नई दिल्ली,(ईएमएस)। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) का उपयोग जहां एक ओर शिक्षा के डिजिटलीकरण, ई-लर्निंग और स्किल डेवलपमेंट को मजबूत करने में हो रहा है, वहीं इसका काला पक्ष भी तेजी से सामने आ रहा है। एआई और ग्राफिक जनरेशन टूल्स की मदद से अब कुछ लोग फर्जी डिग्री, मार्कशीट और यहां तक कि हैल्थ सर्टिफिकेट तक मिनटों में तैयार कर रहे हैं और इन्हें बड़ी कीमत पर बेचा भी जा रहा है। इनमें विश्वविद्यालय का नाम, सीरियल नंबर, ग्रेडिंग सिस्टम और सिक्योरिटी लेआउट तक इस तरह से कॉपी किया जाता है कि पहली नजर में असली और नकली में फर्क करना बेहद कठिन हो जाता है। सोशल मीडिया पर भी एआई टूल्स से तैयार फर्जी सर्टिफिकेट से जुड़े वीडियो तेजी से वायरल हुए। इंस्टाग्राम जैसे प्लेटफॉर्म्स पर दिखाया गया है कि किस तरह कुछ क्लिक्स में असली जैसी दिखने वाली मार्कशीट या मेडिकल सर्टिफिकेट तैयार हो सकते हैं। कई वीडियो में तो इन फर्जी दस्तावेजों के लिए वेबसाइट तक बताई जा रही है, जिससे स्थिति और गंभीर हो गई है। कम्प्यूटर साइंस विभाग के प्रोफेसर्स तो यहां तक बताते हैं, कि एआई से तैयार नकली डिग्रियां आज इतनी सटीक हो चुकी हैं कि बिना डिजिटल वेरिफिकेशन के पकड़ना लगभग असंभव जैसा हो गया है। उनके अनुसार, ब्लॉकचेन टेक्नोलॉजी और नेशनल अकैडमिक डिपॉजिटरी (नेड) जैसे प्लेटफॉर्म को मजबूती और व्यापकता से लागू करना समय की मांग है। सरकारी संस्थानों की डिग्रियों में होलोग्राम, वॉटरमार्क, कलर-कोड और सिक्वेंसिंग जैसे सिक्योरिटी फीचर्स होते हैं, लेकिन एआई जनरेटेड नकली दस्तावेज इन फीचर्स की नकल भी कर पा रहे हैं। इधर, निजी कंपनियां भी बढ़ते जोखिम को देखते हुए भर्ती प्रक्रिया में अतिरिक्त सतर्कता बरत रही हैं। निजी कंपनी के एचआर हेड कहते हैं, कि हमने अब हर उम्मीदवार की डिग्री को सीधे विश्वविद्यालय या सरकारी पोर्टल के माध्यम से ही वेरिफाई करना शुरू कर दिया है। कई बार उम्मीदवार सीवी में गलत या भ्रमित करने वाली जानकारी भी देते हैं, इसलिए केवल दस्तावेज देखकर भरोसा करना अब संभव नहीं रहा। विशेषज्ञों का कहना है कि आने वाले समय में एआई आधारित फर्जीवाड़ा और बढ़ सकता है, इसलिए शिक्षा संस्थानों, सरकारी एजेंसियों और निजी कंपनियों को ठोस डिजिटल वेरिफिकेशन सिस्टम अपनाने होंगे। साथ ही, आम लोगों को भी जागरूक होना होगा ताकि वे असली और नकली दस्तावेजों के बीच फर्क समझ सकें। इस प्रकार एआई जहां संभावनाएं खोल रहा है, वहीं उसके गलत इस्तेमाल से नई चुनौतियां भी बनती जा रही हैं। हिदायत/ईएमएस 10 दिसंबर 2025