नई दिल्ली(ईएमएस)। भारतीयों के खाने में प्रोटीन की मात्रा का लगभग आधा हिस्सा अब चावल, गेहूं, सूजी और मैदा जैसे अनाजों से आता है। यह जानकारी काउंसिल ऑन एनर्जी, एनवायरनमेंट एंड वॉटर (सीईईडब्ल्यू) के एक नए स्वतंत्र अध्ययन से सामने आई है। इसमें 2023-24 एनएसएसओ घरेलू उपभोग व्यय सर्वेक्षण आंकड़ों के आधार पर खान-पान के रुझानों का विश्लेषण किया गया है। भारतीय पर्याप्त मात्रा में, औसतन 55.6 ग्राम प्रतिदिन, प्रोटीन का सेवन करते हैं। लेकिन इस अध्ययन में पाया गया है कि इस प्रोटीन का लगभग 50 प्रतिशत हिस्सा अनाजों से आता है, जिनमें कम गुणवत्ता वाला अमीनो एसिड होता है और वे आसानी से पचते नहीं हैं। प्रोटीन में अनाजों की यह हिस्सेदारी नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ न्यूट्रिशन (एनआईएल) की ओर से सुझाई गई 32 प्रतिशत की मात्रा से बहुत अधिक है। दालें, डेयरी उत्पाद और अंडे/मछली/मांस जैसे उच्च गुणवत्ता वाले प्रोटीन के स्रोत भोजन से बाहर जा रहे हैं।। प्रोटीन शारीरिक विकास, सुधार और प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत बनाने में मदद करता है। सीईईडब्ल्यू अध्ययन में यह भी पाया है कि भोजन में सब्जी, फल और दाल जैसे प्रमुख खाद्य समूहों का सेवन कम है, जबकि खाना पकाने के तेल, नमक और चीनी की अधिकता है। अपूर्व खंडेलवाल, फेलो, सीईईडब्ल्यू, ने कहा, “यह अध्ययन भारत की खाद्य प्रणाली में एक छिपे हुए संकट को सामने लाता है, जैसे कम गुणवत्ता के प्रोटीन पर बहुत अधिक निर्भरता, अनाजों व तेलों से अतिरिक्त कैलोरी का सेवन, विविधतापूर्ण व पोषक तत्वों से भरपूर खाद्य सामग्री का बहुत कम उपयोग। सबसे गरीब 10 प्रतिशत घरों का एक व्यक्ति एक सप्ताह में केवल 2-3 गिलास दूध और 2 केले के बराबर फल खाता है, जबकि सबसे अमीर 10 प्रतिशत घरों का एक व्यक्ति 8-9 गिलास दूध और 8-10 केले के बराबर फल खाता है। सुबोध/ १०-११-२०२५