राज्य
18-Oct-2025


धन के देवता हैं कुबेर महाराज मंदसौर (ईएमएस)। धन के देवता भगवान कुबेर की 1252 वर्ष पुराने मंदिर में सातवीं शताब्दी की मूर्ति स्थापित है। मंदसौर के खिलचीपुर स्थित भगवान कुबेर का प्राचीन मंदिर आसपास के श्रद्धालुओं के बीच आस्था और श्रद्धा का सबसे बड़ा केंद्र है। इस मंदिर की स्थापना 1252 वर्ष पूर्व हुई थी। तब से कुबेर भगवान की पूजा यहां पर होती आ रही है। माना जाता है, कुबेर भगवान का पहला स्थान केदारनाथ धाम है। जहां पर कुबेर की प्रतिमा स्थापित है। खिलचीपुर का कुबेर मंदिर 90 डिग्री झुका हुआ मंदिर है। जो देखने से नही लगता है। खिलजी शासन काल के समय खिलचीपुरा क्षेत्र को बसाया गया था। कहा जाता है, मंदिर के गर्भ ग्रह में कभी ताला नहीं लगता है। धनतेरस पर यहां विशेष सजावट की जाती है। इस मंदिर की नीव नहीं है। इसके बाद भी यह 1252 वर्षों से ज्यों का त्यों खड़ा हुआ है। धनतेरस के दिन सुबह 4 बजे यहां पर तंत्र पूजा के लिए मंदिर के द्वार भक्तों के लिए खुलते हैं। यहां की कुबेर भगवान की प्रतिमा को पूजा और तंत्र साधना के लिए बड़ा शुभ माना जाता है। यहां पर देशभर से बड़ी संख्या में श्रद्धालु पहुंचते हैं। मंदिर और प्रतिमा का इतिहास इतिहासकार कैलाश पांडे के अनुसार 1252 वर्ष पूर्व मराठा काल में इस मंदिर की स्थापना हुई थी। गर्भ ग्रह के उत्तर में सातवीं शताब्दी की गुप्तकालीन भगवान कुबेर की प्रतिमा है। 1978 में इस मूर्ति की पहचान की गई थी। भगवान कुबेर को बड़े पेट वाले चतुर्भुज रूप में दर्शाया गया है। भगवान के एक हाथ में धन की थैली, दूसरे हाथ में प्याला तथा अन्य दो हाथों में शस्त्र हैं। कुबेर जी अपने वाहन नेवले पर सवार हैं। गर्भ ग्रह में कुबेर भगवान के साथ धौलागिरी महादेव और भगवान गणेश की प्रतिमा स्थापित है। गर्भग्रह का प्रवेश द्वार मात्र 3 फीट ऊंचाई का है। यहां पर हर किसी को झुक कर प्रवेश करना पड़ता है। परंपरा के अनुसार कुबेर भगवान को पीठ दिखाकर कोई भी नहीं निकलता है। एसजे/ 18 अक्टूबर/2025