लेख
19-Dec-2025
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भारतीय जनता पार्टी ने बिहार के मंत्री नितिन नबीन को पार्टी का राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष बनाकर बड़े-बड़े दिग्गजों को हैरान कर दिया है। नितिन नबीन वर्तमान पार्टी अध्यक्ष जे.पी. नड्डा की जगह पर बनाए गए। 45 वर्षीय नितिन नबीन भाजपा के सबसे युवा अध्यक्षों में से एक हैं। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह के मन में क्या चल रहा है। इसका अनुमान कोई तीसरा व्यक्ति नहीं लगा सकता। दोनों ने बड़े-बड़े फैसले कर पार्टी कार्यकर्ताओं के साथ-साथ देशभर को हमेशा ही बड़ा संदेश दिया है। आखिर ऐसा क्या है कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह ने नितिन को संगठन की राष्ट्रीय धुरी पर ला खड़ा किया। संदेश स्पष्ट है कि भाजपा में कार्यकर्ता का सम्मान होता है। मेहनत और ईमानदारी से पार्टी के प्रति समर्मित होकर काम करने वाले ही उच्च पदों पर विराजमान होते हैं। युवा नेता को शीर्ष पद पर बैठाना यह प्रदर्शित कर रहा है कि भाजपा अब अगली पीढ़ी की नेतृत्व पर अपना ध्यान केन्द्रित कर रही है। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ पहले ही यह कहता रहा है कि भाजपा को भविष्य के नेतृत्व पर ध्यान केन्द्रित करना चाहिए। इस तरह भाजपा 2029 और उसके बाद के भारत के दृश्य को देख रही है। उनके बिहार सरकार में मंत्री रहते हुए राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष नियुक्त किया है। भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव अरुण सिंह द्वारा जारी आदेश में कहा गया है कि संसदीय बोर्ड ने यह फैसला लिया है और नियुक्ति तत्काल प्रभावी है। वे पार्टी में युवा नेतृत्व का प्रतीक माने जा रहे हैं। पार्टी की एक व्यक्ति एक पद नीति के कारण बिहार सरकार में मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया । नितिन नबीन को राजनीति की विरासत अपने पिता से ही मिली है। उनके पिता नबीन किशोर सिन्हा जनसंघ से ही भाजपा से जुड़े। वे सात बार विधायक रहे। उनके निधन के बाद नितिन ने विरासत संभाली। नितिन नबीन ने अपनी सियासी पारी की शुरूआत भाजपा के छात्र संगठन अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद से की थी। इसके बाद वे भाजपा युवा मोर्चा से जुड़े रहे। उन्होंने अपनी मेहनत और योग्यता से जगह बनाई। छत्तीसगढ़ के चुनावों में उन्हें प्रभारी बनाया गया था जहां उन्होंने कांग्रेस सरकार का तख्ता पलट दिया था। छत्तीसगढ़ में कांग्रेस का किला उखाड़ फैंकने के बाद बिहार के चुनावों में भी उन्होंने मेहनत के साथ काम करते हुए पार्टी को अभूतपूर्व विजय दिलाई। नितिन नबीन बिहार सरकार में पथ निर्माण मंत्री और पटना की बांकीपुर सीट से पांच बार के विधायक हैं। उन्होंने नितिन गडकरी की शैली में काम करते हुए हजारों किलोमीटर सड़कें बनवाईं जो प्रधानमंत्री मोदी के आधारभूत केन्द्रित विकास से मेल खाता है। उन्होंने एक ऐसे मंत्री की तरह काम किया जो फाइलों के पीछे नहीं छुपते बल्कि धरातल पर काम दिखाना चाहते हैं। पथ निर्माण मंत्री के रूप में उन्हें काफी सराहना भी मिली। उन्हें सत्ता और संगठन दोनों का अनुभव प्राप्त है। राजनीति में इतने साल रहने के बावजूद नितिन नबीन की छवि बेदाग रही है। वे लो-प्रोफाइल रहकर काम करने में यकीन रखते हैं। न कोई भड़काऊ बयान, न कोई भ्रष्टाचार का आरोप। माना जाता है कि भाजपा को शीर्ष पद के लिए ऐसे ही चेहरे की तलाश थी। पार्टी संगठन को मजबूत करने और आगामी सियासी रणनीति को धार देने में उनकी भूमिका अहम मानी जा रही है। नितिन नबीन की नियुक्ति को बिहार की राजनीति में भाजपा के संगठनात्मक विस्तार के तौर पर देखा जा रहा है। नितिन नबीन को कार्यकारी अध्यक्ष बनाकर भाजपा ने कायस्थ समुदाय को सियासी संदेश दिया है। नितिन नबीन कायस्थ समुदाय से आते हैं। जनसंघ से लेकर भाजपा तक के सफर में कायस्थ समुदाय पार्टी का कोर वोट बैंक बना रहा है। कायस्थ समाज को सबसे पढ़ा-लिखा तबका माना जाता है। भाजपा ने देश के बौद्धिक वर्ग और अपने परंपरागत वोटर