बिहार में विधानसभा चुनाव ज्यादा दूर नही है।बिहार में इंडिया गठबंधन में अंदरूनी खींचतान समाप्त होने का नाम नही ले रही है।पहले कांग्रेस और राजद में सीट बंटवारे को लेकर खींचतान हई थी।परंतु अब तेजस्वी के नाम पर पेंच फसने के बाद बिहार में इंडिया गठबंधन को मार्ग नही सूझ रहा है।प्रयास तेज हो गए है,लेकिन आगामी दिनों में बड़ी चुनौती से पार्टी भी इंकार नही कर सकती है।कांग्रेस और सीपीआईएमएल ने अभी तक मुख्यमंत्री के नाम पर सहमति नही दी है।जिससे पार्टी में अंदरूनी लड़ाई तेज है और यह लड़ाई सड़क पर नही उतरे,उसके लिए सभी दल विचार विमर्श कर आगे का मार्ग प्रशस्त करने में लगे है।दिवाली के बाद तस्वीर साफ होने का कयास लगाया जा रहा है। विवाद को हवा दी जा रही है।इन दलों के बीच विभाजक रेखा खींची दिखाई दे रही है।राजद के सुप्रीमो तेजस्वी यादव के नाम पर की गई घोषणा को इमोशनल करार दिया गया है।तेजस्वी और राहुल गांधी ने वोटनीति के बदले बिहार में अन्याय यात्रा में शामिल होने पर राहुल ने तेजस्वी के नाम मुख्यमंत्री की घोषणा की गई थी।लेकिन दूसरे दलों से सलाह मशविरा नही की गई।इसलिए अब बिहार में चुनाव के दरमियान लोगो के मिजाज भांप कर कांग्रेस और सीपीआईएमएल के मन मे परिवर्तन की लहर दौड़ती दिखाई दी है।कांग्रेस का अभी भी कहना है कि तेजस्वी की अगुवाई में कोई अस्पष्टता नही है।क्योंकि वे विपक्ष के नेता और गठबंधन की सबसे बड़ी पार्टी के प्रमुख है।लेकिन अभी तक आधिकारिक घोषणा नही हुई है।राजद के कई नेताओं को पार्टी में फिर रिपीट मौका दिया जाना और जिनको रिपीट थ्योरी से बाहर का रास्ता बताये जाने पर राजद से नाराज है।पूर्व पूर्वी चंपारण जिले की मधुबनी विधानसभा सीट के राष्ट्रीय जनता दल के पूर्व प्रत्याशी मदन शाह का दर्द राबड़ी आवास के बाहर फुट पड़ा।उनको पार्टी टिकट नही मिलने से फुट फुट कर रोने लगें।इस दौरान तेजस्वी यादव के राजनीतिक सलाहकार संजय यादव पर टिकट बेचने का गम्भीर आरोप लगाया।जो अपने कार्यकाल में अच्छा प्रदर्शन नही कर सके।विकास का कोई कार्य नहीं किया,ऐसे प्रत्याशियों को नो रिपीट थ्योरी के तहत घर बैठाने का कार्य बिहार में हर पार्टियां कर रही है।यह जरूरी भी है।इस बीच कांग्रेस और आरजेडी के मध्य लम्बे समय से चला आ रहा सीट बंटवारे को लेकर विवाद खत्म नही हुआ है।कई सीटों को लेकर महागठबंधन में ही लड़ाई की स्थिति बनी हुई है।बिहार चुनाव में विवादों,संघर्ष का रास्ता छोड़कर एक मंच में आते नही दिखते है तो फिर महागठबंधन की गांठ कोई खोल नही सकेगा।उनके प्रयास से पार्टी, संगठन फिर पटरी पर लौट सकते है। बिहार में मतभेद भुलाकर सभी घड़े एक साथ आने को तैयार है।कांग्रेस की मजबूरी है,नही तो, कांग्रेस के तेवर टेढ़े मेढ़े थे।कांग्रेस किसी भी दल को तवज्जों देने वाली पार्टी नही थी।लेकिन अब ऊंट पहाड़ के नीचे आ गया है।अब जाए तो जाए कहा?कांग्रेस बिहार में कई वर्षों से राजनीति के गलियारों से बाहर थी।लेकिन इस बार भी कांग्रेस के पास कोई विकल्प नही था।तेजस्वी और अन्य दल महागठबंधन का हिस्सा बनने के बाद राहुल की सक्रियता बढ़ गई है।बिहार में राजद पार्टी में उथल पुथल से तेजस्वी और लालू के लिए मुसीबत बढ़ गई है।राजद के पास तेजस्वी का कोई विकल्प नही है।मतभेदों को भुलाकर बिहार में महागठबंधन एक साथ आने के लिए कमर कस ली है।राजद में विवादों का नया सिलसिला राज्य में मुख्यमंत्री के पद को लेकर है लेकिन इसका सुलह होने पर आगे का मार्ग खुलेगा,जिसकी जानकारी हर नेताओ को है।बिहार की सियासी पार्टियां में उबाल देखने को मिल रहा है।क्योंकि ठंडे पानी मे उबाल आ गया है।राजद और कांग्रेस के बीच सारा झगड़ा मुख्यमंत्री की कुर्सी का है।