अंतर्राष्ट्रीय
31-Dec-2025
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अबु धाबी,(ईएमएस)। मध्य पूर्व की भू-राजनीति में एक बड़े घटनाक्रम के तहत संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) ने यमन में तैनात अपनी शेष सैन्य टुकड़ियों को वापस बुलाने का आधिकारिक निर्णय लिया है। यह कदम सऊदी अरब और यूएई के बीच यमन में सैन्य अभियानों के उद्देश्यों को लेकर बढ़ते मतभेदों और हालिया तनाव के बाद उठाया गया है। यूएई के रक्षा मंत्रालय ने स्पष्ट किया है कि यह फैसला हालिया घटनाक्रमों और आतंकवाद-रोधी अभियानों की प्रभावशीलता पर पड़ने वाले संभावित असर को देखते हुए स्वेच्छा से लिया गया है। यह निर्णय न केवल यमन के गृहयुद्ध की दिशा बदल सकता है, बल्कि खाड़ी के दो सबसे शक्तिशाली सहयोगियों के बीच दरकते रिश्तों को भी सार्वजनिक रूप से उजागर करता है। दोनों तेल-समृद्ध पड़ोसी देशों के बीच विवाद की जड़ें तब और गहरी हो गईं जब सऊदी अरब ने अबू धाबी पर यमन के दक्षिण में सक्रिय एक अलगाववादी गुट, सदर्न ट्रांजिशनल काउंसिल (एसटीसी), को समर्थन देने का आरोप लगाया। सऊदी अरब का मानना है कि इस समर्थन से उसकी अपनी सीमा की सुरक्षा को खतरा पैदा हो सकता है। तनाव उस समय चरम पर पहुंच गया जब सऊदी नेतृत्व वाले गठबंधन ने यमन के मुकल्ला बंदरगाह पर हवाई हमले किए। सऊदी अरब का दावा था कि ये हमले यूएई के फुजैरा बंदरगाह से आई हथियारों की एक खेप को नष्ट करने के लिए किए गए थे, जो कथित तौर पर एसटीसी को सप्लाई किए जा रहे थे। हालांकि, यूएई ने इन आरोपों को सिरे से खारिज करते हुए स्पष्ट किया कि उस खेप में हथियार नहीं, बल्कि केवल सैन्य वाहन शामिल थे। यमन का यह संघर्ष रणनीतिक और मानवीय दृष्टि से अत्यंत जटिल है। साल 2014 से जारी इस युद्ध में अब तक करीब चार लाख लोगों की जान जा चुकी है। जहाँ सऊदी अरब अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मान्यता प्राप्त यमनी सरकार का समर्थन करता है, वहीं यूएई एसटीसी के पक्ष में खड़ा दिखता है, जो यमन के दक्षिणी हिस्से में अलग संप्रभुता की मांग कर रहा है। यमन की भौगोलिक स्थिति सामरिक शिपिंग मार्गों के केंद्र में होने के कारण यह संघर्ष वैश्विक व्यापार के लिए भी चिंता का विषय बना हुआ है, विशेषकर तब जब हूती विद्रोहियों ने लाल सागर में जहाजों को निशाना बनाना शुरू कर दिया है। सऊदी अरब और यूएई के बीच यह प्रतिस्पर्धा केवल यमन तक सीमित नहीं है। ओपेक में तेल उत्पादन के स्तर को लेकर मतभेद, विदेशी निवेश आकर्षित करने की होड़ और अपने-अपने देशों के आर्थिक विविधीकरण की कोशिशों ने भी दोनों देशों के रिश्तों में कड़वाहट पैदा की है। अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रुबियो ने भी इस स्थिति पर चिंता जताते हुए संयम और कूटनीति अपनाने की अपील की है। सऊदी अरब ने उम्मीद जताई है कि यूएई द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत करने के लिए आवश्यक कदम उठाएगा। यमन से यूएई की सैन्य वापसी को क्षेत्रीय राजनीति के एक अहम मोड़ के रूप में देखा जा रहा है, जिसका सीधा असर मध्य पूर्व की भविष्य की स्थिरता और सुरक्षा समीकरणों पर पड़ना तय है। वीरेंद्र/ईएमएस/31दिसंबर2025