नई दिल्ली,(ईएमएस)। कहते हैं कि चोर चोरी से जाएं.....लेकिन सीनाजोरी से नहीं, यह कहावत चीन पर सटीक बैठती है। क्योंकि चीन अपनी चालबाजी से बाज नहीं आ रहा है। चीन तिब्बत में यारलुंग त्सांगपो नदी पर एक बड़ी जलविद्युत परियोजना को बनने में जुटा है। इसके बारे में विशेषज्ञों और अधिकारियों ने चेतावनी दी है कि भारत में नदी के निचले हिस्से में जल सुरक्षा, इकोसिस्टम और आजीविका को गंभीर रूप से खतरे में डाल सकता है। क्योंकि यह नदी ब्रह्मपुत्र के रूप में भारत में प्रवेश करती है, इसलिए नदी के ऊपरी हिस्से में किसी भी बड़े पैमाने पर हस्तक्षेप को उन लाखों लोगों के लिए सीधा खतरा है। एक रिपोर्ट के मुताबिक, प्रस्तावित 168 अरब डॉलर की हाइड्रोपावर योजना बहुत बड़ी होगी। यह योजना करीब 2000 मीटर की खड़े ढलान का इस्तेमाल करके कई बांध, जलाशय, सुरंगें और अंडरग्राउंड पावर स्टेशन के द्वारा बिजली बनाएगी। विदेश मामलों के राज्य मंत्री कीर्ति वर्धन सिंह ने कहा कि वे ब्रह्मपुत्र नदी से जुड़ी घटनाओं पर लगातार नजर रख रहे हैं। उन्होंने कहा, भारत ने तिब्बत में यारलुंग त्सांगपो (ब्रह्मपुत्र नदी के ऊपरी भाग) के निचले इलाकों पर चीन के मेगा डैम प्रोजेक्ट शुरु करने की खबरों का संज्ञान लिया है। विदेश मंत्रालय ने राज्यसभा में बताया कि इस परियोजना को पहली बार 1986 में सार्वजनिक किया गया था और तब से चीन में इसकी तैयारियां कर रहा हैं। विदेश मंत्रालय ने कहा कि सरकार इस इलाके में भारतीय हितों की रक्षा के लिए प्रतिबद्ध है। बयान में कहा गया है, सरकार ब्रह्मपुत्र नदी से संबंधित सभी घटनाक्रमों पर कड़ी नजर रखती है, इसमें चीन के हाइड्रोपावर प्रोजेक्ट के विकास की योजनाएं भी शामिल हैं, और अपने हितों की रक्षा के लिए जरूरी कदम उठाती है। रिपोर्ट में विशेषज्ञों का कहना है कि ऊपरी हिस्से में (चीन में) कोई छेड़छाड़ या प्रोजेक्ट होने से नदी का प्राकृतिक बहाव बिगड़ सकता है। यहां तक कि छोटे-छोटे बदलाव भी असम और अरुणाचल प्रदेश के उपजाऊ बाढ़ वाले मैदानों, मछली पालन और भूजल रिचार्ज को प्रभावित कर सकते हैं। ये इलाके पहले से ही जलवायु परिवर्तन के तनाव से कमजोर हैं। वहीं चीन ने इन सभी चिंताओं को खारिज किया है। चीन के विदेश मंत्रालय का कहना है कि निचले इलाकों वाले देशों पर कोई बुरा असर नहीं पड़ेगा। इस प्रोजेक्ट का तकनीकी स्तर इतना जटिल है कि इससे डर बढ़ गया है। भारत ने भी तेज किया अपना प्रोजेक्ट इन ऊपरी प्रोजेक्ट्स को देखते हुए भारत की सबसे बड़ी सरकारी हाइड्रोपावर कंपनी ने ब्रह्मपुत्र पर अपना 11,200 मेगावाट का प्रोजेक्ट तेजी से आगे बढ़ाया है, ताकि रणनीतिक और पानी की सुरक्षा न खो जाए। विशेषज्ञ कहते हैं कि एक ही नदी पर दोनों देशों के बड़े प्रोजेक्ट जोखिम बढ़ा सकते हैं। बिना सहयोग और पारदर्शिता के, भारत-चीन के बीच बांध बनाने की होड़ से ब्रह्मपुत्र और इसके लाखों निर्भर लोगों का भविष्य खतरे में पड़ सकता है। आशीष/ईएमएस 21 दिसंबर 2025