लेख
09-Dec-2025
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भोपाल गैस त्रासदी(1984) के बाद मानवाधिकार के महत्व को आम व्यक्तिय महसूस कर रहा है । मानवाधिकार एक चिर-परिचित क्षेत्र है। परन्तु, यह जानना व समझना सचमुच महत्वपूर्ण है कि मानव अधिकारों की पकड़ व समझ आपको बेहतर भविष्य के साथ-साथ मानवता के कल्याण का सहभागी भी बना सकती है। मानवाधिकार राष्ट्रीयता, निवास- स्थान, लिंग, राष्ट्रीय या नैतिक स्रोत, रंग, धर्म, भाषा या किसी अन्य स्थिति से परे सभी व्यक्तियों में निहित अधिकार हैं। हम सभी, बिना किसी भेदभाव के अपने मानवाधिकार के समान रूप से हकदार हैं। ये अधिकार परस्पर संबंधी, एक-दूसरे पर आश्रित होते हैं। सार्वभौमिक मानवाधिकारों को प्राय: समझौतों, प्रचलित अंतर्राष्ट्रीय विधि, सामान्य सिद्धांतों तथा अंतर्राष्ट्रीय विधि के अन्य स्रोतों के रूप में विधि द्वारा अभिव्यक्त किया जाता है तथा इनका आश्वासन दिया जाता है। अंतर्राष्ट्रीय मानवाधिकार विधि व्यक्तियों या समूहों के मानवाधिकारों तथा मूलभूत स्वतंत्रता को बढ़ावा देने और उनकी रक्षा करने के लिए कई रूपों में कार्य करने एवं कई कृत्यों से दूर रहने के दायित्व निर्धारित करते हैं । 10 दिसंबर सन् 1948 को संयुक्त राष्ट्र संघ की महासभा द्वारा अस्तित्व में लाये गये मानवाधिकार ने अब तक 70 वर्ष की यात्रा पूरी कर ली है। इन अधिकारों के जन्म लेने के साथ ही इसमें शामिल सदस्यों का यह कर्तव्य बन गया है कि स्थापित सरकारी ,गैर-सरकारी संगठनों द्वारा मानवाधिकारों का संरक्षण और उनकी देखभाल करें। सूखा, बाढ़, गरीबी, अकाल, सुनामी, भूकंप, युद्ध या दुर्घटनाओं के चलते जो लोग शिकार हो रहे है, पीड़ित या परेशान चल रहे है उनके मानवाधिकारों का ध्यान रखा जाना बहूत ज़रूरी है । ह्यूमन राइट्स में डिग्री प्राप्ति बाद छात्रों को स्टेट ह्यूमन राइट्स कमीशन, नेशनल एंड स्टेट कमीशन ऑन चिल्ड्रन नेशनल ह्यूमन राइट्स कमीशन, लेबर वेलफेयर, यूनाइटेड नेशंस डेवलपमेंट प्रोग्राम, यूनाइटेड नेशंस ह्यूमन राइट्स कमीशन, एमनेस्टी इंटरनेशनल, एशियन सेंटर फॉर ह्यूमन राइट्स डॉक्यूमेंटेशन सेंटर और रेड क्रॉस जैसे संगठनों में काम करने का अवसर मिलता है। मानव अधिकार में निम्नलिखित बातें शामिल हैं:-सुरक्षा अधिकार - जो व्यक्तियों की, हत्या, जनसंहार, उत्पीडऩ तथा बलात्कार जैसे अपराधों से रक्षा करते हैं। ये अधिकार आर्थिक तथा सामाजिक अधिकारों के रूप में जाने जाते हैं। जिनमें शिक्षा का तथा अत्यंत निर्धनता और भुखमरी से रक्षा का प्रावधान है । जो विजाति-संहार के विरुद्ध एवं देशों द्वारा उनके राष्ट्रीय क्षेत्रों तथा संसाधनों के स्वामित्व के लिए समूहों को रक्षा प्रदान करते हैं ।