- नया टैक्स कानून लाने की तैयारी? नईदिल्ली (ईएमएस) । भारतीय परिवारों के घरों में जमा सोने को लेकर एक बार फिर सरकार के अंदर बहस छिड़ गई है। सूत्रों के अनुसार देश मे भारतीय परिवारों के पास करीब 35,000 टन सोना आभूषण और अन्य रूप में मौजूद है। जिसकी मौजूदा अंतरराष्ट्रीय कीमत लगभग 5 ट्रिलियन डॉलर (करीब 415 लाख करोड़ रुपये) आंकी जा रही है। यह मात्रा दुनिया के कई देशों के केंद्रीय बैंकों के स्वर्ण भंडारों से अधिक है। सरकार से जुड़े कुछ नीति सलाहकारों और आर्थिक विशेषज्ञों के जिस तरह के बयान आ रहे हैं उसके बाद यह मुद्दा चर्चा में आ गया है। इस जमा सोने को “डेड मनी” मानते हुए सरकार मुख्यधारा की अर्थव्यवस्था में लाना चाहती है। सरकार के नीति निर्धारकों द्वारा यह बात भी कही जा रही है।प्रत्येक परिवार के लिए सोने की घोषणा अनिवार्य की जाए। एक लिमिट के बाद सोने पर टैक्स लगाया जाए। कुछ आर्थिक विशेषज्ञों का सुझाव है, सोने मे 30 प्रतिशत तक टैक्स सोने की मूल्य वृद्धि पर हुए वार्षिक लाभ पर लगाया जाए। काला धन के रूप में जमा सोने के लिए माफी योजना लाने का सुझाव भी सरकार को मिला है। तर्क दिया जा रहा है, घरों में रखा सोना सरकारी प्रणाली में आ जाता है, तो इससे सरकार का राजस्व बढ़ेगा। आरबीआई की बैलेंस शीट मजबूत होगी, विदेशी मुद्रा भंडार मज़बूत होगा। सरकार को वैश्विक संस्थानों से ज्यादा कर्ज मिल सकता है। वैश्विक अर्थव्यवस्था में भारत मजबूत होगा।सरकार के लिए कर्ज पर निर्भरता कम होगी। रिजर्व बैंक और बैंकों की स्थिति मजबूत होगी। उद्योगों को कर्ज देने की क्षमता बैंकों की बढ़ेगी। आर्थिक विकास को गति तेज होगी। सरकार जो विचार कर रही है। उसका सबसे बड़ा खतरा भी है। समाज के बड़े वर्ग में गहरी असहमति देखने को मिल सकती है। आलोचकों का कहना है, भारतीय परिवारों के लिए सोना सिर्फ निवेश नहीं है,बल्कि यह एक सामाजिक सुरक्षा तथा सामाजिक परंपराओं का मुख्य आधार है। शादी विवाह, चिकित्सा आपातकाल, शिक्षा और किसी भी संकट के समय यही सोना भारतीय परिवारों का सबसे बड़ा सहारा बनता है। सोने के आभूषण महिलाओं के लिए सुरक्षा कवच है। भारत में इसे स्त्री धन के रूप में देखा जाता है। ऐसे में सदियों से संचित पीढ़ी दर पीढ़ी विरासत में मिले सोने पर टैक्स लगाना अन्यायपूर्ण माना जाएगा, इसकी तीव्र प्रतिक्रिया हो सकती है। आर्थिक एवं सामाजिक विशेषज्ञ सवाल उठा रहे हैं। यदि किसी निम्न या मध्यम वर्गीय परिवार के पास 100–150 ग्राम सोना है।जिसकी कीमत वर्तमान सोने के मूल्य के अनुसार 12 से 20 लाख रुपये तक हो सकती है। उस पर टैक्स चुकाना, अथवा उसे सार्वजनिक करना व्यावहारिक रूप से ठीक नही होगा। मध्यम वर्ग और निम्न वर्ग की सामाजिक प्रतिष्ठा पर इसका असर पड़ेगा। सरकार यदि सोने पर टैक्स लगाती है तो टैक्स को चुकाने के लिए लोगों को कर्ज लेना पड़ सकता है। पीढ़ी दर पीढ़ी आभूषण ट्रांसफर होकर बच्चों तक पहुंचाते हैं। भावात्मक रूप से वह आभूषणों से जुड़े रहते हैं। ऐसी स्थिति में न केवल उसे संभाल कर रखते हैं। वरन आभूषणों के माध्यम से वह अपने पूर्वजों को भी याद करते हैं। सरकार यदि सोने को डिक्लेअर करने और उस पर टैक्स लगाने की बात करती है। ऐसी स्थिति में इस कानून का बड़े पैमाने पर देश भर में विरोध भी हो सकता है। सरकार की ओर से अभी सोने पर टैक्स या अनिवार्य घोषणा को लेकर कोई आधिकारिक बयान सामने नहीं आया है। लेकिन चल रही चर्चाओं ने स्पष्ट कर दिया है। सरकार वर्तमान आर्थिक स्थिति को देखते हुए घरों में जमा विशाल सोने के स्टॉक को भारतीय अर्थ व्यवस्था में शामिल करने के लिए कोई कानून 2026-27 के बजट में लेकर जरूर आएगी। हिदायत खान/24 दिसंबर2025