राष्ट्रीय
21-Dec-2025
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डीआरडीओ वायुसेना के लिए बना रहा नेक्ट्।ड जेनरेशन क्रूज मिसाइल नई दिल्ली (ईएमएस)। मई में ऑपरेशन सिंदूर के बाद भारत ने भी पांचवीं और छठवीं पीढ़ी की तकनीक पर काम करने के लिए एएमसीए प्रोजेक्टे को लांच किया है। मोदी सरकार की तरफ से शुरुआती चरण में इसके लिए 15 हजार करोड़ रुपये का फंड आवंटन हुआ है। फाइटर जेट और ड्रोन के साथ ही भारत मिसाइल टेक्नोकलॉजी के क्षेत्र में लगातार काम कर रहा है। बताया जा रहा है कि भारत अब ऐसी मिसाइल तैयार कर रहा है, जो टारगेट को लॉक करने के बाद कंफर्म करेगा कि इसपर ही अटैक करना है या किसी और पर। कंफर्म होते ही यह मिसाइल पलक झपकते ही दुश्मननों को तबाह कर देगी। इस मिसाइल को खासतौर पर इंडियन एयरफोर्स के लिए डिजाइन किया जा रहा है। इससे वायुसेना की ताकत कई गुना बढ़ेगी। रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) भारतीय वायुसेना के लिए नेक्ट्ते जेनरेशन क्रूज मिसाइल पर काम कर रहा है। लगभग 250 किलोमीटर की मारक क्षमता वाली मिसाइल को इस तरह डिजाइन किया जा रहा है कि इसमें पारंपरिक क्रूज मिसाइल की ताकत के साथ-साथ निगरानी और टारगेट का पता चलने तक हवा में मंडराने की क्षमता होगी। रिपोर्ट के अनुसार, यह मिसाइल लॉन्च होने के बाद तय इलाके के ऊपर कुछ समय तक मंडरा सकेगी। इस दौरान यह रियल टाइम में निगरानी करेगी और अंतिम हमले से पहले लक्ष्य की पुख्ता पहचान की जा सकेगी। मौजूदा क्रूज मिसाइलों में लांच के साथ ही लक्ष्य तय हो जाता है, लेकिन इस नई प्रणाली में लांच करने वाले लड़ाकू विमान से हथियार प्रणाली अधिकारी लक्ष्य की पुष्टि के बाद ही हमले की अनुमति दे सकेगा। अब सवाल उठता है कि नेक्ट्ले जेनरेशन क्रूज मिसाइल ब्रह्मोस ज्यापदा घातक कैसे है। बता दें कि नई मिसाइल टारगेट लॉक होने और इस बाबत कंफर्मेशन मिलने तक अटैक नहीं करेगी। टारगेट जब तक कंफर्म नहीं होगा, हमला नहीं किया जाएगा। इससे कोलेटरल डैमेज की स्थिति नई नेक्ट्ीन जेनरेशन मिसाइल में कम से कम होगी। 50 किलोग्राम का विस्फोटक वारहेड लगाया जा सकता है, जो अलग-अलग तरह के लक्ष्यों को नष्ट करने के लिए पर्याप्त है। इसका डिजाइन मॉड्यूलर होगा, यानी मिशन की जरूरत के अनुसार इसमें अलग-अलग पेलोड लगाए जा सकते है। इसमें इन्फ्रारेड लक्ष्य खोजने वाले सेंसर और उन्नत गाइडेंस सिस्टम भी शामिल हो सकते हैं। मिसाइल की दिशा और सटीकता के लिए इनर्शियल नेविगेशन सिस्टम (आईएनएस) और जीपीएस का इस्तेमाल होगा। इसके अलावा इसमें मौजूद ऑनबोर्ड सिस्टम लंबी दूरी तक सही निशाने को तय करेगी। लॉइटरिंग क्षमता के चलते मिसाइल लक्ष्य क्षेत्र के ऊपर चक्कर लगाते हुए लाइव तस्वीरें और जानकारी लांच करने वाले विमान तक भेज सकेगी। लक्ष्य तय होते ही हमला करने का आदेश दिया जा सकेगा, जिससे ‘मैन-इन-द-लूप’ यानी मानव की सीधी निगरानी में हमला संभव होगा। इस मिसाइल की एक बड़ी खासियत यह है कि इस जमीन और समुद्र दोनों तरह के लक्ष्यों पर हमला करने के लिए तैयार किया जा रहा है। आशीष/ईएमएस 21 दिसंबर 2025