तेजस्वी यह भी नही कहते कि मुझे मुख्यमंत्री पद की कोई ख्वाहिश नही है।इस तरह से पार्टी के बीच जंग चलती रहती है तो चुनाव में भी खामियाजा भुगतने के लिए तैयार रहना होगा।कांग्रेस और सीपीआईएम एल की बात माननी ही पड़ेगी।अगर बात नही मानी तो अंजाम कुछ भी हो सकता है।तेजस्वी झगड़े का अंत नही करा सकते है।लालू प्रसाद से कांग्रेस के नेताओ की मुलाकात के बाद भी कोई विशेष फर्क नही दिखाई दिया।इन दलों में विवाद की जड़ मुख्यमंत्री का पद है।लेकिन बिहार विधानसभा के मद्देनजर यह भी कयास लगाए जा रहे है कि राजद को डबल सीटे होने के कारण तेजस्वी के नाम का ही दायित्व बनता है।तेजस्वी की रणनीति की कितनी कारगर होगी,यह समय की बलिहारी है।बिहार में टिकट नही मिलने पर अनेक प्रत्याशियो ने निर्दलीय चुनाव लड़ने का फैसला किया है।कारकाट विधानसभा सीट से पवनसिंह की धर्मपत्नी ज्योति का नाम जन सुराज से लड़ने की चर्चा जोरों पर थी।लेकिन अभी निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर सोमवार नामांकन दाखिल करने की तैयारी कर दी है।बिहार में अब शुभ दिवाली और नए वर्ष की शुभकामनाओ के साथ ही सियासी रंग बदलने लगेंगे।क्योकि विपक्ष मुखर है।महागठबंधन के नेता लालू यादव परिवार का नाम केंद्रीय रेलवे में कथित घोटाले का राजपाश खुलने के बाद बिहार की राजनीति में गरमाहट आ गई है।विपक्ष को मुद्दा मिल गया है।लेकिन लालू ने संयम बरतने की सिख दी है।बिहार में सतारूढ़ भाजपा मोर्चा खोलने के लिए आगामी दिनों में रणनीति बना सकती है।नीतीश सरकार उपरोक्त भ्रष्टाचार के खिलाफ घमासान मचाने के लिए पूरी तैयारी में है।लालू के घोटाला राजद के लिए गले की हड्डी बन गया है।बिहार के विधानसभा चुनाव में लालू परिवार के भ्रष्टाचार की पोल खुलने से सियासी घमासान में आग में घी का काम किया है।सियासी भूचाल को हवा खुद लालू ने दी है।क्योंकि लालू हर समय भाजपा पर आरोप लगाते आ रहे है।लेकिन असली अपराधी साहूकरो के नाम पर राजनीति करता है तो एक दिन परते तो खुलकर ही रहेगी।क्योकि जुठ ज्यादा दिन तक छुपकर नही रह सकता है।अब बिहार में नेताओ के बीच जुबानी बयानबाजी शुरू हो गई है।सतारूढ़ सरकार आरोप प्रत्यारोप के समर में कूद पड़ी है।बिहार में सियासी माहौल को एनडीए गठबंधन अपने पक्ष में भुनाने की कोशिश कर रही है।भाजपा और जेडीयू को दो तरफ से फायदा मिलता नजर आ रहा है।कांग्रेस और राजद की सीट बंटवारे की तकरार और तेजस्वी के भ्रष्टाचार के कारण बिहार में महागठबंधन की ताकत कमजोर हो चुकी है।राजद को बिहार में कुछ सफलता के आसार अब नही हो सकते है।क्योंकि राजद के भ्रष्टाचार की कहानी सुप्रीम कोर्ट ने सार्वजनिक कर दी है।राजनेतिक उठापटक एवं अस्थिरता से बाहर निकलकर तेजी के साथ विकास के पथ पर आगे बढ़ने में नीतीश कुमार ने फिर से कमर कस ली है।चुनाव नतीजों के बाद जेडीयू गठबंधन का मुख्यमंत्री निश्चित करने की बात गृहमंत्री अमित शाह ने चुनाव प्रचार के दौरान कही है।लेकिन उधर,तेजस्वी के नाम मुख्यमंत्री की मुहर नही लगी है।क्योंकि ये घटनाएं आम और खास को निराश करने लगी है।बिहार का माहौल नीतीश कुमार के कार्यकाल में अच्छा है।और यह दावा भी किया गया है।लेकिन देखना यह है कि बीस साल तक एक ही मुख्यमंत्री के पद को शोभायमान करने वाले नीतिश कुमार का विकास मतदाताओ को फिर बांध कर रखेगा?बिहार में दबंगो और अपराधियों के मन में सरकार के इकबाल का भय है इसलिए वे कभी भी सूबे का माहौल खराब करने की जुर्रत नही कर सकेंगे।यही नीतीश बाबू की बिहार में बहार है। ( L 103 जलवन्त टाऊनशिप पूणा बॉम्बे मार्केट रोड नियर नन्दालय हवेली सूरत मो 99749 40324 वरीष्ठ पत्रकार, साहित्यकार, स्तम्भकार) ईएमएस / 22 अक्टूबर 25