:: खाड़ी के मंदिर में रुक्मणी विवाह पर उमड़ा आस्था का सैलाब; 31 को आयोजित होगा भव्य अन्नकूट :: इंदौर (ईएमएस)। हृदय में पवित्र संकल्पों का उदय होते ही विचारों का प्रवाह स्वतः ही निर्मल और सात्विक हो जाता है। भगवान की लीलाओं का दर्शन और श्रवण न केवल मन के विकारों को दूर करता है, बल्कि हमारी इंद्रियों पर भी दिव्य प्रभाव डालता है। ये प्रेरक विचार प्रसिद्ध भागवत भूषण आचार्य पं. राजेश शास्त्री ने व्यक्त किए। वे यहाँ लोहारपट्टी स्थित श्रीजी कल्याण धाम, खाड़ी के मंदिर पर आयोजित श्रीमद् भागवत ज्ञानयज्ञ के छठे दिन रुक्मणी विवाह प्रसंग की मार्मिक व्याख्या कर रहे थे। यह आयोजन हंसदास मठ के पीठाधीश्वर श्रीमहंत स्वामी रामचरणदास महाराज एवं महामंडलेश्वर महंत पवनदास महाराज के पावन सानिध्य में संपन्न हो रहा है। :: आत्मा-परमात्मा का मिलन है रुक्मणी विवाह :: पं. शास्त्री ने आध्यात्मिक विवेचना करते हुए कहा कि कृष्ण-रुक्मणी विवाह वास्तव में आत्मा और परमात्मा के मिलन का प्रतीक है। उन्होंने कहा, मनुष्य जीवन केवल पशुवत व्यवहार के लिए नहीं, बल्कि सद्भाव, परमार्थ और सेवा-करुणा जैसे प्रकल्पों के लिए मिला है। भगवान धन-संपत्ति के नहीं, अपितु प्रेम और भाव के भूखे हैं। उन्होंने समाज में व्याप्त बुराइयों पर प्रहार करते हुए कहा कि कंस कोई व्यक्ति नहीं बल्कि एक अधर्मी प्रवृत्ति है, जिसका अंत अनिवार्य है। :: भक्ति के रंग में रंगा मंदिर परिसर :: कथा के दौरान रुक्मणी विवाह का उत्सव अत्यंत धूमधाम से मनाया गया। जैसे ही कृष्ण और रुक्मणी बने पात्रों ने एक-दूसरे को वरमाला पहनाई, समूचा मंदिर परिसर भगवान के जयघोष से गुंजायमान हो उठा। महिला श्रद्धालुओं ने भक्ति गीतों पर नृत्य कर अपनी खुशियां व्यक्त कीं। :: विशिष्ट जनों ने किया व्यासपीठ पूजन :: कथा के शुभारंभ पर विधायक गोलू शुक्ला, पं. विकास अवस्थी, प्रो. नलिनी जोशी, आर. के. जोशी, सुरेश शर्मा (पालदा), अशोक चतुर्वेदी, मुकेश शर्मा, रमेश जोशी सहित अनेक गणमान्य नागरिकों ने व्यासपीठ का पूजन कर आशीर्वाद लिया। राधा रानी महिला मंडल की ओर से रुक्मणी शर्मा, करुणा शर्मा और अन्य सदस्यों ने आचार्यश्री की भव्य अगवानी की। :: कल होगा सुदामा चरित्र और अन्नकूट महोत्सव :: मठ के पं. अमितदास महाराज ने जानकारी दी कि भागवत ज्ञान यज्ञ का विश्राम 30 दिसम्बर को सुदामा चरित्र प्रसंग के साथ होगा। इसके पश्चात, मंदिर का वार्षिक अन्नकूट महोत्सव 31 दिसम्बर, बुधवार को श्रद्धापूर्वक आयोजित किया जाएगा। प्रकाश/29 दिसम्बर 2025