इस्लामाबाद,(ईएमएस)। बीते रोज मंगलवार को अयोध्या के राम मंदिर में भगवा ध्वज फहराया गया। ठीक उसी दिन पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय ने प्रेस रिलीज जारी कर भारत पर अपशब्दों की बौछार कर दी। जिस देश में लोग आटे-बिजली को तरस रहे हैं, बेरोजगारी 40 साल के उच्चतम स्तर पर है, और न्यायाधीश सड़कों पर उतर आए हैं, उसी देश को अचानक राम मंदिर से पेट में मरोड़ उठने लगी। पाकिस्तान ने 6 दिसंबर 1992 की बाबरी मस्जिद विध्वंस का पुराना राग अलापा और राम मंदिर को “हिंदुत्व की जीत” तथा “अल्पसंख्यकों के अधिकारों का हनन” बताया। उसने संयुक्त राष्ट्र से भी हस्तक्षेप की गुहार लगाई। लेकिन दुनिया जानती है कि जिस देश की अर्थव्यवस्था आईएमएफ की बैसाखी पर खड़ी हो, उसकी बात का अब कोई वजन नहीं रह गया है। भारत ने इस बयान को पूरी तरह नजरअंदाज कर दिया। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने संक्षेप में कहा, राम मंदिर भारत का आंतरिक मामला है और यह देश की सर्वोच्च अदालत के 2019 के ऐतिहासिक फैसले के बाद बना है। पाकिस्तान को अपने घर की चिंता करनी चाहिए। पाकिस्तान की प्रेस रिलीज में इस्लामोफोबिया और अल्पसंख्यक अधिकार का ढोंग देखकर हंसी आती है। उसी पाकिस्तान में आजादी के वक्त हिंदू-सिख आबादी 23प्रतिशत थी, आज 2प्रतिशत से भी कम रह गई है। सिंध और बलोचिस्तान में हिंदू-सिख लड़कियों का अपहरण और जबरन धर्मांतरण रोज की खबर है। वहां मस्जिदों में ही बम फटते हैं, मगर भारत को इबादतगाहों की सुरक्षा का पाठ पढ़ाया जा रहा है। यह पाकिस्तान का पुराना पैंतरा है। जब भी घर में आग लगती है, कश्मीर या “इस्लाम खतरे में” का नारा लगाकर ध्यान भटकाया जाता है। अब नया बहाना अयोध्या का मिल गया। महंगाई 40प्रतिशत, बिजली 18-18 घंटे गायब, डॉक्टर-वकील सड़कों पर, लेकिन हुक्मरानों का पूरा फोकस राम मंदिर पर। राम मंदिर करोड़ों भारतीयों की आस्था का प्रतीक है, जो कानून के दायरे में बना है। पाकिस्तान चाहे जितना भौंक ले, भारत अपनी विरासत को सहेजने और विकसित राष्ट्र बनने के पथ पर आगे बढ़ रहा है। उसे न तो पाकिस्तान की सलाह चाहिए, न उसकी चिंता। जिस देश का अपना संविधान ही खतरे में हो, उसे दूसरों को कानून का पाठ पढ़ाने का कोई हक नहीं। वीरेंद्र/ईएमएस/26नवंबर2025