अंतर्राष्ट्रीय
16-Dec-2025
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रक्षा पैकेज को लेकर क्या होगा उनके प्रशासन का अगला कदम सिडनी (ईएमएस)। ऑस्ट्रेलिया के बॉन्डी बीच पर हुए हमले, जिसमें यहूदी समुदाय को निशाना बनाया गया, और भारत के पहलगाम में हुए हमले के बीच समानताएँ और अंतर्राष्ट्रीय प्रतिक्रिया की स्थिति को दिखाता हैं। इन दोनों घटनाओं के मूल में कथित रूप से पाकिस्तानी हमलावरों का होना आतंकवाद के वैश्विक खतरे और उसकी जड़ों पर फिर से सवाल खड़े करता है। रिपोर्ट्स के अनुसार, बॉन्डी बीच पर गोलीबारी करने वालों में से एक 50 वर्षीय साजिद और उसका 24 वर्षीय बेटा नवीद अकरम थे। आंतकी साजिद 1998 में पाकिस्तान से ऑस्ट्रेलिया आया था और वहीं बस गया था। उसका बेटा नवीद अकरम पाकिस्तानी नागरिक था जो सिडनी में रह रहा था। वहीं सिडनी में पाकिस्तान के महावाणिज्यदूत ने सोशल मीडिया पर गलत पहचान किए गए एक अन्य पाकिस्तानी मूल के नागरिक के बारे में स्पष्टीकरण दिया था, लेकिन हमलावरों के पाकिस्तान कनेक्शन की जाँच चल रही है। वहीं आंतकी घटना पर डोनाल्ड ट्रंप का रुख भी सामने आया है। जहां बॉन्डी बीच हमले के तुरंत बाद, अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप ने इस हमले की निंदा की। उन्होंने भयानक हमला और स्पष्ट रूप से एक यहूदी-विरोधी हमला बताया। उन्होंने हनुक्का मना रहे यहूदी अमेरिकियों से गर्व के साथ जश्न मनाने का आग्रह कर कहा कि उन्हें डरने की ज़रूरत नहीं है। ट्रंप ने एक बहादुर नागरिक अहमद अल अहमद की भी प्रशंसा की, जिसने हमलावरों में से एक को बहादुरी से काबू किया और कई लोगों की जान बचाई। अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रुबियो ने भी हमले की कड़ी निंदा की और कहा कि यहूदी-विरोध की इस दुनिया में कोई जगह नहीं है। पहलगाम और बॉन्डी बीच हमले में समानताएँ दोनों ही हमलों में मासूम और निर्दोष लोगों को उनके धर्म के आधार पर निशाना बनाया गया। पहलगाम में हिन्दू श्रद्धालुओं को और बॉन्डी बीच पर हनुक्का मना रहे यहूदी समुदाय को। दोनों ही मामलों में हमलावरों के तार या तो सीधे पाकिस्तान से जुड़े थे या उनकी मानसिकता को पाकिस्तान स्थित आतंकी ठिकानों से प्रेरित माना जाता है। हांलाकि राष्ट्रपति ट्रंप ने हमले की निंदा कर यहूदी-विरोधी हमला कहा है। हालाँकि, पाकिस्तान को दिए गए रक्षा पैकेज पर उनके प्रशासन का अगला कदम क्या होगा, यह अभी स्पष्ट नहीं है हमले की अमेरिका द्वारा कड़ी निंदा की गई है। ऑस्ट्रेलिया और भारत, दोनों क्वाड सदस्य होने के कारण, अमेरिका के सहयोगी हैं। यहूदी समुदाय को निशाना बनाने के कारण इस हमले को अमेरिका गंभीरता से ले रहा है, लेकिन पाकिस्तान पर संभावित कार्रवाई का स्वरूप क्या होगा, यह भविष्य में देखने वाली बात होगी। अमेरिका पारंपरिक रूप से इजरायल का मजबूत सहयोगी रहा है, और इस हमले को यहूदी-विरोधी आतंकवाद के रूप में देखा जा रहा है। इसलिए, आतंकवाद के खिलाफ अमेरिका का बयान इजरायल के पक्ष में है। पाकिस्तान पर सीधे सैन्य कार्रवाई करने के बजाय, अमेरिका उस पर आतंकवाद के खिलाफ कदम उठाने के लिए कूटनीतिक दबाव बढ़ा सकता है। आशीष/ईएमएस 16 दिसंबर 2025