भारत और रूस के बीच रक्षा, आर्थिक, रणनीतिक तथा तकनीकी सहयोग को नई ऊर्जा देने का अवसर एक बार फिर सामने है। रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन का भारत दौरा केवल औपचारिक राजनयिक गतिविधि नहीं, बल्कि वैश्विक परिदृश्य में तीव्र बदलते समीकरणों के बीच एक महत्वपूर्ण संदेश है। जब अमेरिका और पश्चिमी देश रूस पर प्रतिबंधों का दबाव बनाए हुए हैं, तब भारत का इस साझेदारी को और मजबूत करना पूरी दुनिया के लिए खासकर अमेरिका के लिए चिंता और विश्लेषण का विषय बन गया है। कूटनीतिक विश्लेषकों के अनुसार भारत रूस संबंधों की नींव दशकों से बेहद गहरी और भरोसेमंद रही है। रक्षा, अंतरिक्ष, ऊर्जा, व्यापार और विज्ञान के क्षेत्र में सहयोग भारत की रणनीतिक स्वायत्तता को मजबूती देता आया है। इसी कारण पुतिन का यह दौरा वैश्विक तनावों के बीच भारत की स्वतंत्र विदेश नीति और राष्ट्रीय हितों का स्पष्ट उदाहरण माना जा रहा है। *रक्षा समझौतों पर बढ़ता फोकस* भारत और रूस के संबंधों का सबसे मजबूत स्तंभ हमेशा रक्षा सहयोग रहा है। इस दौरे में भी रक्षा समझौतों पर सबसे अधिक ध्यान केंद्रित रहने की संभावना है।सबसे महत्वपूर्ण मुद्दा रूसी एस 400 एयर डिफेंस सिस्टम की नई खेप की खरीद से जुड़ा है। भारत पहले ही एस 400 की पांच रेजिमेंट खरीदने का निर्णय ले चुका है, जिनमें से कुछ की आपूर्ति हो चुकी है। वैश्विक सुरक्षा हालात को देखते हुए भारत इन डील्स को और गति देना चाहता है। इसके साथ ही रूस के शॉर्ट रेंज एयर डिफेंस सिस्टम पैंत्सिर पर भी डील होने की प्रबल संभावना है। पैंत्सिर की खासियत यह है कि यह मिसाइल और तोप दोनों का संयुक्त एयर डिफेंस सिस्टम है, जो कम ऊंचाई पर आने वाले ड्रोन, क्रूज मिसाइल और अन्य खतरों को तुरंत निष्क्रिय करने में सक्षम है।भारत के लिए यह तकनीक बेहद जरूरी इसलिए भी है क्योंकि आधुनिक युद्धक परिस्थितियों में ड्रोन सबसे बड़ा खतरा बन चुके हैं। सीमाओं पर आतंकियों द्वारा ड्रोन का इस्तेमाल तथा पड़ोसी देशों की तकनीकी क्षमताओं के मद्देनजर यह सिस्टम भारत की सुरक्षा क्षमताओं को कई गुना बढ़ा सकता है।वोरोनेज रडार सिस्टम की उम्मीद की शक्यता है।रक्षा विशेषज्ञों की नजर वोरोनेज रडार सिस्टम पर भी है। यह हाई रेंज अर्ली वार्निंग रडार है, जो हजारों किलोमीटर दूर तक मिसाइल या हवाई खतरों का पता लगाने में सक्षम है। यदि इस दिशा में समझौता हुआ, तो यह भारत की मिसाइल डिफेंस क्षमता को अभूतपूर्व मजबूती देगा। यह रडार सिस्टम भारत के लिए रणनीतिक संतुलन और शुरुआती चेतावनी तंत्र को और अधिक विश्वसनीय बनाएगा। समुद्री सहयोग और संयुक्त अभ्यास पर जोर दिया जाएगा। हिंद महासागर क्षेत्र में बढ़ते सामरिक तनाव और चीन की आक्रामकता को देखते हुए भारत रूस के बीच समुद्री सहयोग का विस्तार भी बेहद महत्वपूर्ण है। इस दौरे में समुद्री अभ्यासों पर नई सहमति बनने की संभावना है।संयुक्त नौसैनिक अभ्यास न केवल दोनों देशों की सैन्य क्षमताओं को एकजुट करते हैं, बल्कि समुद्री सुरक्षा, पनडुब्बी रोधी युद्ध, साइबर सुरक्षा और समुद्री व्यापारिक गलियारों की सुरक्षा को भी मजबूत बनाते हैं। आर्थिक संबंधों को नई दिशा डिजिटल भुगतान पर बड़ी डील संभव है।