नई दिल्ली (ईएमएस)। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि समुद्री खतरे अब तकनीकी और बहुआयामी हो गए हैं। जीपीएस स्पूफिंग, रिमोट कंट्रोल बोट, एन्क्रिप्टेड संचार, ड्रोन और डार्क वेब के जरिए आपराधिक गतिविधियां संचालित हो रही हैं। राजनाथ सिंह ने सोमवार नई दिल्ली में भारतीय तटरक्षक कमांडर्स कॉन्फ्रेंस में बोल रहे थे। इस दौरान, उन्होंने कहा कि पारंपरिक तरीकों से अब काम नहीं चलेगा और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, मशीन लर्निंग, ड्रोन आधारित निगरानी, साइबर डिफेंस और ऑटोमेटेड सिस्टम्स को तुरंत शामिल करना होगा। रक्षा मंत्री ने तटरक्षक बल से 2047 तक के लिए एक भविष्यवादी रोडमैप तैयार करने का आह्वान किया। रक्षा मंत्री ने नई दिल्ली स्थित तटरक्षक मुख्यालय में 42वीं भारतीय तटरक्षक कमांडर्स कॉन्फ्रेंस का उद्घाटन किया। इस तीन दिवसीय सम्मेलन में तटरक्षक के वरिष्ठ अधिकारी रणनीतिक, परिचालन और प्रशासनिक प्राथमिकताओं पर मंथन कर रहे हैं। समुद्री खतरों के संदर्भ में चर्चा करते हुए रक्षा मंत्री ने तकनीकी चुनौतियों और भविष्य की तैयारी पर बात की। उन्होंने साइबर और इलेक्ट्रॉनिक वारफेयर को मौजूदा वास्तविक खतरा बताते हुए भारतीय तटरक्षक बल को अपने प्रशिक्षण और उपकरणों को लगातार आधुनिक बनाने पर जोर दिया। राजनाथ सिंह ने कहा कि बंदरगाह, शिपिंग लेन और ऊर्जा अवसंरचना भारत की अर्थव्यवस्था की जीवनरेखा हैं। समुद्री व्यापार में, भौतिक हो या साइबर, किसी भी तरह की बाधा का सीधा असर राष्ट्रीय सुरक्षा और अर्थव्यवस्था दोनों पर पड़ता है। इसलिए आर्थिक सुरक्षा और राष्ट्रीय सुरक्षा को एक ही नजरिए से देखने की आवश्यकता है। रक्षा मंत्री ने कहा कि भारतीय तटरक्षक आज राष्ट्रीय सुरक्षा का अहम स्तंभ है। यह बल अपनी स्थापना के समय सीमित संसाधनों से शुरू होकर आज 152 जहाजों और 78 विमानों के साथ एक मजबूत संगठन बन चुका है। उन्होंने बताया कि तटरक्षक बल ने अब तक 1,638 विदेशी पोतों और 13,775 विदेशी मछुआरों को अवैध गतिविधियों में पकड़ा है तथा 6,430 किलोग्राम मादक पदार्थ जब्त किए हैं। जब्त किए गए इन मादक पदार्थों का मूल्य 37,833 करोड़ रुपए है। केवल इस वर्ष जुलाई तक 76 खोज एवं बचाव अभियानों में 74 लोगों की जान बचाई गई है। स्थापना से अब तक तटरक्षक बल 14,500 से अधिक लोगों का जीवन सुरक्षित कर चुका है। सुबोध/२९ -०९-२०२५