व्यस्तता क़े कारण रिश्तों में आ रही दूरियों क़ो खत्म करना होगा बढ़ती खाइयों क़ो पटना होगा ताकि रिश्ते अटूट बने रहें। रिश्तों को बरकरार रखना होगा। आभासी दुनिया से बाहर निकलना होगा।आभासी दुनिया ने ख़ूनी रिश्ते छीन लिए हैं। रिश्तों क़ो बचाना होगा। प्रत्येक मानव व्यस्त है किसी क़े पास समय ही नहीं है हालांकि हर आदमी के चौबीस घंटे होते हैं लेकिन कौन मानव उनका कितना सदुपयोग करता है या दुरूपयोग करता है यह मानव पऱ निर्भर है। आभासी दुनिया ने सबको व्यस्त कर दिया है समय का दुरूपयोग करने वालों क़ो क़ो इससे कोई सरोकार नहीं होता लेकिन जो समय का सदुपयोग करता है उसे समय की कीमत पता होती है की एक एक मिनट की कितनी वैल्यू होती है लेकिन वर्तमान परिवेश में मानव की अनावश्यक व्यस्तता इतनी बढ़ गई है की 24 घंटे भी कम होने लगे हैं। व्यस्तता ही व्यस्तता हो गई है किसी क़े लिए एक मिनट का समय नहीं है। व्यस्तता ने कई खुनी रिश्ते छिन लिए हैं। रिश्तों क़ो बचाना होगा।आज लोगों क़े पास सही कार्यों क़े लिए वक़्त नहीं है जबकि फालतू कार्यों क़े लिए समय कम पड़ रहा है। इंसान इंटरनेट की नाटी में नाच रहा है। दूसरों क़ो इग्नोर कर रहा है मतलब हो तो समय ही समय है अगर मतलब नहीं है तो एक मिनट का समय नहीं है। आज लोग इतने व्यस्त हो गए हैं की खाना खाने का समय नहीं हैं। एक समय था की सबको समय दिया जाता था लेकिन अब तो लोगों क़े पास एक मिनट का समय नहीं होता है। गैरों क़े लिए समय ही समय होता है लेकिन अपनों क़ो इग्नोर किया जाता है यह ट्रेंड बढ़ता ही जा रहा है। कुछ लोग तो इंटरनेट क़ो ही सब कुछ मानते है पड़ोसी क़ो भी इंटरनेट पऱ ही सर्च करते हैं। आस पड़ोस का पता नहीं है लेकिन दोस्त विदेशों में है पड़ोसी क़े लिए एक मिनट का समय नहीं होता लेकिन अजनबी से घंटो बातचीत होती है। आज लोग इतने व्यस्त हो गए हैं की समय कम पड़ने लगा है। अपनों क़े लिए समय ही नहीं होता।फेसबुक, व्हाट्सप्प, इंस्टाग्राम पऱ अजनबी लोगों क़ो पैसा दे रहे हैं और ठगे जा रहे हैं अपनों क़ो एक रुपया देने से भी परहेज करते हैं पैसा देने से पहले हजारों बार सोचेंगे। खुनी रिश्तों में बिखराव एक त्रासदी है।रिश्तों क़ो बचाना चाहिए मुश्किल व मुसीबत में अपने ही काम आते हैं आभासी दुनिया क़े लोग तमाशा देखते हैं। आभासी दुनिया नहीं थी तब रिश्तों में मिठास होती थी लेकिन अब लोग आभासी दुनिया क़ो ही सब कुछ मान बैठे हैं। क्या खाया एक सेकंड में व्हाट्सप्प व फेसबुक पर स्टेटस डाला जाता है। पहले यह सब नहीं था तो रिश्ते मजबूत थे। एक दूसरे क़े दुःख दर्द में साथ देते थे लेकिन आज औपचारिकता ही निभा रहे हैं रिश्तों में औपचारिकता नहीं होती सच्चे मन से साथ देना चाहिए ताकि रिश्ते कभी न टूट पाएं और सदैव बने रहें।अक्सर देखा गया है की आज लोग बाहरी व विदेशी लोगों से मित्रता करना बड़ी शान समझते हैं लेकिन जब लुटे जाते हैं तब होश ठिकाने आते हैं। अपना खून अपना ही होता है अपनों क़ो समय दीजिये अपनों क़ो नाराज मत कीजिये आभासी दुनिया चार दिन ही चलती है जबकि रिश्ते ताउम्र चलते हैं। अपनों का साथ दीजिये उनका सहयोग कीजिये तभी रिश्ते बच सकते हैं रिश्तों क़ो तोडना आसान है जोड़ना बहुत ही मुश्किल होता है। आज अपनों क़ो गिराया जाता है और गैर क़ो गले लगाया जाता है। रिश्तों में कड़वाहट आती जा रही है। छोटे छोटे स्वार्थ से रिश्तों में शत्रुता पैदा हो रही है। रिश्तों में स्वार्थ नहीं होना चाहिए बल्कि स्वार्थ से ऊपर उठकर रिश्तों क़ो निभाना चाहिए। गिले शिवके खत्म करने चाहिए ताकि रिश्तों में मिठास बनी रहे। व्यस्तता क़े बाबजूद भी रिश्तों क़े लिए समय दीजिये। व्यस्तता तो कभी खत्म नहीं होती। खुनी रिश्तों क़ो बचा लीजिये कहीं देर न हो जाये बाद में पछताना पड़ता है। ईएमएस / 26 नवम्बर 25