लेख
विजयी व्यक्ति स्वभाव से, बहिर्मुखी होता है। पराजय व्यक्ति को अन्तर्मुखी बनाती है। - प्रेमचंद जो कर्म छोड़ता है वह गिरता है, कर्म करते हुए भी जो उसका फल छोड़ता है वह चढ़ता है। - महात्मा गांधी ईएमएस / 26नवम्बर 25