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02-Dec-2025
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- चूहा कांड के बाद नेशनल प्लेयर को एक्सपायर स्लाइन चढ़ाने के बाद प्रदेश के सबसे बड़े अस्पताल में एक और गैर जिम्मेदार कारनामा इन्दौर (ईएमएस) प्रदेश के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल इन्दौर के एम वाय में लगातार हो रही लापरवाही और गैर जिम्मेदाराना व्यवहार से मरीजों की जिंदगी मौत बन रही है। बड़े विश्वास से परिजन बीमार को लेकर यहां आते है और मुर्दा लाश या एक नई बीमारी साथ लें जाने को मजबूर हो जाते हैं। और एम वाय में शुरू हो जाती है जांच के नाम पर शासन प्रशासन की नौटंकी। विगत दिनों चूहों के काटने से नवजात की मौतों, फिर अंतरराष्ट्रीय कबड्डी खिलाड़ी को एक्सपायरी डेट की स्लाइन लगाने के मामले सामने आने के बाद अब एक और ऐसा ही लापरवाही और गैर जिम्मेदाराना व्यवहार का मामला एम वाय में सामने आया है जिसमें पैंतीस वर्षीय बलवीर की मौत के बाद उसके परिजन ने अस्पताल पर गंभीर आरोप लगाए हैं। बलबीर को उसके परिजन देवास में हुए सड़क हादसे में घायल होने के बाद गंभीर हालत में एमवाय अस्पताल लेकर आए थे। जहां इलाज के दौरान उसकी मौत हो गई। परिजनों ने इलाज में गंभीर लापरवाही का आरोप लगाया है उनका कहना है कि आईवी इंजेक्शन जिसे मरीज को लगाया जाना था, उस इंजेक्शन को उसे मुंह से पिला दिया गया, जिसके बाद मरीज की हालत बिगड़ने लगी और उसकी मौत हो गई। वहीं मामले में एम वाय के कैजुअल्टी प्रभारी डॉ. परेश सोंधिया का कहना है कि देवास से आए मरीज का समय पर इलाज शुरू कर दिया गया मुंह से इंजेक्शन पिलाने जैसी कोई घटना नहीं हुई है। मरीज को सांस लेने में तकलीफ होने पर उसे वेंटीलेटर भी उपलब्ध करवाया गया था। मामले में नोटिस जारी कर घटना से संबंधित जानकारी मांगी है। वहीं मृतक के परिजन अंकित परिहार के अनुसार पूरा मामला इस प्रकार है कि रविवार रात 10:30 बजे घायल अवस्था में बलवीर को एंबुलेंस से इंदौर एमवाय अस्पताल लेकर पहुंचे थे। जब यहां पहुंचे तो कैजुअल्टी में ना डॉक्टर मिला, ना वार्डबॉय और ना ही कोई सपोर्टिंग स्टॉफ। तीन घंटे तक मरीज को भर्ती नहीं किया गया। अटेंडर बार-बार डॉक्टरों को बुलाते रहा, लेकिन कोई नहीं आया। रातभर सिर्फ एक अनुभवहीन ट्रेनिंग डॉक्टर ही मरीज को देखते रहा, वह भी बिना इलाज किए। सबसे चौंकाने वाली बात तो सुबह हुई जब न्यूरो सर्जरी विभाग से एक डॉक्टर नींद के झोंक की हालत में आया और मरीज को इंजेक्शन लगाने के बजाए पिला दिया। इसके बाद भी जब मरीज की हालत बिगड़ती रही तो डॉक्टर इलाज करने की बजाय मशीनों के ग्राफ का वीडियो बनाते रहे। परिजनों का आरोप है कि यह मौत नहीं, बल्कि अस्पताल की लापरवाही से हुआ कत्ल है। अंकित की मांग है कि मामले में कानूनी कार्रवाई की जानी चाहिए।