अंतर्राष्ट्रीय
31-Jan-2023
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- पूरे देशवासियों का ईलाज कर रहे भारतीय मूल के डाक्टर लंदन (ईएमएस)। ब्रिटेन में इन दिनों भारतीय डाक्टर मसीहा बने हुए हैं। यहां स्वास्थ्य कर्मियों की डेढ़ महीने से चल रही हड़ताल के चलते पूरे देशवासियों का ईलाज भारतीय डाक्टरों के हवाले है। सरकारी स्वास्थ्य सेवा (एनएचएस ) कर्मचारी वेतन बढ़ाने के लिए हड़ताल पर हैं। एनएचएस में 1.15 लाख भारतीय डॉक्टर हैं जिनमें से ज्यादातर हड़ताल में शामिल नहीं हैं। इससे काम का बोझ इन्हीं डॉक्टरों और नर्सों पर पड़ रहा है। करार में औसतन हफ्ते में 40 घंटे की शिफ्ट है। खास बात यह है कि ब्रिटेन के गांवों छोटे कस्बों पिछड़े इलाकों में ब्रिटिश डॉक्टर काम नहीं करते। केवल भारतीय डॉक्टर ही वहां जाते हैं। श्रमिकों खान मजदूरों की बस्तियों में भारतीय डॉक्टर ही जाकर अपनी सेवाएं दे रहे हैं। वेल्स की रोंडा वैली कमजोर वर्ग की बस्ती है जहां 73 प्रतिशत डॉक्टर भारतीय हैं। ब्रिटेन में 70 लाख मरीज डॉक्टर से समय मिलने के इंतजार में हैं। सामान्य सर्जरी के इंतजार का समय बढ़ गया है। अस्पताल में बेड के लिए इंतजार 2011 की तुलना में 2019 में आठ गुना बढ़ गया। इसी अवधि में इलेक्टिव केयर के लिए 18 हफ्ते से ज्यादा का इंतजार करने वाले तीन गुना बढ़ गए। हड़ताल के कारण भारतीय डाक्टरों को रोज 12 घंटे या ज्यादा ड्यूटी करनी पड़ रही है। कई भारतीय डॉक्टरों का कहना है कि काम के दबाव से उनकी मानसिक और भावनात्मक सेहत पर बुरा असर पड़ा है। एनएचएस की भारतीय डॉक्टर अदिति सेंगर ने भास्कर से कहा कि वे शायद ही कभी 12 घंटे से पहले अस्पताल छोड़ पाती हैं। परिवार के लिए वे समय ही नहीं दे पाती हैं। बर्न आउट के कारण डॉक्टर नर्स सहित अन्य अमला एनएचएस छोड़ रहा है। सात साल में एनएचएस छोड़ने वाले तीन गुना बढ़ गए हैं। इसके अलावा डॉक्टर भेदभाव का भी शिकार हैं। ऐसे माहौल से परेशान होकर पिछले साल बर्मिंघम क्वीन एलिजाबेथ अस्पताल की भारतीय डॉक्टर वैष्णवी कुमार (35) ने खुदकुशी की। उनके पिता ने हाल में सुसाइड नोट जारी किया जिसमें वैष्णवी ने अस्पताल को दोषी ठहराते हुए लिखा है कि यहां के माहौल ने मुझे तोड़ दिया है। मेरी मृत्यु होने पर इस अस्पताल में न लाया जाए। अपनी मां से माफी भी मांगी है। एनएचएस में कुल 1.15 लाख भारतीय डॉक्टर हैं। भारत में मेडिकल की बुनियादी शिक्षा हासिल 60 हजार डॉक्टर और 40 हजार नर्सें हैं। इतने ही ब्रिटेन में जन्मे भारतीय डॉक्टर हैं। एसोसिएशन ऑफ फिजिशियन ऑफ इंडियन ओरिजिन के जेएस बामरा कहते हैं कि इनकी दम पर ही एनएचएस है। पड़ताल में सामने आया है कि भारत में प्रशिक्षित डॉक्टर भेदभाव का शिकार हैं। जनरल मेडिकल काउंसिल ने एक स्टडी में पाया कि भारतीय डॉक्टर के कामकाज के आंकलन की पांच गुना अधिक संभावना होती है। किसी भारतीय डॉक्टर की शिकायत पर जांच की संभावना बढ़ जाती है।