राष्ट्रों को मानवाधिकारों के प्रयोग में हस्तक्षेप करने से अथवा उसके प्रयोग को घटाने से बचना चाहिए। रक्षा के दायित्वों के संबंध में राष्ट्रों को, मानवाधिकारों के दुरूपयोगों से व्यक्तियों या समूहों की रक्षा करनी चाहिए। पूरा करने के दायित्व का अर्थ है कि राष्ट्रों को मूल मानवाधिकारों के प्रयोगों के कारगर बनाने के लिए सकारात्मक रूख अपनाना चाहिए। व्यक्तिगत स्तर पर, जब कि हम अपने मानवाधिकारों के हकदार हैं, हमें अन्यों के मानवाधिकारों का भी सम्मान करना चाहिए ।मानवाधिकार विषय अंतर्गत के मानव अधिकारों और कर्तव्यों की संकल्पना,मानव अधिकारों की अवधारणा के ऐतिहासिक विकास, प्रकृति और मानव अधिकारों का वर्गीकरण ,सामाजिक, आर्थिक और मानवाधिकार के राजनीतिक पहलु,मानवाधिकार परिषद, मानवाधिकार के लिए उच्चायुक्त द्वारा उनके राष्ट्रीय क्षेत्रों तथा संसाधनों के स्वामित्व का अध्ययन, प्राचीन भारत में धर्म की अवधारणा, सामाजिक आंदोलन और स्वतंत्रता संग्राम, भारतीय संविधान के तहत मानव अधिकारों व्यक्तियों के मौलिक कर्तव्य, कानून के तहत मानव पर दवाओं का परीक्षण आदि शामिल है ।नई दवाओं को बाजार में लांच करने से पहले उन्हें जानवरों और इनसानों पर टेस्ट किया जाता है। मोटे तौर पर किसी दवा को लैब से केमिस्ट की शॉप तक पहुंचने में 5-10 साल का वक्त लग जाता है। जानवरों पर प्री-क्लीनिकल टेस्ट करने के बाद इन दवाओं को इनसानों पर टेस्ट किया जाता है, जिसके तीन फेज होते हैं। टेस्टिंग के लिए इन तीनों फेजों में पहले के मुकाबले ज्यादा संख्या में लोगों को शामिल किया जाता है। इन तीनों फेजों का टेस्ट मानवाधिकार विशेषज्ञ के अनुमोदन के बाद कंपनी सभी नतीजों को एफडीए या टीपीडी को सौंप देती है, जिसके आधार पर न्यू ड्रग अप्रुवल मिलता है। मेडिकल क्षेत्रों में मानवाधिकार विशेषज्ञ सुरक्षित दवाओं का परीक्षण के पर आधार मानव- स्वास्थ्य की रक्षा करते हैं। विकलांगों, अनाथ, दीन-हीन, शरणार्थियों, मानसिक विकलांगों तथा नशीले पदार्थ सेवियों के साथ कार्य करने वाले समाजसेवी संगठनों तथा गैर-सरकारी संगठनों में करियर के अवसर उपलब्ध हैं। मानवाधिकार व्यवसायी सामान्यत: मानवाधिकार एवं नागरिक स्वतंत्रता के क्षेत्र में कार्य करने वाले स्थापित गैर-सरकारी संगठनों में भी कार्य कर सकते हैं। ये गैर-सरकारी संगठन मानवाधिकार सक्रियतावाद, आपदा एवं आपातकालीन राहत, मानवीय सहायता बाल एवं बंधुआ मजदूरों, विस्थापित व्यक्तियों, संघर्ष समाधान तथा अन्यों में सार्वजनिक हित के मुकदमेबाजी के क्षेत्र में भी कार्य करते हैं । (यह लेखक के व्य‎‎‎क्तिगत ‎विचार हैं इससे संपादक का सहमत होना अ‎निवार्य नहीं है) ईएमएस/09/12/25