व्यापार
09-Dec-2025


मुंबई (ईएमएस)। इंडिगो संकट के उदाहरण का उपयोग कर भारतीय विमानन बाजार के अत्यधिक केंद्रीकरण (मोनोपोली/एकाधिकार की स्थिति) पर अंतरराष्ट्रीय विशेषज्ञों और संस्थाओं, जैसे इंटरनेशनल सिविल एविएशन ऑर्गनाइजेशन (आईसीएओ) और इंटरनेशनल एयर ट्रांसपोर्ट एसोसिएशन (आईएटीए), की गंभीर चेतावनी को उजागर किया गया है। अंतरराष्ट्रीय विशेषज्ञों का मानना है कि यदि भारत ने समय रहते संरचनात्मक सुधार नहीं किए, तब आने वाला दशक निम्नलिखित समस्याओं के कारण तनावपूर्ण रहेगा। एयरलाइन की आंतरिक समस्याएँ पूरे राष्ट्रीय हवाई नेटवर्क को प्रभावित करेंगी। जिसका सीधा खामियाजा यात्रियों को उठाना होगा। अंतरराष्ट्रीय विशेषज्ञों का मानना है कि पायलटों और क्रू की अपर्याप्त सप्लाई के कारण मौजूदा स्टाफ पर काम का बोझ बढ़ेगा, जिससे सुरक्षा जोखिम पैदा होगा। जो कि किसी भी अप्रिय घटना का जिम्मेदार हो सकता है। बाजार में प्रतिस्पर्धा की कमी के कारण टिकटों के दामों पर नकारात्मक असर पड़ेगा। सुरक्षा और उपभोक्ता हितों पर गंभीर असर: एक एयरलाइन की विफलता से सुरक्षा जोखिम, किराये में अस्थिरता और उपभोक्ता हानि कई गुना बढ़ जाएगी। यह चेतावनी देती है कि किसी देश में एक एयरलाइन की अत्यधिक बाजार हिस्सेदारी होने पर उसकी परिचालन विफलता सिंगल प्वाइंट फेल्योर में बदल जाती है, जिससे राष्ट्रीय नेटवर्क प्रभावित होता है। इस स्थिति से निपटने और एकाधिकार को तोड़ने के लिए अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं ने निम्नलिखित तत्काल कदम उठाने की सलाह दी है कि बड़े एयरपोर्टों पर स्लॉट नियंत्रण एकाधिकार को बढ़ावा देता है। स्लॉट शेयरिंग और उपयोग नहीं तो खोने का नियम लागू करने से नई एयरलाइंस के लिए बाजार में प्रवेश करना सरल हो जाएगा। आईएटीए के अनुसार, यदि मध्यम और छोटी एयरलाइंस का विकास होगा, खासकर टियर-2 और 3 रूट्स पर, जहाँ प्रतिस्पर्धा कम है, तब एकाधिकार स्वतः कमजोर होगा। एशिया पैसिफिक रीजनल ऑफिस ने चेतावनी दी है कि भारत में पायलट उत्पादन क्षमता माँग की आधी भी नहीं है। इस कमी से बड़ी एयरलाइनें और अधिक शक्तिशाली हो जाती हैं क्योंकि छोटी एयरलाइंस प्रतिभा के लिए प्रतिस्पर्धा नहीं कर पातीं। यदि भारतीय उपभोक्ता को देरी, रद्दीकरण और गलत सूचना पर स्वचालित क्षतिपूर्ति मिलेगी, तब एयरलाइंस बिना तैयारी के संचालन चलाने से बचेंगी। यह कदम एकाधिकार मानसिकता को तोड़ता है। आशीष/ईएमएस 09 दिसंबर 2025