-भारत-रुस चेन्नई-व्लादिवोस्तोक ईस्टर्न कॉरिडोर का करेंगे निर्माण, बढ़ेगा व्यापार नई दिल्ली,(ईएमएस)। रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की भारत यात्रा के दौरान दोनों देशों के बीच चेन्नई-व्लादिवोस्तोक ईस्टर्न कॉरिडोर को लेकर चर्चा हुई। यह कॉरिडोर 10,370 किमी लंबा होगा, जिससे भारतीय जहाज औसतन 24 दिन में रूस पहुंच सकेंगे। भारत से रूस के सेंट पीटर्सबर्ग तक सामान भेजने के लिए जहाजों को करीब 16,060 किमी की लंबी यात्रा करनी पड़ती है, जिसमें करीब 40 दिन का समय लगता है यानी यह नया रूट करीब 5,700 किमी छोटा है और भारत को सीधे 16 दिन बचेंगे। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक पुतिन और पीएम मोदी के बीच 5 दिसंबर को हुई बातचीत में इस समुद्री मार्ग को जल्द शुरू करने पर सहमति बनी है। माना जा रहा है कि ग्लोबल तनाव के बीच यह नया रास्ता एक सुरक्षित, तेज और भरोसेमंद विकल्प हो सकता है। पीएम मोदी और राष्ट्रपति पुतिन के बीच बैठक में भारत और रूस का आपसी ट्रेड 2030 तक 100 अरब डॉलर पहुंचाने का टारगेट रखा गया है। फिलहाल दोनों देशों में करीब 60 अरब डॉलर का व्यापार होता है। इस कॉरिडोर के जरिए चेन्नई से मलक्का खाड़ी, दक्षिण चीन सागर और जापान सागर से व्लादिवोस्तोक तक जाने के 16 दिन की बचत होगी। ये रूट सुरक्षित होने के साथ-साथ आने वाले दिनों में भारत-रूस व्यापार के लिए गेमचेंजर साबित हो सकता है। विशेषज्ञों का मानना है कि यह कॉरिडोर चरणबद्ध तरीके से शुरू किया जाएगा। इसके चालू होते ही तेल, गैस, कोयला, मशीनरी और धातु जैसे जरूरी व्यापार क्षेत्रों में तेजी आएगी और भारत की सप्लाई चेन काफी मजबूत होगी। यह रूट भारत-रूस आर्थिक साझेदारी को नई ऊंचाई देगा। गाजा युद्ध से स्वेज नहर रूट पर बढ़ता जोखिम और यूक्रेन युद्ध के चलते यूरोप के रास्ते रूस तक पहुंचने वाले पारंपरिक समुद्री मार्ग में लगातार मुश्किलें आ रही हैं। सिराज/ईएमएस 10 दिसंबर 2025