होसबोले ने कहा-भारतीय सांस्कृतिक जड़ें एक हैं, पूजा के तरीके अलग-अलग हो सकते हैं गोरखपुर,(ईएमएस)। आरएसएस के महासचिव दत्तात्रेय होसबाले ने बड़ा बयान दिया है। उन्होंने कहा कि सूर्य नमस्कार से मुस्लिमों का क्या बिगड़ जाएगा। अगर नमाज पढ़ने वाले मुस्लिम पर्यावरण की दृष्टि से नदी की पूजा या प्राणायाम करेंगे तो इसमें क्या गलत है? होसबाले ने बुधवार को कहा कि प्रकृति को अपनाना भारत की सांस्कृतिक परंपरा का हिस्सा है और प्रकृति पूजा से जुड़ी प्रथाएं किसी भी धर्म के व्यक्ति के लिए हानिकारक नहीं हैं। उन्होंने कहा कि आरएसएस किसी भी व्यक्ति या समुदाय को अपना दुश्मन नहीं मानता और समाज और राष्ट्र के कल्याण के लिए समावेशिता में विश्वास करता है। गोरखपुर के खोराबार मैदान में एक ‘हिंदू सम्मेलन’ को संबोधित करते हुए होसबाले ने कहा कि भारतीय सांस्कृतिक परंपराएं प्रकृति और पर्यावरण संरक्षण से गहराई से जुड़ी हैं। उन्होंने कहा कि अगर मुसलमान भी नदियों और पेड़ों की पूजा करते हैं, तो इसमें कुछ भी गलत नहीं है। ये परंपराएं प्रकृति संरक्षण और सामूहिक भलाई से जुड़ी हैं। होसबाले ने आगे कहा कि इसे संकीर्ण धार्मिक नजरिए से नहीं देखा जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि सूर्य नमस्कार एक वैज्ञानिक और स्वास्थ्य-उन्मुख अभ्यास है। इससे किसी को कोई नुकसान नहीं होता है और इसे करने से कुछ भी नहीं खोता है। हम ये नहीं कहेंगे कि तुम ये करो तो वो पूजा छोड़ दो, नमाज़ छोड़ दो। ये तो हम नहीं कहेंगे। सांस्कृतिक एकता पर जोर देते हुए होसबाले ने कहा कि भारतीय संस्कृति धार्मिक सीमाओं से परे सह-अस्तित्व और प्रकृति के प्रति सम्मान को बढ़ावा देती है। उन्होंने जोर देकर कहा कि आरएसएस समाज के सभी वर्गों के बीच आपसी सम्मान और सद्भाव में विश्वास करता है। ‘हिंदू-हिंदुत्व’, ‘राष्ट्र-राष्ट्रीयता’, और ‘भारत-भारतीयता’ जैसे विषयों पर बोलते हुए होसबाले ने कहा कि राष्ट्र निर्माण केवल चरित्र निर्माण से ही संभव है। उन्होंने कहा कि भारतीय सांस्कृतिक जड़ें एक हैं। पूजा के तरीके अलग-अलग हो सकते हैं, लेकिन धर्म एक है- सनातन। धर्म जीवन जीने की कला है। उन्होंने कहा कि सनातन धर्म के अनुयायियों की जिम्मेदारी है कि वे न केवल अपने लिए बल्कि दुनिया भर में मानवता के कल्याण के लिए मानवीय मूल्यों को बनाए रखें। उन्होंने कहा कि हमारे पूर्वजों ने हिंदू धर्म को मानव धर्म बताया है। किसी भी देश के लोग इसका पालन कर सकते हैं। 21 जून को दुनिया भर में अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस का उत्सव इसका एक स्पष्ट उदाहरण है। सिराज/ईएमएस 18दिसंबर25