राष्ट्रीय
10-Dec-2025
...


नई दिल्ली (ईएमएस)। पुराना चावल नए चावल की तुलना में सेहत के लिए अधिक फायदेमंद होता है। आयुष मंत्रालय के अनुसार, आयुर्वेद में कम से कम एक साल तक सुरक्षित तरीके से रखे गए चावल खाने की सलाह दी जाती है। इसका कारण सिर्फ स्वाद नहीं, बल्कि इसके कई स्वास्थ्य और पाचन लाभ हैं। पुराने चावल में नमी की मात्रा बहुत कम हो जाती है, जिससे यह हल्का और सुपाच्य बनता है। नए चावल में स्टार्च और नमी अधिक होने के कारण कई लोगों को अपच, गैस या पेट भारीपन की समस्या हो सकती है। वहीं, पुराने चावल को खाने से पेट पर भारीपन नहीं होता और यह आसानी से पच जाता है। पुराने चावल पकाने पर दाने एक-दूसरे से चिपकते नहीं हैं और खिचड़ी, पुलाव या सादा चावल हर रूप में स्वादिष्ट और फूलकर तैयार होते हैं। आयुर्वेद में इसे ‘लघु’ और ‘स्निग्ध’ माना गया है, जो वात और पित्त दोषों को संतुलित करने में मदद करता है। पुराने चावल का सेवन कब्ज और पाचन समस्याओं को कम करने में भी सहायक है। खासकर गर्मियों और बरसात के मौसम में नए चावल से परहेज करने की सलाह दी जाती है, क्योंकि नमी वाले नए चावल में फंगल संक्रमण का खतरा रहता है। इसके अलावा, पुराने चावल में पोषक तत्व भी लंबे समय तक बने रहते हैं और भोजन को हल्का बनाने के साथ-साथ शरीर को ऊर्जा भी प्रदान करते हैं। हालांकि, कुछ लोगों को पुराना चावल खाने से पहले डॉक्टर या डायटीशियन की सलाह लेना जरूरी हो सकता है। डायबिटीज के मरीजों को विशेष सावधानी बरतनी चाहिए, क्योंकि चावल खाने से ब्लड शुगर स्तर तेजी से बढ़ सकता है। ऐसे लोग पुराने चावल का सेवन सीमित मात्रा में और विशेषज्ञ की निगरानी में करें। इसी तरह, मोटापे या वजन बढ़ने की समस्या वाले लोग भी चावल का सेवन नियंत्रित मात्रा में करें, क्योंकि इसमें कार्बोहाइड्रेट की मात्रा अधिक होती है, जो ज्यादा खाने पर कैलोरी बढ़ा सकती है। पुराने चावल का स्वाद और पाचन गुण इसे रोजमर्रा के आहार के लिए एक बेहतर विकल्प बनाते हैं। इसे सही तरीके से पकाने से दाने अलग रहते हैं और भोजन का स्वाद बढ़ जाता है। इसके अलावा, पुराने चावल से शरीर हल्का महसूस करता है और पेट पर दबाव नहीं पड़ता। आयुर्वेद के अनुसार, पुराने चावल को नियमित रूप से खाने से पाचन तंत्र मजबूत होता है, वजन संतुलित रहता है और शरीर को ऊर्जा मिलती है। सुदामा/ईएमएस 10 दिसंबर 2025