नई दिल्ली,(ईएमएस)। इजराइल के विदेश मंत्री गिदोन सा’र मंगलवार को भारत दौरे पर पहुंचे। विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर के साथ हुई बैठक में उन्होंने आतंकवाद के खिलाफ भारत और इजराइल के साझा रुख पर जोर देते हुए कहा, कि कट्टरपंथी आतंकवाद भारत और इजराइल दोनों के लिए समान खतरा है। उन्होंने पहलगाम आतंकी हमले की कड़ी निंदा करते हुए पाकिस्तान को दो टूक संदेश दिया, कि आतंकवाद को पनाह देने वाले देशों के खिलाफ सख्त कार्रवाई जरूरी है। इजराइली मंत्री ने कहा कि उनका देश आतंकवादी हमलों से जूझ रहा है, जहां गाजा में हमास, लेबनान में हिजबुल्लाह और यमन में हूथी जैसे आतंकी संगठन दशकों से क्षेत्र की स्थिरता को चुनौती दे रहे हैं। उन्होंने कहा, हमास जैसे आतंकवादी संगठन का उन्मूलन हमारे क्षेत्र की सुरक्षा के लिए आवश्यक है। गाजा को विसैन्यीकृत किया जाना चाहिए और इसमें कोई समझौता नहीं होगा। गिदोन सा’र ने भारत की प्रशंसा करते हुए कहा कि इजराइल एक क्षेत्रीय महाशक्ति है, जबकि भारत एक वैश्विक शक्ति और सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था है। दोनों देशों के बीच दीर्घकालिक रणनीतिक साझेदारी बनाने का लक्ष्य है। उन्होंने यह भी याद दिलाया कि ऑपरेशन सिंदूर के दौरान इजराइल ने भारत का खुले दिल से समर्थन किया था। बैठक के दौरान डॉ. एस. जयशंकर ने कहा कि भारत और इजरायल के बीच सेमीकंडक्टर और साइबर सुरक्षा में लंबे समय से सहयोग रहा है, जो अब और भी प्रासंगिक हो गया है। उन्होंने बताया कि भारत अगले वर्ष फरवरी में एआई इम्पैक्ट समिट की मेजबानी करेगा और उसमें इजराइल की भागीदारी की प्रतीक्षा की जा रही है। ऐतिहासिक संबंधों की याद भारत और इजराइल के रिश्तों की जड़ें एक सदी पुरानी हैं। वर्ष 1918 में हाइफा की लड़ाई में भारतीय सैनिकों ने ओटोमन साम्राज्य से इजराइल के हाइफा शहर को मुक्त कराया था। इस युद्ध का नेतृत्व मेजर दलपत सिंह ने किया था, जिन्हें बाद में हाइफा के हीरो के रूप में जाना गया। इस लड़ाई में जोधपुर, मैसूर और हैदराबाद लांसर्स की भारतीय टुकड़ियों ने घुड़सवार युद्ध शैली में दुश्मनों को परास्त किया। इसमें करीब 900 भारतीय सैनिक वीरगति को प्राप्त हुए, लेकिन अंततः भारतीय सेना ने हाइफा पर कब्जा कर लिया, जिससे ओटोमन साम्राज्य का 400 साल पुराना शासन समाप्त हुआ। इजराइल में मनता है हाइफा डे इजराइल में आज भी इन भारतीय सैनिकों की वीरता की स्मृति में हाइफा डे मनाया जाता है। भारतीय राजदूत जेपी सिंह के अनुसार, प्रथम विश्व युद्ध के दौरान 74,000 भारतीय सैनिकों ने प्राणों की आहुति दी, जिनमें से 4,000 से अधिक पश्चिम एशिया में शहीद हुए थे। आज, इजराइल उन ऐतिहासिक संबंधों और बलिदानों को याद करते हुए भारत के साथ अपने संबंधों को और अधिक सशक्त करने की दिशा में आगे बढ़ रहा है। हिदायत/ईएमएस 04नवंबर25