राष्ट्रीय
28-Nov-2025
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- सभी 12 राशियाँ होंगी प्रभावित उज्जैन (ईएमएस)। 28 नवंबर से 26 जुलाई तक शनि महाराज मार्गी होकर विचरण करेंगे इस दौरान बड़े क्रांतिकारी परिवर्तन देखने को मिलेंगे भारी उथल-पुथल भारत से दुनिया के देशों में देखने को मिलेगी प्रशासनिक न्यायिक राजनीति और सामाजिक क्षेत्रों में शनि के मार्गी होने के बड़े प्रभाव देखने को मिलेंगे। जिन राशियों में शनि के कारण अभी काम रूके हुए थे ग्रह परिवर्तन से उन्हें राहत मिलेगी उनके रुके हुए काम बनना शुरू हो जाएंगे नए कार्यों के लिए उनकी रुचि बढ़ेगी न्याय व्यवस्था में बदलाव देखने को मिलेगा सामाजिक जागरूकता बढ़ेगी अध्यात्म से लोगों का जुड़ाव गहरा होगा। नौ ग्रहों में सबसे चमकीले और प्रभावी कर्म फल सिद्धांत के अनुसार जातकों को फल देने वाले शनि महाराज इन आठ महीना में सबसे ज्यादा सक्रिय रहेंगे जब शनि बकरी होते हैं तब वह अलग-अलग प्रभाव देते हैं ग्रहों की दृष्टि कब किसके साथ कैसी है इसके आधार पर शनि कर्म का फल देते हैं। अगले 9 माह में भारत में बड़े राजनीतिक और सामाजिक परिवर्तन देखने को मिलेंगे विदेश नीति में बड़ा बदलाव आएगा रिसर्च के क्षेत्र में भारत को कई सफलताएं मिलेंगी शनि की दृष्टि नए संबंधों की खोज का कारण मानी जाती है अगले 7-8 महीना में भारत और दुनिया के देशों में कई बड़े तकनीकी परिवर्तन देखने को मिलेंगे विज्ञान की दृष्टि से शनि का प्रभाव अनुकूल होता है अंतरिक्ष और रक्षा विज्ञान के क्षेत्र में शनि की भूमिका महत्वपूर्ण होती है। देश एवं दुनिया में सौरमंडल में जिस तरह से ग्रहण में परिवर्तन आया है शनि ग्रह लंबे समय तक एक ही स्थिति में बना रहेगा और इस समय शनि मार्गी होंगे जिसके कारण भारत सहित दुनिया के कई देशों में इसका बड़ा प्रभाव देखने को मिलेगा। ज्योतिष में मान्यता है शनि कर्म फल का देवता है समय आने पर अच्छे और बुरे कर्मों का परिणाम सनी ही देता है शनि को न्यायाधीश भी माना जाता है और यह न्यायाधीश कर्म फल के आधार पर फैसला करता है जन्म जन्म अंतर के कर्मों का फल मनुष्य जीवन में देने के लिए शनि ग्रह को जाना जाता है ऐसा ज्योतिषियों का कहना है। शनी को भी भोगना पड़ा था कर्मफल मान्यता है शनि ग्रह सहित सभी नवग्रह रावण की कैद में लंबे समय तक रहे कर्म बंध का सिद्धांत किसी को भी नहीं छोड़ता है। रावण की कैद से शनि को मुक्त कराने वाले बजरंगबली थे रावण ने साधु के भेष में सीता माता का अपहरण किया था इस विश्वासघात के पाप की सजा रावण को मिली। बजरंगबली ने जहां शनि को रावण की कैद से सबसे पहले मुक्त कराया। जिसके कारण रावण का अंत भगवान राम के हाथ से हुआ। मनुष्य जीवन में शनि सबसे बड़ा कर्म फल का दाता है। जो अधर्मी और अपराधी होते हैं। ग्रह दशा के आधार पर उन्हें दंड मिलता है।