लेख
16-Sep-2025
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प्रधानमंत्री नरेंद्र भाई मोदी के शासन कॉल का यह 11वां वर्ष है इन 11 सालों में मोदी जी ने अपने तरीके से बिना किसी सहायता या दखल के शासन चलाया, किंतु शासनारूढ़ पार्टी के सहयोगी संगठन अवश्य परेशान रहे, जिनमें राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ भी शामिल है एक दशक तक उसकी कोई पूछ-परख नहीं की गई। इसी उपेक्षा के चलते संघ ने अपने आप को काफी संयमित रखा और रिश्तों में कोई खटास नहीं आने दी, संघ कि इस पीड़ा को स्वयं मोदीजी ने भी महसूस किया और इसी कारण स्वतंत्रता दिवस पर लाल किले से अपने संबोधन में संघ का जिक्र किया, बस इसके बाद संघ की बांछे खिल गई और वह हर तरीके से सरकार को मदद करने को तैयार हो गया। उसे इस बात की खुशी है कि मोदी जी ने उसके दर्द को महसूस किया और भाजपा व संघ के रिश्तों को रिसेट करने की फिक्र की। अब मोदी जी और उनके गृहमंत्री अमित शाह दोनों ही संघ को अपने साथ रखने के प्रयास में जुटे हैं, संघ भी इस बात पर काफी खुश है और उसने मोदी की हर चुनौती में उनकी हर तरीके से सहायता करने की ठानी है, इस बीच संघ प्रमुख मोहन भागवत ने भी संघ स्वयं सेवक को अहंकार रहित बताते हुए सत्तारूढ़ दल के साथ रिश्तों को पटरी पर लाने के संकेत दिए, जिसके सुखद परिणाम हरियाणा और महाराष्ट्र विधानसभाओं के चुनाव परिणाम में नजर आए और सियासी पंडितों ने इसे संघ की प्रबंधन नीति का नतीजा बताया। देश के राजनीतिक विशेषज्ञों का भी यह मानना है कि मोदी राज में पिछले एक दशक से संघ उपेक्षित रहा उसकी आकांक्ष, तड़प को किसी बड़े नेता ने महसूस ही नहीं किया, स्वयं संघ के सर्वोच्च पदाधिकारियों ने भी इस दिशा में प्रयास किया, जिन्हें भाजपा के दिग्गजों ने कोई अहमियत नहीं दी, किंतु अब देर आए.. दुरुस्त आए... की तर्ज पर सत्तारूढ़ सर्वोच्च नेता उनके दल और संघ जैसे सहयोगी संगठन का महत्व समझने का प्रयास किया गया। इसी कारण समय की आहट को पहचान कर सत्तारूढ़ दो सर्वोच्च नेता प्रधानमंत्री नरेंद्र भाई और गृहमंत्री मंत्री अमित शाह संघ से रिश्तों को पुर्नस्थापना में जुटे है और निकट भविष्य में ही उसके परिणाम सबके सामने आ जाएंगे, वह पार्टी के हिसाब से अब तक उपेक्षित जनों के सामने एक ही मंत्र परोस रहे हैं जो अब तक हुआ सो हुआ उसे भूल जाओ और नहीं राह पर एक झूट होकर चलो और उपेक्षितथन इसी बात से खुश हैं कि उनके दर्द को आलाकमान ने महसूस किया। इस पूरे प्रसंग की मुख्य वजह भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष का चुनाव नहीं करना बताया जा रहा है, यद्यपि अब धीरे धीरे इस दर्द की बर्फ पिघलती भी नजर आ रही है, किंतु पूर्व सामान्य स्थिति निर्मित होने में थोड़ा और समय लग सकता है, अब सरकार व पार्टी के मुख्य रणनीतिकार गृहमंत्री अमित शाह ने यह मामला अपने हाथ में ले लिया, इसलिए संघ के रुख में भी परिवर्तन नजर आने लगा है, जिसके संकेत मोदी जी ने अपने स्वतंत्रता दिवस के भाषण में दे दिए हैं, जो 11 वर्ष में पहली बार आए, यही नहीं मोदी जी ने संघ प्रमुख के जन्मदिवस पर देश के प्रमुख अखबारों में अपना लेख प्रकाशित करवा कर संघ प्रमुख के प्रति सौहार्द, प्रेम व निष्ठा भी प्रकट की। भारतीय राष्ट्रीय राजनीति में इन्हें अच्छा संकेत बनाया जा रहा है। (यह लेखक के व्य‎‎‎क्तिगत ‎विचार हैं इससे संपादक का सहमत होना अ‎निवार्य नहीं है) .../ 16 ‎सितम्बर /2025