साइबर सुरक्षा एवं नवाचार के क्षेत्र में युवाओं का राष्ट्रीय समागम - नेशनल साइबर शील्ड हैकेथॉन-2025 : देशभर के युवाओं ने साइबर अपराध से निपटने के लिए पेश किए नवाचारी समाधान मध्यप्रदेश पुलिस की पहल से देशभर के युवाओं ने प्रस्तुत किए साइबर अपराध नियंत्रण के अभिनव समाधान भोपाल(ईएमएस)। मध्यप्रदेश पुलिस के सहयोग से देशभर के युवाओं को साइबर सुरक्षा के क्षेत्र में नवाचार हेतु प्रेरित करने और साइबर अपराध से निपटने के लिए व्यावहारिक तकनीकी समाधान खोजने के उद्देश्य से सीआईआईएस-2025 (Cyber Innovation & Information Security Summit) के अंतर्गत ‘नेशनल साइबर शील्ड हैकेथॉन-2025’ का सफल आयोजन किया गया। यह हैकेथॉन 9 सितम्बर को इंदौर, 10 सितम्बर को भोपाल तथा 11 सितम्बर को जबलपुर में तीन चरणों में संपन्न हुआ। इस प्रतियोगिता में देशभर की 1159 टीमों ने भागीदारी ली, जिनमें इंदौर से 501, भोपाल से 429 और जबलपुर से 229 टीमें शामिल रहीं, जिनमें से भोपाल से 15, इंदौर से 10 और जबलपुर से 10 टीमों का चयन फाइनल ऑफलाइन क्वालिफायर राउंड के लिए किया गया। चयनित श्रेष्ठ टीमों ने ऑफलाइन क्वालिफायर राउंड में अपनी तकनीकी क्षमता का प्रदर्शन किया। प्रतिभागियों को साइबर अपराध से जुड़े वास्तविक और चुनौतीपूर्ण विषय दिए गए जैसे - ड्रग्स की ऑनलाइन बिक्री का पता लगाना – डार्क वेब और गुप्त चैट प्लेटफॉर्म्स पर चल रही नशे की बिक्री को मशीन लर्निंग और कोडवर्ड एनालिसिस से पकड़ना। फेक बैंकिंग ऐप्स (APK) की पहचान – नकली बैंकिंग मोबाइल ऐप्स को स्कैन कर तुरंत अलर्ट देना ताकि यूज़र वित्तीय धोखाधड़ी से बच सके। नेटवर्क डेटा से फेक कॉल्स पकड़ना – कॉल के पीछे का नेटवर्क मेटाडेटा देखकर पता लगाना कि कॉल असली है या फ्रॉड। मनी लॉन्ड्रिंग पैटर्न पकड़ना – डिजिटल लेन-देन के असामान्य पैटर्न को जोड़कर अवैध धन के जाल का खुलासा। भारत-विरोधी कैंपेन्स का पता लगाना – सोशल मीडिया पर फैल रही झूठी खबरों और भड़काऊ ट्रेंड्स की तुरंत पहचान। आईपीडीआर लॉग्स मैपिंग – इंटरनेट उपयोग के रिकॉर्ड का विश्लेषण कर संदिग्ध लोगों की गतिविधियाँ और लोकेशन ट्रैक करना। विजेता टीमों की घोषणा इंदौर चरण (SGSITS इंदौर) 9 सितंबर 2025 प्रथम – KAALI TOPI (ABV-IIITM ग्वालियर) : ड्रग सेल्स डिटेक्शन (Black Hat Hacker) शब्द साइबर जगत में अपराधी हैकर को संदर्भित करता है। इस टीम ने इसे सकारात्मक दृष्टिकोण में रूपांतरित करते हुए ऐसा टूल विकसित किया, जिससे डार्क वेब व एन्क्रिप्टेड प्लेटफॉर्म्स पर होने वाले नशीले पदार्थों के अवैध व्यापार का पता लगाया जा सके। द्वितीय – CryptoZackers (Acropolis, इंदौर) : फेक बैंकिंग APK डिटेक्शन इस टीम ने क्रिप्टोग्राफी तकनीक पर आधारित समाधान विकसित किया, जिससे नकली बैंकिंग मोबाइल ऐप्स की पहचान कर वित्तीय धोखाधड़ी को