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26-Nov-2025
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मथुरा,(ईएमएस)। उत्तर प्रदेश में 2027 के विधानसभा चुनाव से पहले कृष्ण जन्मभूमि-शाही ईदगाह विवाद को एक बार फिर जनता के बीच लाने की रणनीति तैयार हो रही है। भाजपा और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ इस मुद्दे से सीधे तौर पर नहीं जुड़ेंगे, लेकिन संत समाज के माध्यम से इसे धार्मिक-सामाजिक आंदोलन का रूप देने की योजना है। हाल ही में बागेश्वर धाम के धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री की दिल्ली से वृंदावन तक की विशाल पदयात्रा को इसी कड़ी का पहला कदम माना जा रहा है। भाजपा और संघ ने वैचारिक स्तर पर अयोध्या के साथ-साथ काशी विश्वनाथ और मथुरा के कृष्ण जन्मभूमि मुद्दे का हमेशा समर्थन किया है, लेकिन अयोध्या की तरह काशी-मथुरा को कभी पार्टी या संघ का आधिकारिक राजनीतिक-संगठनात्मक एजेंडा नहीं बनाया। संघ प्रमुख मोहन भागवत ने पिछले दिनों स्पष्ट किया था कि संघ के एजेंडे में सिर्फ अयोध्या था, मथुरा नहीं। फिर भी उन्होंने यह भी जोड़ा कि यदि कोई स्वयंसेवक व्यक्तिगत रूप से ऐसे किसी आंदोलन से जुड़ता है तो वह स्वतंत्र है। सूत्रों का कहना है कि अब मथुरा के मुद्दे को अदालती प्रक्रिया के साथ-साथ संतों के जरिए जनजागरण के रूप में आगे बढ़ाया जाएगा। बागेश्वर बाबा की पदयात्रा से यह संकेत मिल गया है कि भगवान कृष्ण के नाम पर ब्रज क्षेत्र में लोगों की भावनाएं कितनी तीव्र हैं। यात्रा में बड़ी संख्या में संतों के साथ-साथ कई राजनेता भी शामिल हुए थे। अब इस भावना को व्यवस्थित रूप से कृष्ण जन्मभूमि मुक्ति के पक्ष में मोड़ा जा सकता है। इस रणनीति का एक बड़ा लाभ यह भी है कि कृष्ण जन्मभूमि का मुद्दा यादव समाज को भी जोड़ सकता है, जो खुद को श्रीकृष्ण का वंशज मानता है। इससे समाजवादी पार्टी की राजनीतिक मुश्किलें बढ़ सकती हैं, क्योंकि उसका सबसे मजबूत आधार यादव वोट बैंक ही है। इसी क्रम में मंगलवार को केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने ब्रज क्षेत्र में अपनी सक्रियता दिखाई। वे हेलीकॉप्टर से बरसाना पहुंचे और सबसे पहले माताजी गौशाला में गौसेवा की। इसके बाद रोप-वे से राधारानी मंदिर पहुंचकर दर्शन किए और माथा टेका। वहां मौजूद संतों, भाजपा कार्यकर्ताओं और भक्तों ने पारंपरिक तरीके से उनका स्वागत किया। गडकरी इसके बाद गुजरात के प्रसिद्ध कथावाचक पद्मश्री रमेश बाबा की चल रही भागवत कथा में शामिल हुए और उनसे आध्यात्मिक संवाद किया। उन्होंने कहा, “बरसाना केवल भक्ति का केंद्र नहीं, बल्कि राष्ट्र निर्माण की प्रेरणा का स्रोत भी है। यहां की आध्यात्मिक ऊर्जा पूरे देश को दिशा दे सकती है। ब्रज क्षेत्र में केंद्रीय मंत्री की यह यात्रा और संतों से मुलाकातें भी आगामी दिनों में बन रही नई धार्मिक-सामाजिक समीकरण की ओर इशारा कर रही हैं।