राष्ट्रीय
04-Feb-2023
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- जगतगुरु परमहंस आचार्य ने दी महाविनाश की चेतावनी अयोध्या (ईएमएस)। अयोध्या में राम मंदिर निर्माण में लगे साधु-संतों के बीच तनाव बढ़ गया है।नेपाल से जो शालिग्राम की शीला लाई गई है। उसको लेकर साधु संतों के बीच विवाद पैदा हो गया है। जगत गुरु परमहंस आचार्य ने कहा सालिगराम अपने आप में भगवान हैं। उनके ऊपर यदि हथौड़ी या छेनी चलाई गई, तो इससे भारी अनर्थ होगा।इससे महाविनाश होना तय है। जगत गुरु परमहंस आचार्य ने अन्न जल त्याग कर प्राणों की आहुति देने का निश्चय प्रकट किया है। जगत गुरु परमहंस आचार्य ने राम मंदिर ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय को पत्र लिखकर अपना विरोध जता दिया है।उन्होंने कहा है, कि शालिग्राम शिला को प्रतिष्ठित माना जाता है। शालिग्राम की पूजा होती है। इसमें कोई भी परिवर्तन स्वीकार करने योग्य नहीं है। इस पर कोई भी छेनी हथौड़ी नहीं चलनी चाहिए। हिंदू महासभा ने भी शालिग्राम पत्थर से बनी रामलला की मूर्ति से महाविनाश फैलने की चेतावनी दी है। हिंदू महासभा के राष्ट्रीय प्रवक्ता मनीष पांडेय ने कहा है गंडक नदी से निकले शालिगराम शिला के पौराणिक महत्व की याद दिलाते हुए कहा, शालिग्राम (पत्थर) को तराशा नहीं जाना चाहिए। श्राप के कारण भगवान विष्णु पत्थर के रूप में गंडक नदी में विद्यमान हैं। उनका आकार दिन प्रतिदिन बढ़ता ही जाता है। ऐसी स्थिति में शालिग्राम (पत्थर) पर छेनी हथौड़ी नहीं चलनी चाहिए। वहीं साधु संतों का दूसरा वर्ग इसे केवल पत्थर मान रहा है। इस पत्थर से भगवान राम के परिवार की मूर्तियां बनाई जाने की बात हो रही है। राम मंदिर निर्माण के दौरान साधु-संतों के बीच में विवाद बढ़ता ही जा रहा है। आचार्य संतोष अवस्थी ने कहा,मैं जानता हूं,होई- सोई जो ट्रस्ट रचि राखा।इसलिए बोलने का कोई मतलब नहीं है। उन्होंने कहा राम मंदिर भूमि पूजन से लेकर आज तक इसे इवेंट के रूप में धार्मिक अनुष्ठान किए जा रहे हैं। धार्मिक नियमों की धज्जियां उड़ाई जा रही हैं। उन्होंने यह भी कह दिया कि शंकराचार्य निश्चलानंद सही कहते हैं। राजनीतिक हिंदुत्व अलग है। -सालिग़राम शिला को लेकर विवाद नेपाल से लाई गई शालिग्राम शिला को लेकर साधु संतों के बीच विवाद उत्पन्न हो गया है।साधु संतों का एक वर्ग इसे केवल शिला मानता है। ट्रस्ट शिला से, भगवान श्री राम, सीता मैया,हनुमान जी,लक्ष्मण, भरत, शत्रुघ्न की प्रतिमा बनाकर भगवान राम के पूरे परिवार को राम मंदिर में स्थापित करना चाहता है।साधु संतों का दूसरा वर्ग यह मानकर चल रहा है कि शालिग्राम शिला भगवान विष्णु का शाश्वत स्वरूप है।इस पर छेनी हथौड़ी का प्रयोग नहीं किया जा सकता है। यदि यह किया गया, तो महाविनाश आना तय है। ट्रस्ट द्वारा नेपाल से जो शालिग्राम की शिला मंगाई गई है। नेपाल से अयोध्या तक पूरे रास्ते शालिग्राम मानकर जगह-जगह पूजा अर्चना की गई है। अब ट्रस्ट इसे सामान्य शिला मानकर इसकी मूर्ति बनाना चाहता है। जिसका विरोध बड़े पैमाने पर साधु संतों द्वारा किया जा रहा है।