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29-Jan-2023
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मुकेश अंबानी की चुप्पी आश्चर्यजनक (सनत जैन) नई दिल्ली (ईएमएस)। गौतम अडानी विश्वस्तरीय कारपोरेट जंग में फंसकर तबाह होने की कगार पर पहुंच गये हैं । पिछले कुछ महीनों में वह दुनिया भर के सबसे ज्यादा सम्पत्ति रखने वाले उद्योगपतियों की सूची में तीसरे नम्बर पर पहुंच गए थे। दिग्गज उद्योगपति बर्नाड अरनाल्ट एलन मस्क जेफलेगोस लैरी ऐलीसन वारेन बफेट बिल गेट्स कारलस लेरीको मुकेश अंबानी जैसे दिग्गज कारोबारियों के सामने गौतम अडानी लगातार अपनी सम्पत्ति और मुनाफा बढ़ा रहे थे। दिग्गजों को कम समय पर पछाड़कर शीर्ष पायदान की कदम ताल कर रहे थे। उससे वह वैश्विक स्तर की कारपोरेट जंग में बुरी तरह से घिर गये है। दुनियाभर के दिग्गज उद्योगपति अडानी समूह के फर्जीवाडे को समझ रहे थे। भारत दुनिया का बहुत बड़ा बाजार है। सभी दिग्गज उद्योगपति और कारोबारी अडानी की पीठ पर लादकर भारत में व्यापार के बड़े सपने देख रहे थे। अडानी समूह की भारत सरकार से निकटता और संरक्षण के कारण दिग्गज उद्योगपति अडानी के जरिये भारत में अपनी जड़ें जमाना चाहते थे। इस मामले में गौतम अडानी ने जब अपेक्षाकृत उनकी मदद नहीं की । उल्टे भारत के सभी कार्यों में एकाधिकार बनाने से दिग्गज कारोबारियों की नाराजी गौतम अडानी से बढ़ती जा रही थी। फोर्ब्स की सूची में जिस तरह अडानी सीढ़ियां चढ़ रहे थे। उससे भी वैश्विक स्तर के उद्योगपतियों की नाराजी बढ़ रही थी। अमेरिका और ब्रिटेन की सरकारों पर भी दबाब बढ़ रहा था। विश्व के बड़े दिग्गज कारोबारियों की शह पर हिंडनबर्ग पिछले 6 माह से अडानी समूह के फर्जीवाड़े के दस्तावेज एकत्रित कर रही थी। जैसे ही रिपोर्ट में सारी गड़बड़ियों का खुलाशा हुआ। उसके बाद रिपोर्ट को जाहिर कर अडानी समूह को इस खेल में एक ही झटके में अलग करने का प्रयास पूर्णत: सफल हो गया। दस्तावेजी प्रमाणों के साथ हिंडनबर्ग की जो रिपोर्ट प्रकाशित हुई है उससे भारत के साथ-साथ विश्व के अन्य देशों में भी अडानी समूह अपराधिक कृत्य में फंसते नजर आ रहे है। गौतम अडानी भारत सरकार के संरक्षण में जिस तेजी के साथ आगे बढ़ रहे थे। हिंडनबर्ग की रिपोर्ट के बाद अडानी समूह को संरक्षण दे पाना अब भारत सरकार के लिए संभव नहीं होगा। इसका प्रमुख कारण बैंकों के फर्जी व्यापारिक दस्तावेजों के पर दिया भारी कर्ज है। वहीं शेयर मार्केट में भी पब्लिक सेक्टर की कम्पनियों ने अडानी समूह की कम्पनियों में भारी निवेश किया है। अडानी समूह के फर्जीवाड़े से भारतीय बैंकों और पब्लिक सेक्टर कम्पनियों को भारी आर्थिक नुकसान होना तय है। इससे सरकार को भी अडानी समूह से पल्ला झाड़कर सत्ता पर अपनी पकड़ बनाए रखना मजबूरी बन गया है। मुकेश अंबानी की चुप्पी रिलायंस समूह के मुकेश अंबानी भी पिछले कुछ वर्षों से अडानी समूह को मिल रहे संरक्षण से अंदर ही अंदर नाराज थे। किन्तु वह अपने व्यापार एवं राजनैतिक संबंधों को बेहतर बनाए रखने के लिये चुप्पी साधकर तमाशा देख रहे थे। हिंडनबर्ग को रिपोर्ट ने मुकेश अंबानी के लिये एक नया दरवाजा खोल दिया है। रिलायंस समूह ने पिछले 30 वर्षों में सुनयोजित रूप से अपने उद्योग एवं कारोबार को मजबूत बनाये रखने की दिशा में काम कर रहे थे। गौतम अडानी की तरह उन्होंने दौड़ने से इंकार कर अपने व्यवसाय को सुरक्षित रखने की रणनीति अपनाई थी। वह उनके काम आई है। गुजरात लॉबी से मुकेश अंबानी के बहुत बेहतर संबंध हैं। 2014 का लोकसभा चुनाव जिताने तथा केंद्र में अंबानी की बहुत बड़ी भूमिका थी। अमेरिका का समर्थन नरेंद्र मोदी को दिलाने की रणनीति में मुकेश अंबानी की बड़ी भूमिका थी। प्रधानमंत्री बनते ही नरेंद्र मोदी ने 100 फीसदी विदेशी निवेश के दरवाजे भारत में खोल दिये थे। यह काम मनमोहन सिंह 10 वर्ष की सत्ता में नहीं कर पाये थे। 2014 के बाद गौतम अडानी केंद्र की सत्ता के बहुत नजदीक पहुंच गए थे। मुकेश अंबानी धीरे-धीरे दूर होते चले गए। उसके बाद भी वह अपने साम्राज्य को सुरक्षित बनाये रखने के लिये चुप बने रहे। अब यह माना जा रहा है कि गौतम अडानी जिस चक्रव्यूह में फंस गए हैं। उससे बाहर निकल पाना गौतम अडानी के लिए संभव नहीं है। ऐसी स्थिति में एक बार फिर मुकेश अंबानी का डंका बजना तय है। एसजे/29/01/2023