-उडुपी में सुवर्ण तीर्थ मंडप का उद्घाटन कर सोने का कलश चढ़ाया -1 लाख लोगों के साथ श्रीमद्भगवद गीता का पाठ किया पणजी,(ईएमएस)। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गोवा के कैनाकोना में श्री संस्थान गोकर्ण जीवोत्तम मठ में पूजा अर्चना की। इस मौके पर पीएम मोदी ने यहां भगवान राम की 77 फीट ऊंची कांस्य प्रतिमा का अनावरण किया। यह श्रीराम की दुनिया की सबसे बड़ी मूर्ति है। पीएम मोदी शाम 4 बजे दक्षिण गोवा के कैनाकोना स्थित श्री संस्थान गोकर्ण परतगली जीवोत्तम मठ पहुंचे। यह मठ गौड़ सारस्वत ब्राह्मण वैष्णव परंपरा का पहला प्रमुख केंद्र है। कैनाकोना में प्रधानमंत्री ने 77 फीट ऊंची कांस्य निर्मित प्रभु श्रीराम की मूर्ति का अनावरण किया। साथ ही मठ द्वारा विकसित ‘रामायण थीम पार्क गार्डन’ का भी उद्घाटन किया। इसके पहले शुक्रवार की सुबह पीएम मोदी कर्नाटक पहुंचे थे। जहां उडुपी में उन्होंने श्री कृष्ण मठ में पूजा-अर्चना की थी। यहां सुवर्ण तीर्थ मंडप का उद्घाटन कर सोने का कलश चढ़ाया। इसके बाद पीएम ने 1 लाख लोगों के साथ श्रीमद्भगवद गीता का पाठ किया। इस दौरान पीएम मोदी ने उडुपी में 25 मिनट की स्पीच दी। यहां उन्होंने श्रीकृष्ण के गीता के उपदेशों की बात की। पीएम ने कहा कि भगवत गीता हमें सिखाती है कि शांति और सच्चाई को वापस लाने के लिए अत्याचारी का अंत करना जरूरी है। यहीं हमारी राष्ट्रीय सुरक्षा पॉलिसी का सार है। पहले की सरकारें आतंकी हमलों के बाद जवाबी कार्रवाई नहीं करती थीं, पर यह नया भारत हैं....घर में घुसकर मारता है। पीएम मोदी ने कहा कि उडुपी आना मेरे लिए बहुत खास है। उडुपी जनसंघ और भारतीय जनता पार्टी के अच्छे शासन के मॉडल की कर्मभूमि रही है। 1968 में उडुपी के लोगों ने जनसंघ के वीएस आचार्य को उडुपी म्युनिसिपल कॉर्पोरेशन के लिए चुना था। इसके साथ ही, उडुपी ने एक नए शासन मॉडल की नींव रखी। मेरा जन्म गुजरात में हुआ, गुजरात और उडुपी के बीच गहरा संबंध रहा है। यहां स्थापित विग्रह की पूजा द्वारका में माता रुक्मणि करती थी। बाद में ये प्रतिमा यहां स्थापित हुआ। पिछले साल मैं समुद्र के भीतर द्वाराका जी के दर्शन करके आया था। हमारे समाज में मंत्रों का और गीता के श्लोकों का पाठ शताब्दियों से हो रहा है, पर जब 1 लाख कंठ, एक स्वर में इन श्लोकों का ऐसा उच्चारण करते हैं, जब इतने सारे लोग गीता जैसे पुण्य ग्रन्थ का पाठ करते हैं, जब इसतरह के दैवीय शब्द एक स्थान पर एक साथ गूंजते हैं, तब एक ऐसी ऊर्जा निकलती है, जो हमारे मन को, हमारे मष्तिष्क को एक नया स्पंदन और नई शक्ति देती है। आशीष दुबे / 28 नवबंर 2025