दक्षिण एशियाई राजनीति में एक बार फिर पाकिस्तान की बयानबाजी सुर्खियों में है। पाकिस्तान के नवनियुक्त सीडीएफ आसिफ मुनीर ने पद संभालते ही भारत के खिलाफ वही पुराना, घिसा-पिटा और खोखला आरोपों वाला राग अलापना शुरू कर दिया। मुनीर ने अपने बयान में कहा कि भारत किसी गलतफहमी में न रहे और यदि भारत ने हमला किया तो पाकिस्तान भी मुंहतोड़ जवाब देगा। यह बयान बिल्कुल उसी कहावत जैसा प्रतीत होता है जिसे भारतीय समाज में चोर कोतवाल को डांटे कहा जाता है। पाकिस्तान की यह आदत कोई नई नहीं। वर्षों से वह भारत के प्रति इसी तरह की गीदड़ धमकियां देता रहा है जिनका भारत पर कभी कोई असर नहीं हुआ। कारण सरल है।भारत न केवल एक जिम्मेदार राष्ट्र है बल्कि एक ऐसी शक्ति है जिसकी प्रतिक्रिया इतिहास में हमेशा न्यायपूर्ण, संयमित और केवल आत्मरक्षा पर आधारित रही है। भारत ने आज तक किसी भी देश पर बिना वजह हमला नहीं किया। चाहे 1947 हो, 1965, 1971 या फिर 1999 का कारगिल युद्ध, हर बार भारत ने केवल अपनी संप्रभुता की रक्षा के लिए कदम उठाया। भारत की विदेश नीति और सैन्य नीति दोनों ही हमेशा शांतिपूर्ण सहअस्तित्व के सिद्धांत पर आधारित रही हैं, जबकि पाकिस्तान की राजनीति का बड़ा हिस्सा भारत-विरोध पर टिका है। पाकिस्तान की सेना और नेतृत्व अक्सर भारत का नाम लेकर अपने नागरिकों का ध्यान वास्तविक मुद्दों से भटकाने की कोशिश करते हैं। पाकिस्तान की नई धमकी भी उसी क्रम की ताज़ा कड़ी है। मई में पाकिस्तान ने भारत को जवाब देने की भाषा इस्तेमाल की थी और अब नए सीडीएफ आसिफ मुनीर ने उसी स्वर में अपनी भूमिका शुरू की है। अपने भाषण में उन्होंने पाकिस्तान की सेना को सहनशील और पराक्रमी बताते हुए भारत के खिलाफ आक्रामक अंदाज अपनाया। यहाँ यह भी समझने की जरूरत है कि पाकिस्तान की राजनीतिक और सैन्य व्यवस्था अक्सर अपने भीतर के संकटों को छिपाने के लिए इसी तरह के बयान देती है। जिस देश की अर्थव्यवस्था ध्वस्त हो चुकी हो, जिसकी जनता महंगाई के बोझ तले कराह रही हो, जहां आटा-दाल जैसी बुनियादी वस्तुएं आम आदमी की पहुंच से बाहर हों, वह देश यदि दुनिया के तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था वाले और आधुनिक सैन्य शक्ति वाले भारत को धमकी देता है तो यह बयान केवल हताशा का द्योतक माना जाता है, शक्ति का नहीं। आधुनिक युद्ध का स्वरूप अब बदल चुका है। आज युद्ध केवल सीमा पर बंदूक और तोप से नहीं लड़ा जाता। साइबरस्पेस, इलेक्ट्रोमैग्नेटिक स्पेक्ट्रम, स्पेस आधारित निगरानी और नियंत्रण, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, क्वांटम कंप्यूटिंग और इंफॉर्मेशन वॉरफेयर जैसे नए क्षेत्र युद्ध का हिस्सा बन चुके हैं। भारत इन क्षेत्रों में लगातार अपने कदम मजबूत कर रहा है और दुनिया की आधुनिक सामरिक शक्तियों में शुमार होता जा रहा है। दूसरी ओर पाकिस्तान इन क्षेत्रों में गंभीर रूप से पिछड़ा हुआ है। आर्थिक कमी, तकनीकी आधारभूत संरचना की कमजोर स्थिति और राजनीतिक अस्थिरता ने पाकिस्तान को सामरिक रूप से बेहद कमजोर बना दिया है। इसके बावजूद पाकिस्तान की सेना और नेतृत्व का भारत को चुनौती देना केवल बयानबाजी भर है जिसका वास्तविकता से कोई संबंध नहीं। मुनीर ने अपने बयान में अफगानिस्तान और तालिबान पर भी हमला बोला। पाकिस्तान आज जिस स्थिति में पहुंचा है, उसमें यह स्पष्ट दिखता है कि उसके रिश्ते तालिबान से भी लगातार बिगड़ते जा रहे हैं। पाकिस्तान तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान पर काबू पाने में विफल रहा है। तालिबान सरकार और टीटीपी के बीच गहरी नजदीकियां पाकिस्तान के लिए सिरदर्द बनी हुई हैं। इसी तरह पाकिस्तान भारत पर यह आरोप लगाता है कि भारत टीटीपी को समर्थन देता है। यह आरोप भी पाकिस्तान की उसी परंपरागत नीति का हिस्सा है जिसमें वह अपनी असफलताओं की जिम्मेदारी दूसरे देशों पर डालने की कोशिश करता है। दुनिया जानती है कि आतंकवाद का वास्तविक पालक-पोषक कौन रहा है और किस देश की जमीन दशकों तक आतंकी प्रशिक्षण शिविरों की मेजबान बनी रही है।