रोका जा सके। तृतीय – localhost_4056 (NMIMS, इंदौर) : आईपीडीआर लॉग्स मैपिंग इस टीम ने नेटवर्क लॉग्स एवं पोर्ट विश्लेषण पर आधारित तकनीक विकसित की, जिससे इंटरनेट उपयोग संबंधी संदेहास्पद गतिविधियों की ट्रैकिंग संभव हो सकी। भोपाल चरण (MANIT भोपाल, 10 सितम्बर 2025) प्रथम – ByteGuardians (MANIT भोपाल) : एंटी-इंडिया कैंपेन्स डिटेक्शन टीम ने सोशल मीडिया मॉनिटरिंग टूल विकसित किया, जो देशविरोधी कैंपेन्स एवं फेक न्यूज़ की समय रहते पहचान कर सकता है। द्वितीय – Special Ops (MANIT भोपाल) : फेक बैंकिंग APK डिटेक्शन टीम ने उन्नत तकनीक आधारित समाधान प्रस्तुत किया, जिससे नागरिकों को फर्जी बैंकिंग ऐप्स से होने वाली वित्तीय हानि से बचाया जा सके। तृतीय – G.H.O.S.T (MANIT भोपाल) : ड्रग सेल्स डिटेक्शन टीम ने तकनीक आधारित ऐसा समाधान विकसित किया, जो अवैध मादक पदार्थों की डिजिटल प्लेटफॉर्म्स पर हो रही गतिविधियों की पहचान में सहायक होगा। जबलपुर चरण (JEC जबलपुर, 11 सितम्बर 2025) प्रथम – SHA-256 (ज्ञान गंगा, जबलपुर) : मनी लॉन्ड्रिंग पैटर्न डिटेक्शन SHA-256 एल्गोरिद्म पर आधारित इस समाधान से डिजिटल लेन-देन में छिपे अवैध वित्तीय लेन-देन एवं मनी लॉन्ड्रिंग पैटर्न का पता लगाया जा सकता है। द्वितीय – SCAMSNARE (RMK, तमिलनाडु) : फेक बैंकिंग APK डिटेक्शन इस टीम का समाधान नकली बैंकिंग ऐप्स की पहचान कर नागरिकों को वित्तीय सुरक्षा प्रदान करने में सक्षम है। तृतीय – Your Team (NFSU, दिल्ली) : फेक बैंकिंग APK डिटेक्शन टीम ने उपयोगकर्ता-अनुकूल तकनीक प्रस्तुत की, जो मोबाइल एप्लीकेशनों की सुरक्षा सुनिश्चित कर ऑनलाइन धोखाधड़ी को रोकने में सहायक होगी। नेशनल साइबर शील्ड हैकेथॉन-2025 केवल एक प्रतियोगिता नहीं, बल्कि युवाओं की प्रतिभा और तकनीकी क्षमता का जीवंत प्रमाण है। इस मंच ने यह सिद्ध किया है कि भारत की नई पीढ़ी न केवल वैश्विक स्तर पर तकनीक की दौड़ में आगे है, बल्कि समाज और राष्ट्र की सुरक्षा में भी अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाने के लिए पूरी तरह तत्पर है। ड्रग्स की रोकथाम से लेकर फेक बैंकिंग ऐप्स की पहचान, मनी लॉन्ड्रिंग पर लगाम लगाने से लेकर सोशल मीडिया पर फेक न्यूज़ और देशविरोधी कैंपेन्स का पर्दाफाश करने तक – इन युवाओं ने जो समाधान प्रस्तुत किए हैं, वे भविष्य की साइबर सुरक्षा रणनीतियों को और अधिक मज़बूत बनाएंगे। यह आयोजन मध्यप्रदेश पुलिस की दूरदर्शी सोच और देशभर के शैक्षणिक संस्थानों की रचनात्मक ऊर्जा का बेहतरीन संगम रहा। यह हैकेथॉन यह भी दर्शाता है कि जब तकनीक, युवा शक्ति और पुलिस जैसी संस्थाएँ एक साथ आती हैं, तो न केवल साइबर अपराधों की चुनौती का सामना किया जा सकता है, बल्कि एक सुरक्षित और सशक्त भारत का निर्माण भी संभव है। हरि प्रसाद पाल / 13 सितम्बर, 2025