भारत रूस संबंधों में आर्थिक आयाम उतने ही महत्वपूर्ण हैं जितने रक्षा संबंध। इस बार सबसे बड़ा आकर्षण वित्तीय लेन-देन और डिजिटल भुगतान से जुड़े समझौते हैं। भारत का रुपे कार्ड और रूस का मीर कार्ड एक दूसरे के देशों में स्वीकार किए जाने की दिशा में महत्वपूर्ण प्रगति हो सकती है। इससे दोनों देशों के नागरिकों को यात्रा, व्यापार और व्यवसाय के दौरान सीधे स्थानीय मुद्रा में भुगतान सुविधाजनक होगा। सबसे बड़ा कदम होगा भारत के यूपीआई और रूस के डिजिटल भुगतान सिस्टम को आपस में जोड़ना। यदि यह समझौता होता है तो यह वैश्विक स्तर पर भारत की यूपीआई तकनीक को महाशक्ति के रूप में स्थापित करेगा और दोनों देशों के द्विपक्षीय व्यापार को बढ़ाएगा। यह कदम अमेरिका और डॉलर आधारित वित्तीय व्यवस्था के लिए चुनौती माना जा रहा है। यूपीआई जैसी प्रणाली यदि रूस में स्थापित होती है तो इसका बड़ा भू-राजनीतिक असर होगा। भारतीय कामगारों को रूस में अवसर की प्रबल संभावना है। भारत के लिए रोजगार एक महत्वपूर्ण मुद्दा है। रूस की बड़ी जनसंख्या कमी को देखते हुए दोनों देश मिलकर कामगारों के आदान प्रदान पर सहमति बना रहे हैं।यदि इस पर औपचारिक समझौता हुआ, तो भारतीय नागरिक रूस में विभिन्न क्षेत्रों में नौकरी पा सकेंगे जैसे निर्माण, स्वास्थ्य,आईटी,सेवा क्षेत्र,कृषि आदि।यह कदम दोनों देशों के लिए फायदेमंद होगा।रूस को योग्य मैनपॉवर और भारत को वैश्विक रोजगार बाजार में नया अवसर मिलेगा। रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के भारत दौरे सेअमेरिका चिंता बढ़ गई है। भारत रूस की साझेदारी को अमेरिका हमेशा सावधानी से देखता है। एस 400 जैसे समझौतों पर अमेरिका पहले भी प्रतिबंध लगाने की चेतावनी दे चुका है।लेकिन भारत ने हमेशा स्पष्ट कहा है कि उसकी विदेश नीति किसी दबाव से नहीं बल्कि राष्ट्रीय हितों के अनुसार तय होती है। इस बार भी पुतिन का दौरा अमेरिकी खेमे में बेचैनी ला रहा है क्योंकि रूस के साथ भारत का बढ़ता सामरिक और आर्थिक सहयोग पश्चिमी देशों की रणनीतिक योजनाओं को प्रभावित कर सकता है। विशेषज्ञ मानते हैं कि अमेरिका भारत पर कोई कठोर कार्रवाई नहीं करेगा क्योंकि उसे इंडो प्रशांत क्षेत्र में चीन के मुकाबले भारत की जरूरत है। इस बीच भारत मे पुतिन का कार्यक्रम प्रस्तावित माना गया है।5 दिसंबर को पुतिन कई महत्वपूर्ण कार्यक्रमों में शामिल होंगे।उन्होंने महात्मा गांधी को श्रद्धांजलि देने का कार्यक्रम तय किया है।भारत रूस शिखर सम्मेलन में दोनों देश कई अहम समझौतों पर हस्ताक्षर करेंगे। हैदराबाद हाउस में आयोजित बिज़नेस फोरम को पुतिन संबोधित करेंगे, जहां दोनों देशों के व्यापारिक समुदायों के लिए नए अवसरों पर चर्चा होगी। अंत में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू पुतिन के सम्मान में स्टेट डिनर देंगी, जो भारत रूस संबंधों की ऐतिहासिक गर्मजोशी को दर्शाता है।भारत रूस संबंधों का वैश्विक संदेश यह है कि पुतिन का यह दौरा ऐसे समय में हो रहा है जब दुनिया बहुध्रुवीय व्यवस्था की ओर बढ़ रही है। भारत की विदेशी नीति रणनीतिक स्वायत्तता पर आधारित है और रूस के साथ बढ़ता सहयोग यह दर्शाता है कि भारत वैश्विक दबावों के आगे झुकने वाला नहीं है।भारत रूस संबंध न केवल रक्षा और आर्थिक आयामों तक सीमित हैं, बल्कि यह भारत की स्वतंत्र सोच, वैश्विक नेतृत्व और शांति व स्थिरता के प्रति प्रतिबद्धता का प्रतीक भी है। यह साझेदारी आने वाले वर्षों में और मजबूत होगी और दोनों देश नए क्षेत्रों में सहयोग के द्वार खोलेंगे।भारत रूस का यह नया अध्याय निश्चित रूप से इतिहास में दर्ज होने वाला है क्योंकि इसमें महाशक्तियों के बीच संतुलन, तकनीक के नए आयाम, आर्थिक अवसर और वैश्विक राजनीति की दिशा बदलने वाली संभावनाएं समाहित हैं। ( L जलवंत टाऊनशिप पूणा बॉम्बे मार्केट रोड,नियर नन्दालय हवेली सूरत मो 99749 40324 वरिष्ठ पत्रकार साहित्यकार स्तम्भकार) ईएमएस / 07 ईएमएस 25