का खास ख्याल रखते हुए नितिन नबीन को संगठन का शीर्ष पद सौंपा है। जातिगत समीकरणों को साधने के साथ-साथ नितिन सबका साथ वाली छवि भी रखते हैं। हिंदी पट्टी के शहरी इलाकों में कायस्थ समुदाय के वोटर निर्णायक भूमिका में हैं, जिन पर नितिन नबीन की पकड़ मजबूत मानी जाती है। कायस्थ समुदाय की संख्या भले कम हो, पर उनकी बौद्धिक उपस्थिति, प्रशासनिक पकड़ और शहरी नेतृत्व में भूमिका हमेशा से महत्वपूर्ण रही है। नितिन नबीन ने इस भूमिका को न सिर्फ निभाया है, बल्कि और मजबूत किया है। नितिन नबीन का शांत स्वभाव, संतुलित बयानबाजी और बिना विवादों के काम करने की छवि उन्हें कायस्थ समाज का स्वाभाविक और स्वीकार्य नेता बनाती है। भाजपा की परंपरागत शैली पर नजर डालें तो कार्यकारी अध्यक्ष औपचारिक चुनाव के बाद अध्यक्ष पद धारण कर लेता है। लिहाजा पार्टी ने परंपराओं का पालन बखूबी कर लिया । जिस कायस्थ समाज से नितिन आते हैं, उसकी आबादी 2023 में कराई गई जातीय गणना के मुताबिक बिहार में मात्र 0.6% है । इस हिसाब से बिहार में केवल 7.85 लाख कायस्थ हैं। हालांकि जाति के संगठनों का दावा है कि केवल पटना में ही 10 लाख कायस्थ रहते हैं। आंकड़ों की हकीकत कुछ और भी हो सकती है, पर इतना तय है कि विधानसभा चुनाव में मिली जबरदस्त जीत के साथ भाजपा ने राष्ट्रीय स्तर पर भी बिहार के संदेश की धमक दिखाने में देर नहीं की। पश्चिम बंगाल में कायस्थ वोटर काफी अहम माने जाते हैं। ऐसे में नितिन नबीन के जरिए पश्चिम बंगाल को भी सियासी संदेश देने की कवायद की गई है ताकि कायस्थ वोटों का विश्वास जीतकर बंगाल की सत्ता में कमल खिलाया जा सके। बिहार में भाजपा के तीन कायस्थ विधायक 2020 में थे, जिसमें से दो विधायकों का टिकट पार्टी ने काट दिया था, लेकिन नितिन नबीन एकलौते थे, जिन पर भरोसा जताया था। ऐसे में नितिन नबीन बंगाल चुनाव में भाजपा के लिए एक तरह से ट्रंप कार्ड साबित हो सकते हैं। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने उन्हें शुभ कामनाएं देते हुए जो विशेषण इस्तेमाल किए हैं वह यह बताते हैं कि उन्हें जिम्मेदारी क्यों दी गई। युवा ऊर्जा, संगठनात्मक अनुभव, मेहनत और जनता से जुड़ाव के कारण। इन शब्दों को समझें तो साफ हो जाता है कि भाजपा भविष्य के लिए एक मजबूत, समर्पित और जमीन से जुड़े नेता को तैयार कर रही है। पीएम मोदी और अमित शाह के सोशल मीडिया पोस्ट में इस्तेमाल विशेषण नबीन की नियुक्ति का कारण स्पष्ट करते हैं। पीएम मोदी ने उन्हें कर्मठ कार्यकर्ता, युवा, परिश्रमी, विनम्र, समर्पित और ऊर्जावान बताया। अमित शाह ने युवा, दिन-रात परिश्रम करने वाले, निष्ठावान और सफल कहा, साथ ही जनता के बीच लंबे अनुभव पर जोर दिया। ये शब्द बताते हैं कि भाजपा को ऐसे नेता की जरूरत थी जो संगठन को नई ताकत दे, युवाओं को जोड़े और चुनावी सफलता सुनिश्चित करें। माना जाता है कि नितिन नबीन ही भाजपा के नए राष्ट्रीय अध्यक्ष भी होंगे। कुछ ऐसा ही जे.पी. नड्डा के समय में भी हुआ था। नड्डा को भी पहले कार्यकारी अध्यक्ष बनाया गया था और बाद में उन्हें ही राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाया गया था। उम्मीद है कि नबीन पार्टी कार्कर्ताओं में नई ऊर्जा का संचार करेंगे और पार्टी की नीतियों को प्रभावशाली ढंग से जन-जन तक पहुंचाने और भाजपा का विस्तार करने में सफल रहेंगे। उनकी नियुक्ति पार्टी के हर युवा कार्यकर्ता का सम्मान है। इस नियुक्ति का एक और संकेत है कि पार्टी में अगली पीढ़ी का समय शुरू हो चुका है। हर स्तर पर युवा भागीदारी बढ़ती दिख रही है। लंबे समय से संघ और संगठन के बीच समन्वय की बातें चल रही थीं। बतौर अध्यक्ष जेपी नड्डा के कार्यकाल को विस्तार मिला था और संघ की तरफ से बार- बार निर्देश मिल रहे थे । इस बीच कई नाम चर्चा में उठे। लेकिन, मोदी और शाह की जोड़ी ने सारे अनुमानों को ध्वस्त करते हुए सवर्ण समाज से ऐसे युवा नेता को चुना है, जो अत्यधिक विनम्रतावश कभी शिखर नेतृत्व का अनादर और उपेक्षा नहीं कर पाएगा। (यह लेखक के व्य‎‎‎क्तिगत ‎विचार हैं इससे संपादक का सहमत होना अ‎निवार्य नहीं है) .../ 19 ‎दिसम्बर /2025