लोकसभा के शीतकालीन सत्र में पेश किए गए आंकड़ों के अनुसार... नई दिल्ली (ईएमएस)। कृषि प्रधान देश में किसानों के लिए खाद की किल्लत सबसे बड़ी समस्या बनी हुई है। इसकी सबसे बड़ी वजह कालाबाजारी और जमाखोरी है। लोकसभा में पेश सरकारी आंकड़ों के अनुसार, भाजपा शासित राज्यों में खाद की कालाबाजारी, जमाखोरी और डायवर्जन यानी गलत जगह सप्लाई के सबसे ज्यादा मामले सामने आए हैं। खाद की कालाबाजारी, जमाखोरी और डायवर्जन यानी गलत जगह सप्लाई के खिलाफ की गई कार्रवाई में उत्तरप्रदेश पहले, राजस्थान दूसरे और मप्र तीसरे स्थान पर है। केंद्र सरकार द्वारा लोकसभा में पेश किए गए आंकड़ों के अनुसार 1 अप्रैल से 28 नवंबर के बीच मध्य प्रदेश में कुल 91 एफआईआर दर्ज की गईं, जबकि 204 खाद विक्रेताओं और संस्थानों के लाइसेंस निलंबित या रद्द किए गए। देशभर के आंकड़ों पर नजर डालें तो उत्तर प्रदेश में खाद की कालाबाजारी, खराब क्वालिटी, गलत जगहों पर सप्लाई जैसे मामलों को लेकर 197 एफआईआर दर्ज की गईं, जो देश में सबसे ज्यादा हैं। राजस्थान 103 एफआईआर के साथ दूसरे स्थान पर रहा। वहीं, 91 एफआईआर दर्ज कर मध्य प्रदेश तीसरे नंबर पर है। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, मध्य प्रदेश में अप्रैल से 28 नवंबर 2025 के बीच 5,581 निरीक्षण और छापे की कार्रवाइयां की गई। इस दौरान एमपी में 204 लाइसेंस सस्पेंड और रद्द किए गए। कालाबाजारी के साथ-साथ खाद के डायवर्जन (गलत जगह सप्लाई) और घटिया गुणवत्ता के मामलों में भी कार्रवाई हुई। खाद के मामले में राज्यों की स्थिति लोकसभा में पेश सरकारी आंकड़ों के अनुसार, कालाबाजारी में हर मोर्चे पर उत्तर प्रदेश देश में सबसे आगे है। जमाखोरी में नोटिस कर्नाटक, लाइसेंस कार्रवाई उत्तर प्रदेश और एफआईआर राजस्थान में सबसे ज्यादा हुए हैं। घटिया गुणवत्ता में महाराष्ट्र सबसे बड़ा एक्शन स्टेट बना है। गलत सप्लाई/विपथन में नोटिस ओडिशा, लाइसेंस कार्रवाई मध्य प्रदेश और एफआईआर राजस्थान में सबसे ज्यादा। कुल एफआईआर के आधार पर उत्तर प्रदेश पहले, राजस्थान दूसरे और मध्य प्रदेश तीसरे स्थान पर। खाद की कालाबाजारी के मामलों में एफआईआर दर्ज करने वाले राज्यों में यूपी देश में पहले नंबर पर है। उत्तर प्रदेश में खाद की ब्लैक मार्केटिंग के मामले में 165 एफआईआर दर्ज की गई हैं। दूसरे नंबर पर बिहार में 77 और तीसरे नंबर पर एमपी में 72 एफआईआर दर्ज की गई हैं। जमाखोरी की मप्र में एक भी एफआईआर नहीं खाद की जमाखोरी के मामलों में सबसे ज्यादा 30 एफआईआर राजस्थान में दर्ज की गई हैं। दूसरे नंबर पर यूपी में आठ, तीसरे नंबर पर हरियाणा में चार एफआईआर दर्ज की गई हैं। एमपी में खाद की जमाखोरी के मामले में एक भी केस दर्ज नहीं हुआ है। खाद की घटिया क्वालिटी के मामलों में सबसे ज्यादा नोटिस जारी करने वाले राज्यों में महाराष्ट्र पहले नंबर पर और एमपी तीसरे नंबर पर है। महाराष्ट्र ने खाद की खराब गुणवत्ता के मामलों में 1139 नोटिस जारी किए हैं। दूसरे नंबर पर ओडिशा ने 107 और तीसरे नंबर पर एमपी में 44 नोटिस जारी किए गए हैं। खाद की गलत जगह सप्लाई करने के मामले में एमपी देश में पहले नंबर पर है। ऐसे मामलों में एमपी में 631 नोटिस जारी किए गए और 160 खाद विक्रेताओं के लाइसेंस सस्पेंड या रद्द करने की कार्रवाई हुई। एमपी में इस प्रकार के मामलों में 15 एफआईआर दर्ज की गईं।