प्योंगयांग,(ईएमएस)। उत्तर कोरिया ने साफ कर दिया कि वो अपने वर्तमान दर्जे को बदलने की किसी भी कोशिश का डटकर विरोध करेगा। साथ ही, एक जिम्मेदार परमाणु हथियारों वाला देश होने के नाते अपनी स्थिति बनाए रखेगा। यह बयान ऐसे समय आया है, जब पिछले हफ्ते नॉर्थ कोरिया के नेता किम जोंग उन ने वेपन रिसर्च फैलिसिटी का दौरा किया था। वहां उन्होंने कहा था कि प्योंगयांग परमाणु और पारंपरिक हथियारों को एक साथ बढ़ाने की नीति पर काम करेगा। साल 2019 में अमेरिका के साथ परमाणु निरस्त्रीकरण पर शिखर बैठक असफल रही थी। इसके बाद से, उत्तर कोरिया बार-बार कह चुका है कि वो अपने परमाणु हथियार कभी नहीं छोड़ेगा। उत्तर कोरिया ने अपने परमाणु कार्यक्रम को लेकर बड़ा बयान दिया है। इसने कहा कि उसका परमाणु हथियारों वाला देश होने का दर्जा अब हमेशा के लिए है और इसे बदला नहीं जा सकता। सरकारी मीडिया ने बताया कि नॉर्थ कोरिया ने अमेरिका की उस मांग की कड़ी निंदा की, जिसमें उससे परमाणु निरस्त्रीकरण की बात कही गई थी। कोरियाई यूएन मिशन की ओर से कहा गया, हाल ही में इंटरनेशनल एटॉमिक एनर्जी एजेंसी के (आईएईए) बोर्ड ऑफ गवर्नर्स की बैठक हुई। इस दौरान यूएस ने एक बार फिर हमारी परमाणु हथियारों की मौजूदगी को गैरकानूनी बताया। उसने परमाणु निरस्त्रीकरण की बात छेड़कर गंभीर राजनीतिक उकसावे का काम किया। नॉर्थ कोरिया ने कहा कि उसका परमाणु हथियारों वाला देश होने का दर्जा स्थायी रूप से हमारे कानून में दर्ज हो चुका है। इसे कोई बदल नहीं सकता। यह भी कहा गया कि पिछले 30 साल से उसका आईएईए के साथ कोई आधिकारिक रिश्ता नहीं है। बयान के मुताबिक, आईएईए के पास न तो कानूनी और न ही नैतिक आधार है कि वो ऐसे परमाणु हथियारों वाले देश के आंतरिक मामलों में दखल दे, जो न्यूक्लियर नॉन-प्रोलिफरेशन ट्रीटी का हिस्सा नहीं है। मालूम हो कि 1994 में उत्तर कोरिया ने परमाणु निरीक्षण को लेकर विवाद के बाद आईएईए से नाता तोड़ लिया था। उसे लगता था कि अमेरिका इस एजेंसी का इस्तेमाल उसकी संप्रभुता पर हमला करने के लिए कर रहा है। वीरेंद्र/ईएमएस/15सितंबर2025