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16-Sep-2025
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अमेरिकी कंपनी जीई की ओर से इंजन की सप्लाई में देरी के कारण हुई दिक्क्त नई दिल्ली (ईएमएस)। भारतीय वायुसेना इनदिनों लड़ाकू विमानों की कमी से जूझ रही है। इस लेकर वह बार-बार चिंता भी जता चुकी है। लेकिन, अब उसकी सबसे बड़ी चिंता जल्द दूर होगी। क्योंकि देसी विमान निर्माता कंपनी एचएएल ने स्वदेसी फाइटर जेट तेजस एमके-1ए के प्रोडक्शन को रॉकेट की रफ्तार दे दी है। अमेरिकी कंपनी जीई की ओर से इंजन की सप्लाई में देरी और अन्य कारणों से फाइटर जेट की सप्लाई में देरी हो रही थी। दरअसल, तेजस एमके-1ए देश में तैयार एक शानदार फाइटर जेट है। भारत सरकार ने एचएलए को 180 तेजस एमके-1ए विमानों का ऑर्डर दिया है। ये ऑर्डर दो बार में दिए गए। पहला ऑर्डर 83 विमानों का मिला था। पिछले दिनों केंद्रीय कैबिनेट ने फिर से इसतरह के 97 विमानों का ऑर्डर दिया था। इन विमानों की डिलिवरी मार्च 2024 में शुरू होनी थी। लेकिन, अभी तक एयरफोर्स को एक भी विमान की डिलेवरी नहीं हुई है। लेकिन, एचएएल अब अगले माह हर साल में कम से कम दो विमान की आपूर्ति करेगी। इन विमानों में मिसाइलों का टेस्ट परीक्षण किया जा रहा है। मिसाइलों के टेस्ट परीक्षण के बाद ये जेट एयरफोर्स को सौंप दिए जाएंगे। एचएएल के प्रमुख डीके सुनील का कहना है कि यह बात सही है कि तेजस एमके-1ए की सप्लाई में देरी हुई है। लेकिन, सप्लाई चेन की समस्या सिर्फ भारत नहीं नहीं पूरी दुनिया में है। दुनिया में विमान इंजन बनाने वाली केवल तीन कंपनियां हैं। इनके नाम है जीई, सैफ्रान और हनीवेल शामिल है। दुनिया के तमाम विमान निर्माता इनके पास ही लाइन लगाकर खड़े हैं। इसके बाद एचएएल को टारगेट करना ठीक नहीं है। उन्होंने कहा कि बीते दिनों अमेरिकी से भारतीय सेना के लिए खरीदे गए अपाचे हेलीकॉप्टरों की सप्लाई में भी इसी तरह की देरी हुई। इस वक्त पूरी दुनिया सप्लाई चेन की समस्या से जूझ रही है। अभी तक एचएएल को जीई से केवल तीन इंजन मिले हैं। इस साल दिसंबर तक सात इंजन मिलने है। फिर अगले साल 20 इंजन मिलने की संभावना है। इस तरह 2026 के अंत तक उम्मीद की जा रही है कि एयरफोर्स को करीब 30 फाइटर जेट्स मिल जाएंगे। एचएएल प्रमुख सुनील ने बताया कि एचएएल अगले माह दो फाइटर जेट्स की सप्लाई करने जा रही है। उसके पास 10 तेजस एमके-1ए तैयार हैं। उसमें केवल इंजन फिट करना है. इसके अलावा 24 तेजस एमके-1ए का पूरा ढांचा तैयार है। यानी एचएएल के पास करीब 34 फाइटर जेट तैयार मोड में हैं। ये करीब एयरफोर्स के दो स्क्वाड्रन के बराबर हैं। एक स्क्वाड्रन में 18 विमान होते हैं। जहां तक इंजन सप्लाई के बारे में एचएएल का दावा है कि शुरुआत में दिक्कत आती है। एक बार चीजें पटरी पर आने के बाद सप्लाई रफ्तार पकड़ लेगी और एचएएल की ओर से डिविलरी भी तेज होगी। उन्होंने बताया कि वर्तमान में एचएएल के पास सालाना 24 फाइटर जेट बनाने की क्षमता आ गई है। यानी हर माह दो फाइटर जेट्स एयरफोर्स को सौंपे जाएंगे। इसके लिए एचएएल ने करीब पांच निजी कंपनियों के साथ समझौता किया है। इसमें टाटा और एलएंडटी जैसी कंपनियां हैं, जो विंग से लेकर विमान के अलग-अलग हिस्सों की निर्माण कर रही हैं। आशीष दुबे / 16 सिंतबर 2025