राज्य
15-Dec-2025
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- भारी पुलिस बल की मौजूदगी में हुई कार्रवाई - दशकों से जमी रोजी-रोटी पर प्रशासन का बुलडोजर - तीन हजार मजदूरों के भविष्य पर मंडराया संकट - विरोध के बीच खोदी गई ट्रेंच, शिफ्ट किए गए पेड़ गुना (ईएमएस)| जिले में औद्योगिक विकास और रोजगार के नए अवसर सृजित करने के उद्देश्य से प्रस्तावित अडानी सीमेंट फैक्ट्री के निर्माण की प्रक्रिया ने अब गति पकड़ ली है। सोमवार को तहसील गुना ग्रामीण के ग्राम मावन में प्रशासन ने एक बड़ी कार्रवाई को अंजाम देते हुए आवंटित भूमि पर बाउंड्री वॉल निर्माण की बाधाओं को दूर किया। भारी पुलिस बल और राजस्व विभाग की मौजूदगी में सर्वे क्रमांक 679/1/6/1 (रकबा 32 हेक्टेयर) पर काबिज ईंट भट्टा संचालकों को मौके से बेदखल कर दिया गया। मशीनों से खुदवाई ट्रेंच, पेड़ों की हुई शिफ्टिंग तहसीलदार (ग्रामीण) कमल सिंह मंडेलिया के नेतृत्व में पहुंची टीम ने भूमि का सीमांकन कर बाउंड्री वॉल के लिए ट्रेंच (खाई) खुदवाने का कार्य शुरू कराया। इस दौरान वहां संचालित ईंट भट्टों को हटाया गया। पर्यावरण संवर्धन का ध्यान रखते हुए मौके पर मौजूद फलदार कटहल के पेड़ों को भी मशीनों के जरिए सावधानीपूर्वक दूसरी जगह शिफ्ट किया गया। कार्रवाई के दौरान अडानी गु्रप के प्रतिनिधि और राजस्व अमला तैनात रहा, ताकि निर्माण कार्य में कोई व्यवधान उत्पन्न न हो। हजारों मजदूरों की रोजी-रोटी का संकट प्रशासनिक दृष्टि से यह कार्रवाई भले ही नियम सम्मत हो, लेकिन स्थानीय कुम्हार-प्रजापति समाज के लिए यह किसी त्रासदी से कम नहीं है। पिछले कई दशकों से इस क्षेत्र में ईंट भट्टा संचालित कर रहे परिवारों का कहना है कि वे विकास के विरोधी नहीं हैं, लेकिन उन्हें बिना पुनर्वास के उजाडऩा न्यायोचित नहीं है। हाल ही में समाज के लोगों ने जनसुनवाई में कलेक्टर से गुहार लगाई थी कि इस व्यवसाय से लगभग तीन हजार मजदूरों और आधा सैकड़ा परिवारों का पेट भरता है। आश्वासन और हकीकत के बीच फंसे भट्टा संचालक समाज के मनोज प्रजापति और अन्य संचालकों का आरोप है कि प्रशासन ने पूर्व में उन्हें मौखिक आश्वासन दिया था कि जमीन खाली कराने के बदले उन्हें करीब 40 बीघा वैकल्पिक भूमि आवंटित की जाएगी। हालांकि, अब तक कागजों पर एक इंच जमीन भी नहीं दी गई और सीधे बेदखली की कार्रवाई कर दी गई। प्रशासन ने भू-राजस्व संहिता की धारा 248 के तहत इसे अतिक्रमण माना है। भविष्य की चिंता में डूबे परिवार भट्टा संचालकों का दर्द है कि प्रशासन उन्हें अतिक्रमणकारी बता रहा है, जबकि वे वर्षों से इसी मिट्टी से अपना जीवन संवार रहे थे। अब ईंट भट्टों की आग बुझने के साथ ही इन गरीब परिवारों के सामने सिर छुपाने और बच्चों के भविष्य का संकट खड़ा हो गया है। ग्रामीणों की मांग है कि अडानी की फैक्ट्री जरूर बने, लेकिन उनकी आजीविका सुरक्षित करने के लिए जल्द से जल्द वैकल्पिक स्थान उपलब्ध कराया जाए। - सीताराम नाटानी