मुंबई (ईएमएस)। रिलीज के बाद से फिल्म ‘120 बहादुर’ को दर्शकों और कई आलोचकों से सराहना मिल रही है, खासकर इसलिए क्योंकि यह सिर्फ वीरता की कहानी नहीं है बल्कि एक समुदाय की गौरवपूर्ण विरासत को संजीदगी से पर्दे पर उतारती है। एक्सेल एंटरटेनमेंट और ट्रिगर हैप्पी स्टूडियोज़ की 120 बहादुर हाल ही में ऐसे सिनेमाई अनुभव के रूप में सामने आई है, जिसने अहिर समुदाय के ऐतिहासिक सैन्य योगदान को नई पहचान और गहरा सम्मान दिया है। शुरुआत में कुछ समूहों ने सवाल उठाए थे कि क्या फिल्म में अहिरों की भूमिका सही और सम्मानजनक तरीके से दिखाई जाएगी। लेकिन अब रिलीज़ के बाद फिल्म की ईमानदार प्रस्तुति देखकर वही दर्शक इस बात को स्वीकार कर रहे हैं कि फिल्म ने अहिर सैनिकों की बहादुरी, अनुशासन और बलिदान को बेहद संवेदनशील और सटीक रूप से दिखाया है। फिल्म में दिखाई गई बारीकियों उनकी बोली, संस्कृति, सैन्य शौर्य और जज्बे को जिस तरह से रिसर्च और सम्मान के साथ पेश किया गया है, उसने कथा को और असरदार बना दिया है। कई दर्शकों का मानना है कि जिन्होंने पहले विरोध जताया था, उन्हें दोबारा यह फिल्म देखनी चाहिए, क्योंकि यह समुदाय की असली पहचान को गौरव के साथ सामने लाती है और उनके फ़र्ज़, सम्मान और अटूट साहस को सही मायनों में श्रद्धांजलि देती है। 120 बहादुर 1962 के भारत-चीन युद्ध के दौरान लड़ी गई ऐतिहासिक रेजांग ला की लड़ाई पर आधारित है। कहानी भारतीय सेना की 13 कुमाऊं रेजिमेंट के उन 120 जवानों के अभूतपूर्व पराक्रम को दर्शाती है, जिन्होंने अत्यधिक प्रतिकूल परिस्थितियों में भी एक इंच पीछे हटने से इनकार कर दिया था। फिल्म में फरहान अख्तर मेजर शैतान सिंह भाटी (पीवीसी) की भूमिका निभा रहे हैं, जिनके नेतृत्व में इस वीरता भरे अध्याय की नींव पड़ी। पूरी फिल्म में एक पंक्ति बार-बार गूंजती है “हम पीछे नहीं हटेंगे” जो न सिर्फ सैनिकों के संकल्प को दर्शाती है बल्कि फिल्म की आत्मा बनकर उभरती है। सुदामा/ईएमएस 27 नवंबर 2025