पुणे, (ईएमएस)। पुलिस विभाग में किस कदर भ्रष्टाचार है इसका फिर एक प्रमाण सामने आया है। खबर है कि पुणे से सटे पिंपरी-चिंचवड़ पुलिस आयुक्तालय की आर्थिक अपराध शाखा में कार्यरत एक पुलिस उपनिरीक्षक को भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (एंटी करप्शन) ने रविवार को 46 लाख 50 हजार रुपये की रिश्वत लेते हुए रंगे हाथों गिरफ्तार किया। इस कार्रवाई से पुलिस विभाग में हड़कंप मचा है। आरोपी उपनिरीक्षक का नाम प्रमोद रवींद्र चिंतामणि (उम्र 44, निवासी सोपान रेजीडेंसी, गंगोत्री पार्क, दिघी रोड, भोसरी। मूल निवासी कर्जुले हरियाल, तालुका पारनेर, जिला अहिल्यानगर) है। चिंतामणि आर्थिक अपराध शाखा में कार्यरत हैं और उन्होंने शिकायतकर्ता से बड़ी रकम की मांग की थी। जिसके बाद एंटी करप्शन की एक टीम ने जाल बिछाया और रविवार को प्रमोद चिंतामणि को रिश्वत लेते हुए रंगे हाथों पकड़ लिया। बताया गया है कि चिंतामणि के घर की जब तलाशी ली गई तब उनके घर से 51 लाख रुपये नकद ज़ब्त किए गए। इन पैसों के साथ ही एंटी करप्शन ने आभूषण और संपत्ति के दस्तावेज़ भी ज़ब्त किए हैं। इस मामले में एंटी करप्शन आर्थिक अपराध शाखा के पुलिस निरीक्षकों से भी पूछताछ करेगी। एंटी करप्शन द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार, चिंतामणि ने शिकायतकर्ता से 2 करोड़ रुपये की रिश्वत मांगी थी। एंटी करप्शन ने उसे उस रिश्वत की पहली किश्त लेते हुए रंगे हाथों पकड़ लिया। इस मामले में देर रात समर्थ थाने में मामला दर्ज किया गया। कल सोमवार शाम 4 बजे उसके घर की तलाशी में मिले नकद और अन्य दस्तावेज़ों की गिनती देर रात तक की जाती रही। यह पहली बार है जब किसी पुलिस उपनिरीक्षक के घर से इतनी बड़ी मात्रा में नकदी मिली है। रिश्वत मांगते समय चिंतामणि ने अपने लिए 1 करोड़ रुपये और वरिष्ठ पुलिस निरीक्षकों के लिए 1 करोड़ रुपये मांगे थे, इसलिए भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो उसके वरिष्ठ पुलिस निरीक्षकों से भी पूछताछ करेगा। आपको बता दें कि पिंपरी-चिंचवड़ समेत राज्य के प्रमुख शहरों की वित्तीय अपराध शाखाओं में करोड़ों रुपये के निवेश धोखाधड़ी के मामलों की जांच चल रही है। पुलिस अक्सर दस्तावेज़ों की पेचीदगी का हवाला देकर मामला दर्ज करने से कतराते हैं। कुछ मामलों में, मामला दर्ज होने के बाद भी, अक्सर ऐसी शिकायतें आती रहती हैं कि आरोपियों के खिलाफ कार्रवाई करते समय शिकायतकर्ताओं को तरह-तरह से परेशान किया जाता है। कई लोगों ने यह भी आरोप लगाया है कि आरोपियों को राहत देने या जांच में मदद करने के नाम पर मोटी रकम की मांग की जाती है। इस के मद्देनजर यह कहा जा रहा है कि पुलिस उपनिरीक्षक प्रमोद चिंतामणि के खिलाफ रिश्वत मामले में हुई कार्रवाई से इन आरोपों की सच्चाई सामने आई है। जतिन/संतोष झा- ०३ नवंबर/२०२५/ईएमएस