मुनीर की इस नियुक्ति के साथ पाकिस्तान में 27वां संविधान संशोधन भी चर्चा में आया। इस संशोधन के माध्यम से सेना को और अधिक शक्ति प्रदान की गई है। मुनीर अब सिर्फ सीडीएफ ही नहीं बल्कि चीफ ऑफ आर्मी स्टाफ की भूमिका में भी हैं। उन्हें पाकिस्तान के परमाणु हथियारों पर नियंत्रण की कमान भी सौंप दी गई है और उनकी सेवाओं को दो साल का विस्तार दिया गया है। यह स्थिति बताती है कि पाकिस्तान में नागरिक शासन कितना कमजोर हो चुका है और वहां की वास्तविक शक्ति क्या केवल सेना के हाथों में केंद्रित है। ऐसी परिस्थिति में सेना के शीर्ष अधिकारी द्वारा भारत पर हथियारों की भाषा में बात करना कोई आश्चर्य की बात नहीं। लेकिन यह भी सच है कि पाकिस्तान की आर्थिक हालत उस स्थिति में नहीं कि वह किसी प्रकार का तनाव झेल सके। महंगाई, बेरोजगारी, खाद्यान्न के बढ़ते दाम, ईंधन संकट, विदेशी मुद्रा भंडार की कमी और राजनीतिक अस्थिरता जैसे कारकों ने पाकिस्तान को भीतर से खोखला बना दिया है। जिस देश की जनता दो वक्त की रोटी के लिए संघर्ष कर रही हो, वह दुनिया की शीर्ष सैन्य शक्ति को धमकी दे।यह केवल एक राजनीतिक प्रदर्शन है। दूसरी ओर भारत आज एक स्थिर, शक्तिशाली और आधुनिक रक्षा क्षमता से लैस देश है। भारत की सेना दुनिया की सबसे बड़ी और सबसे पेशेवर सेनाओं में से एक है। भारत की तकनीकी प्रगति उसे आधुनिक युद्ध के नए आयामों में अग्रणी बनाती है। भारत की कूटनीतिक स्थिति भी बेहद मजबूत है और दुनिया के बड़े राष्ट्र भारत को एक विश्वसनीय साझेदार और जिम्मेदार शक्ति के रूप में देखते हैं। यही वजह है कि पाकिस्तान की धमकियों का भारत पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता। भारत को किसी को अपनी ताकत साबित करने की आवश्यकता नहीं क्योंकि भारत की क्षमता जगजाहिर है। भारत आतंकवाद के मुद्दे पर हमेशा सख्त रहा है। उसने समय-समय पर आतंकियों के पनाहगाहों और उनकी गतिविधियों पर कठोर कार्रवाई की है। चाहे उरी हमले के बाद की कार्रवाई हो या बालाकोट की एयर स्ट्राइक, भारत ने यह स्पष्ट कर दिया है कि वह अपने नागरिकों की सुरक्षा को लेकर किसी भी हद तक जा सकता है। आतंकवाद की उत्पत्ति कहां हुई और किन देशों ने उसको संरक्षण दिया, यह आज दुनिया जानती है। पाकिस्तान जितनी भी कोशिश करे, वह अपनी इस वास्तविकता से बच नहीं सकता कि उसकी जमीन दशकों तक आतंकवाद की प्रयोगशाला रही है। इस पृष्ठभूमि में पाकिस्तान का भारत को लगातार धमकाना और अपनी शक्ति का बखान करना केवल उसकी स्थिति पर पर्दा डालने की एक कोशिश है। पाकिस्तान को अपनी हैसियत समझने और अपनी आंतरिक चुनौतियों का समाधान करने की जरूरत है। भारत हमेशा शांति का पक्षधर देश रहा है लेकिन भारत यह भी भलीभांति जानता है कि शांति बनाए रखने के लिए शक्ति का होना उतना ही जरूरी है। भारत अपनी ताकत दिखाकर नहीं बल्कि अपने आचरण और नीतियों के माध्यम से दुनिया में सम्मान पाता है। पाकिस्तान को चाहिए कि वह भारत-विरोध की राजनीति छोड़कर अपने देश की आर्थिक और सामाजिक समस्याओं पर ध्यान दे। भारत की स्थिरता, प्रगति और सामरिक क्षमता का मुकाबला करना न पाकिस्तान के बस में है और न ही उसकी वर्तमान स्थिति इसकी अनुमति देती है। समय आ गया है कि पाकिस्तान अपनी वास्तविकता को स्वीकार करे और यह समझे कि भारत को धमकाने की उसकी कोशिशें न तो सफल होंगी और न ही विश्व समुदाय इन्हें गंभीरता से लेगा। भारत अपनी नीति और अपने संकल्प पर अडिग है और किसी भी धमकी से विचलित होने वाला नहीं। (वरिष्ठ पत्रकार, साहित्यकार,स्तम्भकार) (यह लेखक के व्यक्तिगत विचार हैं इससे संपादक का सहमत होना अनिवार्य नहीं है) .../ 14 दिसम्बर /2025