राष्ट्रीय
21-Dec-2025
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नई दिल्ली,(ईएमएस)। दिल्ली की एक अदालत के विशेष जज को लेकर इन दिनों राजनीतिक और कानूनी हलचल तेज हो गई है। दिलचस्प बात यह है कि जिस जज ने हाल ही में कांग्रेस नेता सोनिया गांधी को नेशनल हेराल्ड से जुड़े मामले में बड़ी राहत दी थी, उसी जज को बदलने की मांग राष्ट्रीय जनता दल प्रमुख लालू प्रसाद यादव के परिवार की ओर से की गई। हालांकि अदालत ने इस मांग को पूरी तरह खारिज कर दिया। प्रधान जिला एवं सत्र न्यायाधीश ने बिहार की पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी की याचिका नामंजूर कर दी। राबड़ी देवी ने अपने और अपने परिवार के खिलाफ चल रहे मामलों को दूसरी अदालत में ट्रांसफर करने की मांग की थी। उनका आरोप था कि विशेष जज उनके मामलों में पक्षपातपूर्ण रवैया अपना रहे हैं। अदालत ने साफ कहा कि केवल आरोपों के आधार पर किसी जज को बदलने की मांग स्वीकार नहीं की जा सकती और सुनवाई तय कानूनी प्रक्रिया के अनुसार ही आगे बढ़ेगी। लालू परिवार के खिलाफ ये मामले लैंड फॉर जॉब्स और आईआरसीटीसी घोटाले से जुड़े हैं। इनमें राबड़ी देवी के अलावा लालू प्रसाद यादव, उनके बेटे तेजस्वी यादव और परिवार के अन्य सदस्य आरोपी हैं। सुनवाई के दौरान जांच एजेंसियों ने ट्रांसफर याचिका का कड़ा विरोध किया। एजेंसियों का कहना था कि यह याचिका दुर्भावना से दायर की गई है और इसका मकसद न्यायिक प्रक्रिया में हस्तक्षेप करना है। यह भी दलील दी गई कि जब तक आरोप तय हुए और मामला सबूतों के चरण में पहुंचा, तब तक किसी तरह के पक्षपात का मुद्दा नहीं उठाया गया। इसी बीच, यही विशेष जज एक अन्य अहम फैसले को लेकर भी चर्चा में हैं। कुछ दिन पहले उन्होंने नेशनल हेराल्ड मामले में सोनिया गांधी और राहुल गांधी के खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग से जुड़ी शिकायत पर संज्ञान लेने से इनकार कर दिया था। अदालत का कहना था कि यह शिकायत किसी अनुसूचित अपराध से जुड़ी एफआईआर पर आधारित नहीं है, इसलिए कानूनन टिकाऊ नहीं मानी जा सकती। इस आदेश को गांधी परिवार के लिए बड़ी राहत के रूप में देखा गया। हालांकि इस फैसले से असंतुष्ट जांच एजेंसी ने अब हाईकोर्ट का रुख किया है। एजेंसी का कहना है कि मनी लॉन्ड्रिंग कानून के तहत नया अभियोजन मामला दर्ज किया गया है और ट्रायल कोर्ट के आदेश को चुनौती दी गई है। इस पर जल्द सुनवाई होने की संभावना है। नेशनल हेराल्ड मामला एसोसिएटेड जर्नल्स लिमिटेड से जुड़ा है, जो पहले नेशनल हेराल्ड का प्रकाशन करती थी। आरोप है कि 2010 में ‘यंग इंडियन प्राइवेट लिमिटेड’ नाम की कंपनी ने एजेएल का कर्ज बहुत कम रकम में खरीद लिया और बाद में हजारों करोड़ रुपये मूल्य की संपत्तियों पर नियंत्रण हासिल कर लिया। इस कंपनी में सोनिया गांधी और राहुल गांधी की बड़ी हिस्सेदारी बताई जाती है। जांच एजेंसी का आरोप है कि इस लेनदेन के जरिए पार्टी फंड का दुरुपयोग कर संपत्तियों पर कब्जा किया गया। हाल ही में इससे जुड़ी सैकड़ों करोड़ रुपये की संपत्तियों को जब्त करने की प्रक्रिया भी शुरू की गई है। वीरेंद्र/ईएमएस 21 दिसंबर 2025