घास-फूस की टपरिया में लगी आग ने पकी धान के ढेरों सहित सब कुछ निगला रोते-बिलखते बेटों ने अंधेरे में तलाशे अपने जलते माता-पिता कटनी (ईएमएस)। कटनी से बीस किमी दूर स्थित थाना शाहनगर के अंतर्गत बोरी चौकी क्षेत्र के बिहरिया गांव में गत रात एक दर्दनाक हादसा हो गया। खेत पर घास-फूस की टपरिया बनाकर रह रहे बुजुर्ग दंपति अचानक लगी आग की भयंकर लपटों में झुलस गए। गंभीर हालत में उन्हें कटनी होते हुए जबलपुर रेफर किया गया, जहां इलाज के दौरान रविवार रात पति श्यामले आदिवासी (लगभग 65 वर्ष) ने दम तोड़ दिया। उनकी पत्नी सियाबाई (60 वर्ष) जीवन और मृत्यु के बीच संघर्ष कर रही हैं। परिवार के अनुसार आग इतनी तेजी से फैली कि देखते ही देखते टपरिया, बर्तन, कपड़े, खाने-पीने का सामान और खेत के पास खलिहान में रखी पकी धान के तीन बड़े ढेर चंद मिनटों में राख में बदल गए। हादसे की चीख-पुकार के बीच गांव के लोग दौड़ते हुए पहुंचे और दंपति को मलबे और आग की लपटों से बाहर निकाला। परिजनों ने बताया कि घटना शाम करीब 7 बजे की है। छोटे बेटे सुनील आदिवासी के मुताबिक, “गांव वालों की आवाज आई कि तुम्हारे मां-बाप आग में जल रहे हैं। हम तीनों भाई भागते हुए पहुंचे तो सामने सब कुछ आग के भयंकर समंदर में बदल चुका था।” परिजन किसी तरह लकवाग्रस्त श्यामले आदिवासी और सियाबाई को बाहर निकालकर अस्पताल लेकर पहुंचे। स्थानीय प्रशासन को घटना की सूचना दे दी गई है। आग लगने के कारणों की जांच की जा रही है। बुजुर्ग दंपति खेत में अपनी पकी हुई धान की फसल की रखवाली के लिए कई दिनों से वहीं रह रहे थे। आग की यह त्रासदी न केवल एक परिवार के लिए गहरा सदमा है, बल्कि पूरे गांव को शोक में डुबो गई है। खेत का आसरा, पकी फसल और घर का सारा सामान एक रात में राख हो जाने से परिवार पूरी तरह बेसहारा हो गया है। सियाबाई की हालत में कुछ सुधार बताया गया है, परंतु परिवार अब भी इस विनाशकारी हादसे के सदमे से उबर नहीं पा रहा है। गाँव में मानवीय पीड़ा और सहानुभूति का माहौल है, और ग्रामीण प्रशासन से शीघ्र सहायता की मांग कर रहे हैं। .../ 17 नवम्बर/2025