लेख
04-Feb-2023
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-------------------------------- नारी सच में धैर्य हैलिये त्याग का सार । प्रेम-नेह का दीप ले हर लेती अँधियार ।। पीड़ादुख में भी रखेअधरों पर मुस्कान । इसीलिये तो नार हैआनबान औ शान ।। नारी तो है श्रेष्ठ नितहैं ऊँचे आयाम । इसीलिये उसको शरद बारम्बार प्रणाम ।। नारी ने नर को जनाइसीलिये वह ख़ास । नारी पर भगवान भीकरता है विश्वास ।। नारी से ही धर्म हैंनारी से अध्यात्म । नारी से ही देव हैंनारी से परमात्म ।। नारी से उपवन सजेनारी है सिंगार नारी गुण की खान हैनारी है उपकार ।। नारी शोभा विश्व कीनारी है आलोक । नारी से ही हर्ष हैबिन नारी है शोक ।। नारी है आवेग इकनारी है संवेग। नारी है सम्वेदनानारी है शुभ नेग।। नारी रीतिरिवाज़ हैनारी नित हर पर्व। नारी पर करता सदाहर समाज तो गर्व।। नारी तीव्र प्रहार हैसंयम का वह रूप। नारी से पोषित हुईनित्य कुनकुनी धूप।। नारी माँबहनासुतादादीनानी नार। नारी की ममता लिएयह सारा संसार।। नारी फर्ज़ों से सजीनारी सचमुच वीर । साहसकर्मठता लियेनारी हरदम धीर ।। जननी की हो धूप याभगिनी की हो छांव । नारी ने हर रूप मेंमहकाया है गांव ।। नारी की हो वंदनानिशिदिन स्तुति गान । नारीके सम्मान सेही है नित उत्थान ।। ईएमएस / 04 फरवरी 23