नई दिल्ली,(ईएमएस)। दो दिन की व्यापार वार्ता के लिए अमेरिकी प्रतिनिधिमंडल के दिल्ली पहुंचते ही वॉशिंगटन में संयुक्त राज्य व्यापार प्रतिनिधि जेमीसन ग्रीयर ने कहा कि इस बार भारत की ओर से अब तक का “सबसे बेहतर प्रस्ताव” मिला है। हालांकि उन्होंने साफ किया कि अमेरिकी कृषि उत्पादों के आयात को लेकर भारत का रुख अब भी कठोर है और यही मुद्दा दोनों देशों के बीच सबसे बड़ी बाधा बना हुआ है। ग्रीयर ने अमेरिकी सीनेट की एक समिति के समक्ष कहा कि उनकी टीम दिल्ली में बातचीत कर रही है और भारत कई कृषि उत्पादों—विशेषकर अनाज और मांस—पर आयात प्रतिबंध या कठोर शर्तें बनाए हुए है। उन्होंने कहा कि भारत बातचीत में कठिन साबित होता है, लेकिन इस बार उसका रुख पहले की तुलना में अधिक सकारात्मक दिखा है। उनके अनुसार, भारत भविष्य में अमेरिकी कृषि निर्यात के लिए एक बड़ा बाजार बन सकता है, बशर्ते मतभेदों का समाधान हो सके। अमेरिका लंबे समय से अपने मक्का, सोयाबीन और अन्य कृषि उत्पादों के निर्यात को चीन पर निर्भरता से हटाकर नए बाजारों में ले जाना चाहता है। वहीं भारत अपने छोटे और मध्यम किसानों को वैश्विक प्रतिस्पर्धा से बचाने के लिए कृषि आयात पर कड़ा नियंत्रण बनाए रखने के पक्ष में है। इसी असहमति के कारण इस वर्ष अगस्त में दोनों देशों की व्यापार वार्ता अचानक रुक गई थी। इस बीच, अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारतीय चावल पर नए टैरिफ लगाने की चेतावनी दी। उनका आरोप है कि भारत, चीन और थाईलैंड अमेरिकी बाजार में सस्ते दामों पर चावल भेज रहे हैं, जिससे अमेरिकी किसान प्रभावित हो रहे हैं। अमेरिका पहले ही भारत पर 50 प्रतिशत शुल्क लगा चुका है, जो किसी भी प्रमुख निर्यातक पर लगाए गए सबसे ऊंचे शुल्कों में से एक है। व्हाइट हाउस में एक किसान प्रतिनिधि की शिकायत पर ट्रंप ने सवाल उठाया कि भारत को ऐसा करने की अनुमति कैसे मिली और कहा कि नए टैरिफ लगाने से समस्या दो मिनट में हल हो जाएगी। दूसरी ओर, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने स्वतंत्रता दिवस संबोधन में स्पष्ट कहा था कि भारत किसानों, मछुआरों और पशुपालकों के हितों के साथ किसी भी प्रकार का समझौता नहीं करेगा। यह बयान ऐसे समय आया था जब अमेरिका भारतीय कृषि और डेयरी बाजार में व्यापक पहुंच की मांग कर रहा था। अमेरिका भारत की कृषि सब्सिडी, जेनिटिकली मॉडिफाइड उत्पादों के नियमों और डेयरी आयात पर सख्त मानदंडों पर लगातार चिंता जताता रहा है। भारत डेयरी उत्पादों के लिए यह अनिवार्य करता है कि संबंधित जानवरों को विशिष्ट प्रकार के चारे ही खिलाए जाएं, जिनमें आंतरिक अंगों या रक्त मिश्रित चारा शामिल न हो। अमेरिका का कहना है कि इन शर्तों का वैज्ञानिक आधार कमजोर है, जबकि भारत इन्हें खाद्य सुरक्षा और सांस्कृतिक परंपराओं से जुड़ा मानता है। व्यापार वार्ता की दिशा यही बताएगी कि दोनों देश कृषि व्यापार के इस जटिल मुद्दे पर किसी समझौते तक पहुंच पाते हैं या नहीं। वीरेंद्र/ईएमएस/11दिसंबर2025