नई दिल्ली (ईएमएस)। ठंड के दिनों में हवा की नमी कम होने से आंखों में रुखापन, खुजली, जलन और लालिमा जैसी समस्याएं सामान्य हो जाती हैं। ऐसे में शरीर के साथ-साथ आंखों की देखभाल करना भी महत्वपूर्ण है। आयुर्वेद में आंखों को शरीर की आंतरिक स्थिति का दर्पण बताया गया है। तनाव, प्रदूषण, गलत खानपान, पाचन की कमजोरी, पूरी नींद न मिलना, अत्यधिक सर्द हवा और शरीर में पित्त बढ़ने का पहला प्रभाव आंखों पर पड़ता है। इसलिए आयुर्वेदिक तरीके से आंखों को सुरक्षित रखना बेहद जरूरी है। आयुर्वेद में त्रिफला को ‘नेत्र-औषधि’ माना गया है। आमतौर पर इसका उपयोग पाचन से जुड़ी कई समस्याओं के लिए किया जाता है, लेकिन त्रिफला का जल आंखों के लिए अमृत समान है। इसके लिए रात को त्रिफला पाउडर पानी में भिगोकर सुबह उसे छान लें और उस पानी से हल्के हाथों से आंखों को धोएं। यह प्रक्रिया रुखापन कम करती है, खुजली दूर करती है और आंखों में ठंडक पहुंचाती है। गाय का देसी घी भी आंखों की सेहत के लिए विशेष रूप से फायदेमंद है। प्रतिदिन एक चम्मच घी भोजन में शामिल करने के साथ, अगर आंखों में कचरा फंस जाए या लालपन दिखे तो इसे काजल की तरह बहुत हल्का लगाना उचित माना जाता है। इससे तनाव कम होता है और जमा हुआ कचरा बाहर निकल जाता है। सोने से पहले तलवों की मालिश व कानों के पीछे देसी घी लगाने से भी आंखों की थकान कम होती है और नींद बेहतर आती है। आंखों की रोशनी बढ़ाने के लिए रोज सुबह खाली पेट आंवला का सेवन विशेष लाभकारी है। आंवला चूर्ण को गर्म पानी के साथ लें या ताजा आंवला रस पिएं। आंवला विटामिन सी का उत्कृष्ट स्रोत है, जो आंखों की ज्योति बढ़ाने और बालों को मजबूत बनाने दोनों में मदद करता है। इसके साथ ही आंखों के लिए 20-20-20 नियम अपनाना चाहिए हर 20 मिनट बाद 20 सेकंड के लिए 20 फीट दूर किसी वस्तु पर नजर टिकाएं। यह एक्सरसाइज स्क्रीन पर लंबे समय तक काम करने वालों के लिए बेहद उपयोगी है। लैपटॉप या मोबाइल पर काम करते समय पलकों को नियमित रूप से झपकाना ना भूलें, क्योंकि लगातार स्क्रीन देखने से पलक झपकने की संख्या कम हो जाती है और आंखें सूखने लगती हैं। साथ ही शुद्ध पलाश जल या गुलाब जल की 1-2 बूंदें रोज आंखों में डालने से प्रदूषण के कारण होने वाली जलन और खुजली में राहत मिलती है। सुदामा/ईएमएस 10 दिसंबर 2025