राष्ट्रीय
21-Oct-2025
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भारत की बख्तरबंद युद्ध प्रणाली के आधुनिकीकरण की दिशा में अहम प्रगति नई दिल्ली,(ईएमएस)। देश और दुनिया में हालात लगातार बदल रहे हैं। इसे देखते हुए ग्लो बल लेवल पर कटिंग एज वेपन सिस्टरम की डिमांड और घातक मिसाइल से लेकर मॉडर्न फाइटर जेट की मांग बढ़ गई है। घरेलू स्तनर पर प्रोडक्श न के साथ ही इंपोर्ट भी किया जा रहा है। टेक्नोरलॉजी और मॉडर्न वेपन सिस्टरम डेवलप करने की इस होड़ से भारत भी अछूता नहीं है। मिसाइल से लेकर फाइटर जेट, टैंक, एयर डिफेंस सिस्टीम, लड़ाकू विमान आदि से जुड़े प्रोजेक्टै को रफतार दी जा रही है, ताकि राष्ट्री य जरूरतों को देखते हुए उसे समय पर पूरा किया जा सके। इस दिशा में डिफेंस रिसर्च एंड डेवलपमेंट ऑर्गेनाइजेशन (डीआरडीओ) ने सफलता हासिल की है। डीआरडीओ ने एनएजी एमके-2 एंटी-टैंक गाइडेड मिसाइल का सफल परीक्षण किया है। इससे इंडियन आर्मी की ताकत में और वृद्धि होने की संभावना है। खासकर बॉर्डर इलाके में दुश्मून के मूवमेंट पर प्रभावी तरीके से लगाम लगाने में सफलता मिलेगी। एनएजी एमके-2 गाइडेड मिसाइल ब्रह्मोस, अग्नि-5 और अमेरिकी टॉमहॉक से काफी अलग है। भारत ने स्वदेशी रक्षा तकनीक के क्षेत्र में एक और बड़ी उपलब्धि हासिल की है। देश में विकसित हल्के टैंक ‘ज़ोरावर’ से एनएजी एमके-2 एंटी-टैंक गाइडेड मिसाइल का सफल परीक्षण किया है। इस परीक्षण ने न केवल भारत की उन्नत युद्धक क्षमता को प्रदर्शित किया है, बल्कि रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता के दिशा में एक और निर्णायक कदम बढ़ाया है। यह परीक्षण डीआरडीओ की देखरेख में किया गया। इस उपलब्धि के साथ भारत ने अपने बख्तरबंद युद्ध प्रणाली के आधुनिकीकरण की दिशा में अहम प्रगति की है। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने इस सफलता पर डीआरडीओ और इसके सहयोगी संगठनों को बधाई देते हुए कहा कि यह परीक्षण देश की तकनीकी क्षमता और जटिल हथियार प्रणालियों के स्वदेशी एकीकरण की दक्षता को प्रमाणित करता है। तीसरी पीढ़ी की सभी मौसमों में काम करने वाली दागो और भूल जाओ मिसाइल जो प्रक्षेपण के बाद लॉक हो सकती है। हाई एक्सकप्लोासिव एंटी टैंक वारहेड से लैस। मॉर्डन टैंक को तबाह करने के लिए एक्सकप्लोंसिव रिएक्टिव आर्मर का इस्तेेमाल। एनएजी एमके-1 का रेंज 1.4 किलोमीटर है। एनएजी एमके-2 का रेंज 7 से 10 किलोमीटर तक होगा। ज़ोरावर लाइट टैंक का डिजाइन और विकास डीआरडीओ के कॉम्बैट व्हीकल्स रिसर्च एंड डेवलपमेंट इस्टैब्लिशमेंट, चेन्नई ने किया है, जबकि इसका निर्माण लार्सन एंड टुब्रो ने किया है। इस परियोजना में पब्लिक और प्राइवेट सेक्टबर के बीच मजबूत समन्वय देखा गया है, जो भारत की रक्षा उद्योग में इनोवेशन का उत्कृष्ट उदाहरण है। ज़ोरावर को इस तरह से डिजाइन किया है कि यह ऊंचाई वाले इलाकों से लेकर रेगिस्तानी क्षेत्रों तक में प्रभावी रूप से काम कर सके। भारी टैंकों की तुलना में इसका वजन कम है, जिससे यह कठिन और ऊबड़-खाबड़ इलाकों में भी तैनात किया जा सकता है। परीक्षण में ज़ोरावर ने एनएजी एमके-2 मिसाइल को सफलतापूर्वक दागा और सभी निर्धारित प्रदर्शन लक्ष्यों को हासिल किया। मिसाइल ने अपने सभी चरणों में सटीकता दिखाई। फिर चाहे वह डायरेक्ट अटैक मोड हो या टॉप अटैक मोड। टेस्टफ में टार्गेट को तबाह करने की क्षमता, फायरिंग रेंज और टैंक की गतिशीलता के सभी मानक पूरी तरह संतोषजनक रहे। एनएजी एमके-2 मिसाइल डीआरडीओ की पहले से सिद्ध ‘नाग’ मिसाइल सीरीज का अपग्रेडेड वर्जन है। इसमें बेहतर इन्फ्रारेड सीकर, अधिक आर्मर पेनेट्रेशन क्षमता और हाई-प्रीसीजन वाली गाइडेंस सिस्टयम शामिल है। यह मिसाइल आधुनिक बख्तरबंद खतरों से निपटने के लिए तैयार की गई है और भविष्य के युद्ध परिदृश्यों में निर्णायक भूमिका निभा सकती है। डीआरडीओ के अधिकारियों के मुताबिक ज़ोरावर टैंक पर एनएजी एमके-2 मिसाइल सिस्टाम का सफल इंटीग्रेशन यह दर्शाता है कि भारत अब डिजाइन, विकास, उत्पादन और परिचालन परीक्षण तक की पूरी रक्षा क्षमता में आत्मनिर्भर हो चुका है। सिराज/ईएमएस 21 अक्टूबर 2025