजेपी ने उपराष्ट्रपति के उम्मीदवार के चयन में किसी दूसरे दल से आए नेता को तरजीह देने के बजाय पार्टी के प्रति समर्पित रहने वाले सीपी राधाकृष्णन को अहमियत दी, जिसके जरिए पार्टी कार्यकर्ताओं को भी संदेश दिया है। सिराज/ईएमएस 19 अगस्त 2025